सेक्स रैकेट का पर्दाफाश, 39 नेपाली लड़कियों को पहाड़गंज के होटल से छुड़ाया

Edited By Updated: 01 Aug, 2018 01:01 PM

18 nepalese girls rescued from south delhi house

ट्राई के चेयरमैन आर एस शर्मा के आधार संबंधी जानकारियां लीक होने के बाद भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकार (यूआइडीएआइ) ने लोगों को सोशल मीडिया साइट और इंटरनेट पर अपना आधार साझा न करने की सलाह दी है...

नई दिल्ली (नवोदय टाइम्स):  दिल्ली महिला आयोग और पुलिस की एक संयुक्त टीम ने पहाडग़ंज के एक होटल से आज सुबह कम से कम 39 नेपाली लड़कियों को मुक्त कराया। महिला आयोग के मुताबिक मानव तस्करी रोधी अभियान देर रात एक बजे से शुरू होकर सुबह छह बजे तक चला। 

महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने ट््िवटर पर इस अभियान की जानकारी दी। उन्होंने ट््वीट किया, ‘‘आयोग को गुप्त सूचना मिली और पहाडग़ंज के होटल ‘ह्रदय इन’ से 39 नेपाली लड़कियों को छुड़ाया गया। रात भर छापेमारी चली और दिल्ली पुलिस ने इसमें सहयोग किया। पूरे होटल में बस नेपाल से लाई गईं लड़कियां थी जिन्हें खाड़ी देशों में भेजा जाना था। मानव तस्करी के एक बड़े गिरोह का भंडाफोड़ हुआ।’ 25 जुलाई के बाद से यह तीसरा ऐसा अभियान है।  

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बताया जाता है कि बनारस पुलिस की अपराध शाखा ने 23 जुलाई 2018 को 18 लड़कियों और महिलाओं को नेपाल से दिल्ली तस्करी करने और उनको खाड़ी देश भेजने की एफआईआर दर्ज की थी। बनारस पुलिस दिल्ली आई और उन्होंने इसकी सूचना दिल्ली पुलिस और महिला आयोग को दी, मौके पर स्वाति मालीवाल भी पहुंची। मैदानगढ़ी में जहां छापा मारा गया वहां इन लड़कियों को कैद में रखा गया था। इस घर से 68 पासपोर्ट जब्त किए गए हैं, जिनमें से 61 नेपाली और 7 भारतीय थे।
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आयोग की अध्यक्षा स्वाति मालीवाल और सदस्या किरण नेगी ने उन लड़कियों से बात की। उन्होंने पहले तो बात करने से मना किया। मगर लड़कियों की काउंसलिंग करने के बाद उन्होंने बताया कि उन्हें नौकरी दिलवाने के नाम पर दिल्ली लाया गया था। इन लड़कियों में से 16 लड़कियां नेपाल से और 2 लड़कियां पश्चिम बंगाल से हैं। लड़कियों का कहना है कि वो बहुत गरीब हैं और नेपाल के भूकंप प्रभावी क्षेत्रों से आती हैं। उनमें से ज्यादातर ने भूकंप में अपने घर और परिवार वालों को खो दिया है। छुडवाई गई लड़कियों की उम्र 18 से 30 साल के बीच है। 
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मानव तस्करी का अड्डा बनी दिल्ली : स्वाति
डीसीडब्ल्यू अध्यक्ष स्वाति ने कहा कि दिल्ली मानव तस्करी का अड्डा बन गई है। डीसीडब्ल्यू को इन रैकेट के बारे में पता चल जाता है, दूसरे राज्यों की पुलिस को इनके बारे में पता चल जाता है, मगर दिल्ली पुलिस सोती रहती है। बनारस पुलिस ने मुझे बताया कि मैदानगढ़ी के इस घर का इस्तेमाल पिछले कुछ वर्षों से लड़कियों की तस्करी के लिए किया जा रहा है। इसके बारे में स्थानीय पुलिस को कैसे पता नहीं होता? मैंने कई बार गृहमंत्री से अनुरोध किया है कि दिल्ली पुलिस की जवाबदेही तय की जाए, मगर वह ऐसा करने में असमर्थ रहे हैं।

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