मरने के बाद भी धड़केगा रामभुज का दिल

Edited By ,Updated: 06 Jan, 2015 01:41 PM

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संगम विहार के रामभुज ने मरने के बाद भी पांच लोगों को नई जिंदगी दी है। रामभुज के दिल को एक 13 वर्ष की बच्ची को लगाया गया, जबकि किडनी दो महिलाओं को लगाई गई।

 नई दिल्ली : संगम विहार के रामभुज ने मरने के बाद भी पांच लोगों को नई जिंदगी दी है। रामभुज के दिल को एक 13 वर्ष की बच्ची को लगाया गया, जबकि किडनी दो महिलाओं को लगाई गई।

इसके अलावा लीवर को एक वयस्क एवं एक बच्चे को लगाया गया है।  सबसे खास बात यह है कि एम्स ने पहली बार इतने कम उम्र की बच्ची का हार्ट ट्रासप्लांट किया।

हार्ट ट्रांसप्लांट करने वाले सर्जन डा. बलराम  के मुताबिक यह काफी चुनौती भरा ऑपरेशन था, जिसे करने में काफी समय लगा। एम्स में इस तरह का यह पहला ऑपरेशन हुआ। ऑपरेशन के बाद बच्ची स्वस्थ्य है।
 
फिलहाल, उसे डॉक्टरों की निगरानी में रखा गया है। इसके अलावा किडनी को एम्स के वरिष्ठ डॉक्टर डा. सुबोध एवं डा. वीके बंसल ने ट्रासप्लांट किया। लीवर को आईएलबीएस भेजा गया।
 
एम्स के अंगदान पुन: स्थापना संस्थान (ऑर्बो) के कोआर्डिनेटर राजीव ने बताया कि रोड एक्सिडेंट में गंभीर रूप से घायल रामभुज को 30 दिसंबर को ट्रामा सेंटर में दाखिल किया गया।
 
डॉक्टरों के अथक प्रयास के बाद भी वह नहीं बच सका। दो जनवरी को डॉक्टरों ने रामभुज को ब्रेनडेथ घोषित किया, जिसके बाद हमने मृतक के परिजनों से संपर्क किया।
 
शुरू में परिजन तैयार नहीं हुए, लेकिन बाद में मृतक के भाई किसी को जीवन देने के लिए अंगदान के लिए सहमत हो गए। इसके बाद बिना समय गवाए जरूरतमंद को रामभुज के अंग लगाए गए, जिनके स्वास्थ्य में फिलहाल सुधार देखा जा रहा है।
 
धर्मेंन्द्र के बड़े भाई मनोज ने बताया कि यह हमारे पूरे परिवार के लिए काफी कड़ा फैसला था। अब तगता है कि हमारा भाई मरकर भी जिंदा है। 

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