आज और आने वाला कल संवारना चाहते हैं तो अपनाएं भगवान बुद्ध की शिक्षाएं

Edited By ,Updated: 05 Aug, 2015 03:12 PM

today and tomorrow if embellish follow the teachings of lord buddha

सम्यक दृष्टि- सम्यक दृष्टि का अर्थ है कि जीवन में हमेशा सुख-दुख आता रहता है। हमें अपने नजरिए को सही रखना चाहिए अगर दुख है तो उसे दूर भी किया जा सकता है।

सम्यक दृष्टि- सम्यक दृष्टि का अर्थ है कि जीवन में हमेशा सुख-दुख आता रहता है। हमें अपने नजरिए को सही रखना चाहिए अगर दुख है तो उसे दूर भी किया जा सकता है।
 
सम्यक संकल्प- इसका अर्थ है कि जीवन में जो काम करने योग्य है, जिससे दूसरों का भला होता है। हमें उसे करने का संकल्प लेना चाहिए और ऐसे काम कभी नहीं करने चाहिएं जो अन्य लोगों के लिए हानिकारक साबित हो। 
 
सम्यक वचन- मनुष्य को अपनी वाणी का सदैव सदुपयोग ही करना चाहिए, असत्य, निंदा और अनावश्यक बातों से बचना चाहिए।
 
सम्यक कर्मांत- मनुष्य को किसी भी प्राणी के प्रति मन, वचन, कर्म से हिंसक व्यवहार नहीं करना चाहिए, उसके दुराचार और भोग-विलास से दूर रहना चाहिए।
 
सम्यक आजीविका- गलत, अनैतिक या अधार्मिक तरीकों से आजीविका प्राप्त नहीं करनी चाहिए।
 
सम्यक व्यायाम- बुरी और अनैतिक आदतों को छोडऩे का सच्चे मन से प्रयास करना चाहिए। मनुष्य को सद्गुणों को ग्रहण करने के लिए हमेशा तत्पर रहना चाहिए।
 
सम्यक स्मृति- इसका अर्थ यह है कि हमें कभी भी यह नहीं भूलना चाहिए कि संसारिक जीवन क्षणिक और नाशवान है।
 

सम्यक समाधि- ध्यान की वह अवस्था जिसमें मन की अस्थिरता चंचलता, शांत होती है तथा विचारों का अनावश्यक भटकाव रुकता है। 

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