राफेल डील पर घमासान, जानिए इस मुद्दे से जुड़े 10 बड़े अपडेट्स

Edited By vasudha,Updated: 22 Sep, 2018 11:42 PM

10 big updates of rafale deal issue

राफेल डील को लेकर जारी विवाद थमता हुआ दिखाई नहीं दे रहा है। आए दिन इसे लेकर नए तथ्य सामने आ रहे हैं। 2019 के चुनावों के लिए राफेल विमान सौदे को चुनावी हथियार बनाने की कोशिश की जा रही है...

नेशनल डेस्क (वसुधा शर्मा): राफेल डील को लेकर फ्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के नए खुलासे से देश की राजनीति में भूचाल आ गया है। विपक्ष को मोदी सरकार को घेरने का एक और मौका मिल गया है। राफेल डील को लेकर आए दिन नए तथ्य सामने आ रहे हैं। जहां एक और कांग्रेस इस मामले में मोदी सरकार को बख्शने के मूड में दिखाई नहीं दे रही है तो वहीं दूसरी ओर भाजपा की ओर से रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण ने मोर्चा संभाल लिया है। वहीं, इस मुद्दे में घिरी फ्रांसीसी विमानन कंपनी और भारतीय कंपनी रिलायंस समूह ने भी अपनी सफाई पेश की है। पढ़िए राफेल डील से जुड़े अब तके के 10 बड़े अपडेट्स:-

राफेल को लेकर बड़ा खुलासा 
भारत और फ़्रांस के बीच राफेल लड़ाकू विमानों को लेकर हुए समझौते पर एक बड़ा खुलासा हुआ हैै। राफेल करार में एक फ्रेंच प्रकाशक ने कथित तौर पर फ़्रांस के पूर्व राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद के हवाले से कहा कि अरबों डॉलर के इस सौदे में भारत सरकार ने अनिल अंबानी की रिलायंस डिफेंस को दसॉल्ट एविएशन का साझीदार बनाने का प्रस्ताव दिया था, जिसके बाद फ्रांस के पास कोई विकल्प नहीं बचा था। इस नए खुलासे के बाद विपक्ष को मोदी सरकार पर निशाना साधने के लिये नये सिरे से मौका मिल गया है।
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फ्रांस सरकार की सफाई
ओलांद के इस खुलासे को लेकर मचे घमासान के बीच फ्रांस सरकार ने स्पष्ट किया कि फ्रांस की कंपनियां इस मामले में भारतीय सहयोगी कंपनियों का चुनाव करने के लिए पूरी तरह स्वतंत्र हैं। उन्होंने कहा कि सरकार भारतीय औद्योगिक भागीदारों के चुनाव में शामिल नहीं है, जिन्हें फ्रांसीसी कंपनियों द्वारा चुना जा रहा है या फिर चुना जाएगा। फ्रांस सरकार के अनुसार, 6 राफेल विमानों की भारत में आपूर्ति के लिए फ्रांस और भारत सरकार के बीच 23 सितंबर, 2016 को हुए समझौते पर फ्रांसीसी सरकार के दायित्वों की चिंता पूरी तरह से इसकी डिलिवरी और गुणवत्ता सुनिश्चित करने के संबंध में है। 

अनिल अंबानी का फिल्मी कनेक्शन
राफेल विवाद के बीच उद्योगपति और रिलायंस एडीए समूह के प्रमुख अनिल अंबानी के फिल्मी कनेक्शन भी सामने आए हैं। खबरों के अनुसार, जब भारत और फ्रांस के बीच राफेल डील की प्रक्रिया चल रही थी, उसी दौरान अनिल अंबानी की कंपनी रिलायंस एंटरटेनमेंट ने उस वक्त के फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद की पार्टनर जूली गाएत की फिल्म प्रोडक्शन कंपनी के साथ मिलकर एक फ्रेंच फिल्म को प्रोड्यूस करने का करार किया था। 'ताउत ला-हौत' नाम की इस फिल्म को फ्रेंच एक्टर और प्रोड्यूसर सर्ज हजनविजियस ने निर्देशित किया था। यह फिल्म फ्रांस में 20 दिसंबर, 2017 को रिलीज हुई थी।

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राफेल पर सियासत 
राफेल डील को लेकर सियासत तेज हो गई है। कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी का मोदी सरकार पर हमला लगातार बढ़ता जा रहा है। फ़्रांस के खुलासे के बाद उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भारत के साथ विश्वासघात करने और सैनिकों के लहू का अपमान करने का आरोप लगाया। यही नहीं, कांग्रेस अध्यक्ष ने रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण के दावों पर सवाल उठाते हुए उनके इस्तीफे की मांग की है।

रक्षा मंत्री की सफाई 
विपक्ष के आरोपों में घिरी मोदी सरकार को बचाने के लिए रक्षा मंत्री निर्मला सीतारमण की अहम भूमिका निभा रही हैं। उनके अनुसार, भारत की रक्षा तैयारियों से संबंधित एक संवेदनशील मुद्दे पर विपक्ष के आरोप निराधार हैं। सीतारमण ने स्पष्ट किया था कि मोदी सरकार ने 2016 में 58,000 करोड़ रुपए की अनुमानित लागत से 36 राफेल लड़ाकू विमान खरीदने के लिए फ्रांस के साथ सरकार के बीच एक सौदे पर हस्ताक्षर किए थे। उन्होंने उस आरोप को भी खारिज किया था कि सरकार समझौते से ऑफसेट शर्तों के तहत रिलायंस डिफेंस लिमिटेड (आरडीएल) को लाभ पहुंचाने की कोशिश कर रही है।

पूर्व रक्षा मंत्री के बयान से मचा घमासान 
पूर्व रक्षा मंत्री एवं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता ए.के.एंटनी के बयान से राफेल ​विवाद ने तूल पकड़ लिया। एंटनी ने राजग सरकार पर राष्ट्रीय सुरक्षा व रक्षा तैयारियों के साथ गंभीर खिलवाड़ करने का आरोप लगाया। उन्होंने सवाल उठाया कि मोदी सरकार की ओर से खरीदा जा रहा विमान वाकई सस्ता था तो उसने 126 से ज्यादा विमान क्यों नहीं खरीदे। उन्होंने आरोप लगाया कि 2014 में केंद्र में एनडीए की सरकार बनने के बाद 10 अप्रैल 2015 को 36 राफेल विमान खरीदने का एकतरफा फैसला लिया गया। हालाकि, एंटनी के इस बयान  पर निर्मला सीतारमण ने भी पलटवार किया था।

केजरीवाल का मोदी सरकार पर हमला 
राफेल डील के इस घमासान में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल भी शामिल हो गए। उन्होंने भी मोदी सरकार को घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ा। केजरीवाल पिछले कुछ दिनों से राफेल सौदे को लेकर पीएम मोदी से सवाल पूछ रहे हैं। उनका आरोप है कि आए दिन भाजपा सरकार के बयान झूठे साबित हो रहे हैं। सीएम के अनुसार इस डील में बहुत बड़ी गड़बड़ हुई है। उनके अनुसार NDA को सामने आकर इस पर सफाई देनी चाहिए।

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रिलायंस का कांग्रेस को नोटिस 
राफेल विवाद को लेकर मोदी सरकार पर हमलावर कांग्रेस को उस समय मुश्किलों का सामना करना पड़ा जब अनिल अंबानी की रिलायंस कंपनी ने पार्टी को नोटिस थमा दिया। कांग्रेस प्रवक्ता जयवीर शेरगिल को लीगल नोटिस भेजकर उन्हे जुबान संभालने की चेतावनी दी गई। नोटिस में आरोप लगाया गया कि कांग्रेस के रणदीप सुरजेवाला, अशोक चव्हाण, संजय निरुपम, अभिषेक मनु सिंघवी और अन्य नेता गलत तथ्यों के साथ उन पर और उनके ग्रुप पर लांछन लगा रहे हैं। नोटिस में कहा गया कि कांग्रेस वही बात बोले, जिसका उसके पास सबूत हो, नहीं तो उसे इसका हर्जाना भुगतना पड़ सकता है।

सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मामला 
देश की सैन्य शक्ति को मजबूत करने के लिए की गई राफेल डील का मामला सियासी हमलों के बाद सुप्रीम कोर्ट भी पहुंचा। वकील एमएल शर्मा ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर लड़ाकू विमान सौदे में विसंगतियों का आरोप लगाते हुए इस पर रोक लगाने की मांग की। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई 10 अक्टूबर तक के लिए टाल दी है। राफेल सौदे की स्वतंत्र जांच और इसकी कीमत का संसद में खुलासा करने का अनुरोध करते हुए ऐसी ही एक अन्य याचिका कांग्रेसी नेता तहसीन पूनावाला ने भी न्यायालय में दायर की थी। 

रिलायंस ने आरोपों को किया खारिज 
राफेल विवाद में फंसे अनिल अंबानी के ग्रुप ने भी अपनी सफाई पेश की थी। रिलायंस के अनुसार, उसे रक्षा मंत्रालय से किसी भी तरह का कॉन्ट्रैक्ट नहीं मिला और लगाए जा रहे सभी आरोप गलत हैं। रिलायंस ने सफाई दी कि 36 राफेल फाइटर जेट सप्लाई करने वाली कंपनी दसॉल्ट ने रिलायंस डिफेंस को 'ऑफसेट' या एक्सपोर्ट काम के लिए चुना। विदेशी वेंडर के लिए भारतीय पार्टनर चुनने में रक्षा मंत्रालय की कोई भूमिका नहीं है। उन्होंने अनुभव की कमी और सरकारी कंपनी हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) को नजरअंदाज किए जाने जैसे सभी आरोपों का भी जवाब दिया था। 

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