Edited By rajesh kumar,Updated: 26 Oct, 2019 09:53 AM
झाबुआ के पहले टेस्ट में पास होगई कमलनाथ सरकार। कान्तिलाल भुरिया के सत्ताईस हजार आठ सौ चार मतों से इक्कीस साल बाद रिकार्ड तोड़ जीत से भूरिया झाबुआ अंचल के पहले नेता हो गए है..
झाबुआ(जावेद खान): झाबुआ के पहले टेस्ट में कमलनाथ सरकार पास हो गई है। कांतिलाल भूरिया के सत्ताईस हजार आठ सौ चार मतों से इक्कीस साल बाद रिकार्ड तोड़ जीत से भूरिया झाबुआ अंचल के पहले नेता हो गए है।
झाबुआ में कमलनाथ ने छिंदवाड़ा की तरह चुनाव लड़ा वे झाबुआ चुनाव को सुरुआत से ही गंभीरता से ले रहे थे कमलनाथ ने तीन रॉड शो कर तीन सभाएं ली कमलनाथ ने अपने एक दर्जन मन्त्री ओर अठारह विधायको की ड्यूटी लगाई।उन्होंने कांग्रेस में भीतरघात न हो इसलिए जेवियर मेड़ा को संतुष्ट कर चुनाव मैनेजमेंट में जोड़ दीया। अब कांतिलाल भूरिया फिर से विधायक बन गए 21 साल पहले यानी 1998 में लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए उन्होंने थांदला की विधायकी छोड़ी थी अब झाबुआ के विधायक बनकर भूरिया फिर से भोपाल विधानसभा की सीढ़ियां चढ़ेंगे कांग्रेस प्रत्याशी भूरिया ने 27,0804 मतों की ऐतिहासिक जीत दर्ज की इसके पहले सबसे बड़ी जीत1993 में कांग्रेश के बापू सिंह डामोर की 25778 वोटों की रही थी भुरिया ने जीत का रिकॉर्ड तोड़ते हुए पहले राउंड को छोड़कर लगभग हर राउंड में अच्छी लीड ली उसके सामने भाजपा प्रत्याशी भानु भूरिया बहुत बोने साबित हुए।
कान्तिलाल भुरिया की 42 सालो की राजनीती सफर में वे सिर्फ साडे 4 साल बिना पद के रहे जब पार्टी सरकार में रही है भूरिया मंत्री रहे ऐसा कहा और देखा जा सकता है कि भूरिया किस्मत के धनी हैं विधायकी और सांसदी के दौरान वे मन्त्री रहे अब भी विधायक बने है तो पूरी संभावना है उन्हें मन्त्री मण्डल में शामिल किया जाएगा। झाबुआ उप चुनाव में जनता ने दोनों उम्मीदवारों को नकारते हुए 3088 ने नोटा का उपयोग किया।
झाबुआ विधान सभा क्षेत्र में 2 लाख 77 हजार 500 मतदाता हैं. इनमें से 1लाख 72 हजार 144 ने इस बार अपने मताधिकार का प्रयोग किया था.इस उप चुनाव में कुल 356 मतदान केन्द्र बनाए गए थे.उप चुनाव में 62.01 फीसदी मतदान हुआ था,जो पिछले विधानसभा चुनाव से करीबी 2 फीसदी कम था। अभी तक 15 चुनाव के बाद पहली बार झाबुआ विधानसभा में उपचुनाव हुआ पांच महीने पहले हुए लोकसभा चुनाव में कांग्रेस भाजपा के बीच मात्र चार प्रतिशत वोटों का अंतर रहा था कमलनाथ सरकार झाबुआ जीत कर विधानसभा में में अपना बहुमत 116 का करना चाहती थी वहीं भाजपा उसे रोकने में लगी हुई थी इस टसल के चलते यह चुनाव अंत्यत ही रोमांचक हो गया था।