मोरयाई छठ पर करें कुछ खास और पाएं अश्वमेध यज्ञ के समान लाभ

Edited By Updated: 18 Sep, 2015 10:25 AM

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भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मोरयाई छठ व्रत, मोर छठ अथवा सूर्य षष्ठी व्रत (तीनों एक ही व्रत के नाम हैं) रखने का विधान है।

भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को मोरयाई छठ व्रत, मोर छठ अथवा सूर्य षष्ठी व्रत (तीनों एक ही व्रत के नाम हैं) रखने का विधान है। इस वर्ष ये व्रत 19 सितंबर शनिवार को है। भविष्योत्तर पुराण में कहा गया है, प्रत्येक महीने के शुक्ल पक्ष की षष्ठी तिथि को भगवान सूर्य को समर्पित यह व्रत करना चाहिए लेकिन भाद्र माह की शुक्ल पक्ष की षष्ठी को इस व्रत को करने का विशिष्ट महत्व है। 

मोरयाई छठ पर करें कुछ खास और पाएं अश्वमेध यज्ञ के समान लाभ
 
* श्रद्धापूर्वक व्रत रखें।
 
*  गंगा स्नान का विशेष महत्व है, जो जातक गंगा स्नान करने नहीं जा सकते वो घर पर ही नहाने के पानी में कुछ बूंदे गंगा जल डाल कर स्नान करें।  
 
* सुबह सूर्य देव के उदय होते ही सूर्योपासना करें। धयान रखें जब तक सूर्य देव प्रत्यक्ष दिखाई न दें तब तक सूर्योपासना न करें।
 
* सूर्यों मंत्रों का जाप करें।
 
* पंचगव्य सेवन करें।
 
* दिन में एक बार नमक रहित भोजन खाएं।
 
* सूर्य देव को लाल रंग बहुत प्रिय है इसलिए उन्हें केसर, लाल चंदन, लाल पुष्प, लाल फल, गुलाल, लाल कपड़ा, लाल रंग की मिठाई अर्पित करें।
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