'कांग्रेस-भाजपा की मिलीभगत से गिरी बाबरी मस्जिद'

Edited By ,Updated: 02 Jul, 2015 08:14 PM

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उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने गुरुवार को दावा किया कि कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (सपा) की मिलीभगत से अयोध्या में विवादित ढांचा (बाबरी मस्जिद) गिराई गई।

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी (सपा) के राष्ट्रीय महासचिव प्रोफेसर रामगोपाल यादव ने गुरुवार को दावा किया कि कांग्रेस और भारतीय जनता पार्टी (सपा) की मिलीभगत से अयोध्या में विवादित ढांचा (बाबरी मस्जिद) गिराई गई। उन्होंने कहा कि कांग्रेस अगर चाहती तो सदियों पुरानी यह मस्जिद जमींदोज होने से बच सकती थी। रामगोपाल ने कहा कि अयोध्या में जब भाजपा, शिवसेना, आरएसएस, विश्व हिंदू परिषद और बजरंग दल के लोग बाबरी मस्जिद को ढहाने में जुटे हुए थे, उस वक्त तत्कालीन प्रधानमंत्री पी.वी. नरसिंह राव अपने शयनकक्ष में आराम फरमा रहे थे।

एक पुस्तक के विमोचन अवसर पर उन्होंने कहा कि कांग्रेस और भाजपा में मिलीभगत थी, इसी कारण अयोध्या में हजारों की संख्या में मौजूद केंद्रीय सुरक्षा बलों को मस्जिद गिराने वालों पर कार्रवाई करने का आदेश नहीं दिया गया। प्रो. यादव ने यह भी दावा किया कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी पार्टी नेता लालकृष्ण आडवाणी की रथयात्रा के पक्ष में नहीं थे। आडवाणी का रथ जब भोपाल पहुंचा तो उसी शहर में रहते हुए भी वाजपेयी उसमें शामिल नहीं हुए थे।
 
पुस्तक ‘संघर्ष के प्रयोग’ प्रो. रामगोपाल यादव के 45 चुनिंदा भाषणों का संग्रह है। इस पुस्तक का संकलन और संपादन वरिष्ठ पत्रकार राधेकृष्ण और दिनेश शाक्य ने मिलकर किया है। इस पुस्तक की प्रस्तावना उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान के कार्यकारी अध्यक्ष और राज्यसभा के पूर्व सदस्य उदय प्रताप सिंह ने लिखी है। 340 पृष्ठों की इस पुस्तक का प्रकाशन अमर फाउंडेशन और आर एंड डी एसोसिएट्स ने किया है। इस पुस्तक में ‘कांग्रेस-भाजपा की मिलीभगत से बाबरी मस्जिद गिरी’ शीर्षक से प्रो. रामगोपाल का एक भाषण है। इसमें उन्होंने कहा है कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद विध्वंस के लिए जितनी दोषी भारतीय जनता पार्टी है, उतनी ही दोषी कांग्रेस पार्टी भी है। 
 
इस भाषण में प्रो. यादव ने कहा कि बाबरी मस्जिद विध्वंस के दौरान प्रधानमंत्री कार्यालय में तैनात रहे एक वरिष्ठ अधिकारी को भाजपा ने केंद्र की सत्ता में आने पर राज्यपाल बनाकर इनाम दिया था। प्रो. रामगोपाल के अनुसार, प्रधानमंत्री कार्यालय का यही अधिकारी पी.वी. नरसिंह राव और भाजपा-आरएसएस के नेताओं के बीच मध्यस्थ का काम कर रहा था। अयोध्या में 6 दिसंबर, 1992 को जब बाबरी मस्जिद गिराई जा रही थी, तो यही अधिकारी पीएमओ में बैठकर अयोध्या से मिल रही पल-पल की खबर प्रधानमंत्री तक पहुंचा रहा था।
 
एक भाषण में रामगोपाल यादव ने कहा है कि 6 दिसंबर, 1992 को अगर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव होते तो बाबरी मस्जिद कतई न गिरती। भाजपा और उसके सहयोगी संगठनों ने दो बार पहले भी बाबरी मस्जिद को गिराने की कोशिश की थी, लेकिन तब उत्तर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने सख्ती बरत कर उनके नापाक इरादों को कामयाब नहीं होने दिया था।
 
इस पुस्तक में देश के अलग-अलग स्थानों पर दिए गए प्रो. यादव के जिन 45 भाषणों को शामिल किया गया है, उनका संबंध जन सामान्य, किसान, गरीब, मजदूर, लोकतंत्र की रक्षा, पर्यावरण संरक्षण, जाति एवं वर्ग के शोषण से मुक्त भारत का निर्माण, विदेश नीति, धर्म निरपेक्षता, महिला अधिकारों की सुरक्षा आदि विषयों से है। साथ ही इसमें देश की अर्थनीति, विदेशों में जमा कालाधन, हिंदुस्तान में दिन-ब-दिन विकराल होती जा रही जल समस्या, पड़ोसी देशों से सीमा विवाद, आतंकवाद और नक्सली समस्या पर दिए गए उनके भाषणों को भी जगह दी गई है।
 
पिछले दो दशक से ज्यादा समय से लोकसभा और राज्यसभा में निरंतर सक्रिय रहे प्रो. रामगोपाल ने 11 सितंबर, 2005 को चित्रकूट में दिए एक भाषण में कहा है कि आर्थिक उदारीकरण का सबसे ज्यादा खामियाजा देश के गरीबों, मझोले उद्योग-धंधों को भुगतना पड़ा है। मल्टीनेशनल कंपनियों ने देश के उद्योग-धंधों को तबाह करके रख दिया है। उन्होंने कहा है, ‘‘नई आर्थिक नीति के चलते देश में अमीर और गरीब के बीच की खाई बहुत ज्यादा गहरी हुई है। नई आर्थिक नीति की गलतियों के कारण हम कृषि, उद्योग, स्वास्थ्य समेत सभी क्षेत्रों में निरंतर पिछड़ते चले जा रहे हैं। आर्थिक उदारीकरण से सिर्फ मुट्ठीभर अमीर लोगों को फायदा पहुंचा है।’’

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