ग्रेट खली ने सुनाई अपनी कामयाबी की दास्तां

Edited By ,Updated: 05 Mar, 2015 06:48 PM

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विश्व पटल पर फ्री स्टाइल रैसलिंग से धूम मचाने वाले एशिया के पहले इंटरनैशनल रैसलर द ग्रेट खली दिलीप सिंह राणा ने कहा कि कड़ी मेहनत के आगे दुखों के पहाड़ नहीं टिकते।

फरेड़/पालमपुर(सुमेश ठाकुर): विश्व पटल पर फ्री स्टाइल रैसलिंग से धूम मचाने वाले एशिया के पहले इंटरनैशनल रैसलर द ग्रेट खली दिलीप सिंह राणा ने कहा कि कड़ी मेहनत के आगे दुखों के पहाड़ नहीं टिकते। उन्होंने कहा कि अमरीका में अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रैसलिंग की शुरुआत के दौरान उनका जीवन काफी मुफलिसी में गुजरा। न पैसा था, न घर और न गाड़ी। उनकी कई रातें रैसलिंग रिंग में गुजरीं लेकिन कभी हिम्मत नहीं हारी और आगे इसके सकारात्मक परिणाम निकले। 

पंजाब केसरी फरेड़ (पालमपुर) कार्यालय में बातचीत के दौरान द ग्रेट खली ने कहा कि 8 साल के विदेशी प्रवास के दौरान देश की याद हमेशा उनके दिल में रही। रोज वह फोन पर अपनों से बात करते और सबका हालचाल पूछते थे। उन्होंने कहा कि अमरीका की एक रैसङ्क्षलग कंपनी के साथ वह 8 साल तक अनुबंध में रहे और इसी के बैनर तले डब्ल्यू.डब्ल्यू.ई. में लड़े। उन्होंने कहा कि इस दौरान उन्होंने रैसलिंग के अंतर्राष्ट्रीय कारोबार को गहनता से समझा। 

उन्होंने कहा कि डब्ल्यू.डब्ल्यू.ई. के आयोजनों में एक सप्ताह में 4 फाइट होती थीं और इनमें हिस्सा लेने के लिए उन्हें शहर दर शहर यात्राएं करनी पड़ीं। उन्होंने कहा कि विदेश में रैसलिंग से अच्छी कमाई होती है। आयोजकों समेत सभी रैसलर भारी पैसा कमाते हैं। उन्होंने कहा कि देश लौटने के बाद इस कंसैप्ट को आगे बढ़ाते हुए पंजाब में इंटरनैशनल रैसलिंग स्कूल खोला है। संस्थान में प्रतिभाओं को निखारने के लिए एक विदेशी कोच को अप्वाइंट किया गया है। 

 

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