'न्यायपालिका पर दबाव डालने की कोशिश हो रही', हरीश साल्वे समेत 600 वकीलों ने CJI को लिखी चिट्ठी

Edited By rajesh kumar,Updated: 28 Mar, 2024 03:24 PM

600 lawyers including harish salve wrote a letter to cji

वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और ‘बार काउंसिल ऑफ इंडिया' के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा समेत अनेक वकीलों ने प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि एक निहित स्वार्थ वाला समूह ‘बेकार के तर्कों और घिसे-पिटे राजनीतिक एजेंडा' के आधार पर न्यायपालिका...

 

नेशनल डेस्क: वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे और ‘बार काउंसिल ऑफ इंडिया' के अध्यक्ष मनन कुमार मिश्रा समेत अनेक वकीलों ने प्रधान न्यायाधीश को पत्र लिखकर आरोप लगाया है कि एक निहित स्वार्थ वाला समूह ‘बेकार के तर्कों और घिसे-पिटे राजनीतिक एजेंडा' के आधार पर न्यायपालिका पर दबाव डालने और अदालतों को बदनाम करने का प्रयास कर रहा है। भारत के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ को 26 मार्च को लिखे गए पत्र में कहा गया है, ‘‘उनकी दबाव की रणनीति राजनीतिक मामलों में, विशेषकर उन मामलों में सबसे ज्यादा स्पष्ट होती है जिनमें भ्रष्टाचार की आरोपी राजनीतिक हस्तियां होती हैं। ये रणनीतियां हमारी अदालतों के लिए हानिकारक हैं और हमारे लोकतांत्रिक ताने-बाने को खतरे में डालती हैं।''

'अदालतों को प्रभावित करना मकसद' 
आधिकारिक सूत्रों द्वारा साझा किए गए पत्र में बिना नाम लिए वकीलों के एक वर्ग पर निशाना साधा गया है और आरोप लगाया गया है कि वे दिन में राजनेताओं का बचाव करते हैं और फिर रात में मीडिया के माध्यम से न्यायाधीशों को प्रभावित करने की कोशिश करते हैं। पत्र में कहा गया है कि यह समूह अदालतों के कथित बेहतर अतीत और सुनहरे दौर की झूठी कहानियां बनाता है और इसकी तुलना वर्तमान में होने वाली घटनाओं से करता है। पत्र में दावा किया गया है कि उनकी टिप्पणियों का उद्देश्य अदालतों को प्रभावित करना और राजनीतिक लाभ के लिए उन्हें असहज करना है।

‘न्यायपालिका पर खतरा: राजनीतिक और पेशेवर दबाव से न्यायपालिका को बचाना' शीर्षक वाले पत्र को लिखने वाले करीब 600 अधिवक्ताओं में आदिश अग्रवाल, चेतन मित्तल, पिंकी आनंद, हितेश जैन, उज्ज्वला पवार, उदय होला और स्वरूपमा चतुर्वेदी के नाम शामिल हैं। यूं तो वकीलों ने पत्र में किसी विशिष्ट मामले का उल्लेख नहीं किया है, लेकिन यह घटनाक्रम ऐसे समय में आया है जब अदालतें विपक्षी नेताओं से जुड़े भ्रष्टाचार के कई बड़े आपराधिक मामलों से निपट रही हैं।

विपक्षी दलों ने केंद्र सरकार पर अपने राजनीतिक प्रतिशोध के तहत उनके नेताओं को निशाना बनाने का आरोप लगाया है, वहीं सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने इस आरोप का खंडन किया है। इन विपक्षी पार्टियों ने, जिनमें कुछ जाने-माने वकील भी शामिल हैं, ने दिल्ली आबकारी नीति से जुड़े धनशोधन मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी (आप) के राष्ट्रीय संयोजक अरविंद केजरीवाल की हालिया गिरफ्तारी के खिलाफ हाथ मिलाया है।

'अदालतों के सम्मान और गरिमा पर आघात'
पत्र लिखने वाले वकीलों ने कहा है कि इस समूह ने ‘बेंच फिक्सिंग' की पूरी कहानी गढ़ी है जो न केवल अपमानजनक है बल्कि अदालतों के सम्मान और गरिमा पर आघात है। पत्र के अनुसार, ‘‘ये लोग अपनी अदालतों की तुलना उन देशों से करने के स्तर तक चले गए जहां कानून का कोई शासन नहीं है।'' इन अधिवक्ताओं ने कहा है कि इन आलोचकों का रवैया कुछ ऐसा है कि जिन फैसलों से वे सहमत होते हैं, उनकी तारीफ करते हैं, लेकिन उनकी असहमति वाले किसी भी फैसले की वे अवमानना करते हैं। पत्र के अनुसार, ‘‘यह दोहरा व्यवहार उस सम्मान के लिए नुकसानदायक है जो किसी भी आम आदमी को हमारी कानून प्रणाली के लिए होना चाहिए।''

'हमलों से बचाने के लिए उचित कदम उठाएं जाएं'
इस तरह के बर्ताव के समय पर सवाल उठाते हुए वकीलों ने कहा कि यह सब तब हो रहा है जब देश चुनाव की ओर बढ़ रहा है। पत्र में अधिवक्ताओं ने लिखा है, ‘‘हमें 2018-2019 के इसी तरह के कृत्य याद आते हैं जब उन्होंने गलत विमर्श गढ़ने के साथ ही अपनी ‘हिट एंड रन' गतिविधियों को अंजाम दिया। निजी और राजनीतिक कारणों से अदालतों का अनादर करने और उन्हें गुमराह करने की कोशिशों की किसी भी परिस्थिति में अनुमति नहीं दी जा सकती।'' उन्होंने उच्चतम न्यायालय से मजबूत बने रहने और अदालतों को इन कथित हमलों से बचाने के लिए कदम उठाने का अनुरोध किया। पत्र में लिखा है, ‘‘चुप रहने या कुछ नहीं करने से अंतत: उन लोगों को ताकत मिल सकती है जो नुकसान पहुंचाना चाहते हैं। यह गरिमापूर्ण तरीके से चुप्पी बरतने का समय नहीं है क्योंकि कुछ साल से ऐसे प्रयास हो रहे हैं और लगातार हो रहे हैं।'' उन्होंने कहा कि ऐसे कठिन समय में प्रधान न्यायाधीश का नेतृत्व अहम है।  

 

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