Edited By ,Updated: 31 Mar, 2015 06:20 PM
गुजरात विधानसभा ने आज विवादित आतंकवाद और संगठित अपराध निरोधी विधेयक (जीसीटीआेसी) पारित ...
गांधीनगर: गुजरात विधानसभा ने आज विवादित आतंकवाद और संगठित अपराध निरोधी विधेयक (जीसीटीआेसी) पारित कर दिया जिसके तहत पुलिस को किसी का फोन टैप करके उसे अदालत में बतौर सबूत पेश करने सहित कई नई शक्तियां प्रदान की गई हैं।
गौरतलब है कि राष्ट्रपति इस विधेयक को पहले तीन बार पुनर्विचार के लिए राज्य सरकार को वापस कर चुके हैं। ‘‘गुजरात आतंकवाद और संगठित अपराध नियंत्रण विधेयक, 2015 (जीसीटीआेसी)’ विपक्षी दल कांग्रेस के विरोध के बावजूद सदन में बहुमत से पारित हो गया। इसके विवादित प्रावधानों का विरोध करते हुए कांग्रेस सदन से बहिर्गमन कर गयी। इस विधेयक के अनुसार पुलिस के समक्ष दिया गया बयान अदालत में स्वीकार्य होगा और आरोपपत्र दाखिल करने से पहले जांच के लिए तय 90 दिनों की समय सीमा को बढ़ाकर 180 दिन कर दिया गया है। गुजरात का आंतकवाद-निरोधी विधेयक वर्ष 2004 से तीन बार राष्ट्रपति की मंजूरी पाने में असफल रहा है।
उस दौरान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी गुजरात के मुयमंत्री हुआ करते थे। बाद में गुजरात सरकार ने इस विधेयक के विवादित प्रावधानों को बनाए रखते हुए इसे ‘गुजरात संगठित अपराध नियंत्रण’ विधेयक के नाम से पेश किया। कांग्रेस नेताओं शंकरसिंह वघेला और शक्तिसिंह गोहिल ने इस विधेयक से कुछ प्रावधानों को हटाने की बात कही है, जैसा कि राष्ट्रपति ने कहा था। सामाजिक कार्यकर्ताओं जैसे मेधा पाटकर ने भी इसकी आलोचना करते हुए कहा कि इसके गंभीर परिणाम होंगे। उन्होंने कहा, ‘‘लोगों के अधिकारों के लिए यह बहुत खतरनाक स्थिति है।’’