जापान की कंपनियों से राजस्थान में आयेगा 1338 करोड़ रूपये का बड़ा इन्वेस्टमेंट- CM गहलोत

Edited By Anu Malhotra,Updated: 08 Jul, 2022 11:30 AM

11 japanese company invest in rajasthan

राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि जापान की 11 कम्पनियों से किए गए एमओयू से 1338 करोड़ रूपये का निवेश राज्य में आएगा और जापान एवं राजस्थान के रिश्ते और ऊंचाई पर जाएंगे।

नेशनल डेस्क: राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा है कि जापान की 11 कम्पनियों से किए गए एमओयू से 1338 करोड़ रूपये का निवेश राज्य में आएगा और जापान एवं राजस्थान के रिश्ते और ऊंचाई पर जाएंगे। गहलोत गुरूवार को नीमराना स्थित डाईिकन जापानीज इंस्टीट्यूट ऑफ मैन्यूफेक्चरिंग एक्सिलेंस (डीजेआईएमई) में आयोजित एमओयू सेरेमनी को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि राज्य में जापान की कम्पनियों ने प्रमुखता से निवेश किया और जापानी निवेश राजस्थान में उद्यमियों के लिये प्रेरणास्रोत रहा है। अब जापान की कम्पनियों को बाड़मेर में बन रहे पैट्रोकैमिकल कॉम्पलैक्स, इनवेस्ट राजस्थान और स्किल डवलपमेंट सेंटर के निर्माण में निवेश कर एक अध्याय और लिखना चाहिए।  

 गहलोत ने कहा कि जापानी जोन उद्यमियों में चर्चा का विषय रहता है और जापान की 11 कम्पनियों द्वारा किए गए एमओयू से जापान एवं राजस्थान के रिश्ते और ऊंचाई पर जाएंगे। उन्होंने जापान की कम्पनियों से आह्वान किया कि वे पचपदरा में बन रही रिफाइनरी के पैट्रोकैमिकल कॉम्पलैक्स में भी निवेश करें। ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं को भी रोजगार देने के लिये स्किल डवलपमेंट सेंटर खोलें, इनमें जो भी अपेक्षित सहयोग होगा राज्य सरकार द्वारा दिया जायेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि भूतपूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह वर्ष 2005 में जापान यात्रा पर गए थे। इसी दौरान जापानी निवेश, दिल्ली मुम्बई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर (डीएमआईसी) एवं फ्रंट कॉरिडोर की भूमिका तैयार हुई थी। नीमराना स्थित जापानीज जोन भी डीएमआईसी का पार्ट है।

 उन्होनें बताया कि डीएमआईसी राज्य में छह स्थानों पर बनना है। राज्य सरकार की प्राथमिकता है कि सभी स्थानों पर योजनाबद्घ तरीके से काम हो और कॉरिडोर का निर्माण शीघ्र हो। गहलोत ने भारत और जापान के राजनयिक संबंधों को याद करते हुए बताया कि वर्ष 1949 में प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने टोक्यो के चिडिय़ाघर को हाथी उपहार देकर नई दोस्ती की शुरूआत की थी। वर्ष 1952 में राजनयिक संंबंध की स्थापना के बाद भारत एवं जापान के मध्य लगातार मधुर संंबंध रहे। 

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