रुपया 17 पैसे टूटकर 77.61 प्रति डॉलर के सर्वकालिक निचले स्तर पर

Edited By PTI News Agency,Updated: 18 May, 2022 09:51 PM

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मुंबई, 18 मई (भाषा) मुद्रास्फीति पर नियंत्रण के अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा आक्रामक तरीके से ब्याज दरों में बढ़ोतरी करने की संभावना और बाजार से विदेशी पूंजी की निर्बाध निकासी के कारण अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में बुधवार को रुपया 17...

मुंबई, 18 मई (भाषा) मुद्रास्फीति पर नियंत्रण के अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा आक्रामक तरीके से ब्याज दरों में बढ़ोतरी करने की संभावना और बाजार से विदेशी पूंजी की निर्बाध निकासी के कारण अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में बुधवार को रुपया 17 पैसे की गिरावट के साथ 77.61 प्रति डॉलर के अपने नये सर्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ।

विदेशी बाजारों में डॉलर के मजबूत होने और कच्चे तेल कीमत के करीब एक प्रतिशत बढ़कर 113 डॉलर प्रति बैरल होने से भी रुपये की धारणा प्रभावित हुई।

अंतर-बैंक विदेशी मुद्रा विनिमय बाजार में रुपया डॉलर के मुकाबले 77.57 पर कमजोर खुला। बाद में अमेरिकी फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पॉवेल का बयान आने के बाद वैश्विक बाजार में डॉलर के मजबूत होने से कारोबार के दौरान रुपया 77.61 रुपये के दिन के निम्नतम स्तर को छू गया। कारोबार के अंत में रुपया 17 पैसे की गिरावट के साथ 77.61 पर बंद हुआ, जो पिछले बंद भाव 77.44 से 17 पैसे की गिरावट को दर्शाता है।

एलकेपी सिक्योरिटीज के उपाध्यक्ष शोध विश्लेषक जतिन त्रिवेदी ने कहा, "डॉलर इंडेक्स ने 103.50 के करीब समर्थन हासिल किया और पूंजी बाजार में उच्चस्तर पर मुनाफावसूली देखी गई, जिससे रुपये में कमजोरी आई।"
विश्लेषकों ने कहा कि अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा मुद्रास्फीति को नियंत्रित करने के लिए ब्याज दरों में और बढ़ोतरी पर विचार करने की चिंताओं के कारण रुपया कमजोर हुआ।

फेडरल रिजर्व के प्रमुख जेरोम पावेल ने कहा कि यदि चार दशक के उच्चस्तर पर चल रही मुद्रास्फीति पहले की गई ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बाद भी कम नहीं होती है, तो केंद्रीय बैंक को ‘‘अधिक आक्रामक तरीके से आगे बढ़ने पर विचार करना होगा।’’
मोतीलाल ओसवाल फाइनेंशियल सर्विसेज के विदेशीमुद्रा एवं सर्राफा विश्लेषक, गौरांग सोमैया ने कहा, ‘‘फेडरल रिजर्व के गवर्नर की टिप्पणियों से पता चलता है कि आने वाली बैठक में भी ब्याज दरों में बढ़ोतरी जारी रह सकती है।’’
अप्रैल में रूस के तेल उत्पादन में गिरावट के कारण चीन में मांग में सुधार की उम्मीद के साथ-साथ आपूर्ति की चिंताओं के कारण कच्चे तेल की कीमतें एक प्रतिशत से अधिक बढ़कर 113.45 डॉलर प्रति बैरल हो गईं।

ब्रिटेन की मुद्रास्फीति अप्रैल में 40 साल के उच्चस्तर नौ प्रतिशत पर पहुंचने के बाद अमेरिकी डॉलर के मुकाबले ब्रिटिश पाउंड में गिरावट देखने को मिली।

इस बीच, छह प्रमुख मुद्राओं के मुकाबले अमेरिकी डॉलर की स्थिति को दर्शाने वाला डॉलर सूचकांक 0.3 प्रतिशत बढ़कर 103.59 हो गया।

बीएसई का 30 शेयरों पर आधारित सूचकांक 109.94 अंक अथवा 0.20 प्रतिशत की गिरावट के साथ 54,208.53 अंक पर बंद हुआ।

शेयर बाजार के आंकड़ों के मुताबिक, विदेशी संस्थागत निवेशक पूंजी बाजार में शुद्ध बिकवाल रहे और उन्होंने बुधवार को 1,254.64 करोड़ रुपये मूल्य के शेयर बेचे।


यह आर्टिकल पंजाब केसरी टीम द्वारा संपादित नहीं है, इसे एजेंसी फीड से ऑटो-अपलोड किया गया है।

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