आयुष्मान भारत योजना से मौत के मुंह में पहुंचा एक बच्चा, पिता ने की PM मोदी से भावुक अपील

Edited By Anil dev,Updated: 06 Nov, 2019 11:18 AM

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साहब! ... अगर मालूम होता कि प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना का यह गोल्डन कार्ड मेरे बच्चे की जान पर भारी पड़ जाएगा, तो कभी पंजीकरण के लिए दौड़-भाग नहीं करता। अपने बीमार बच्चे के उपचार के लिए लाचार एक पिता ने नम आंखों से अपनी बेचारगी जाहिर की।...

नई दिल्ली: साहब! ... अगर मालूम होता कि प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत योजना का यह गोल्डन कार्ड मेरे बच्चे की जान पर भारी पड़ जाएगा, तो कभी पंजीकरण के लिए दौड़-भाग नहीं करता। अपने बीमार बच्चे के उपचार के लिए लाचार एक पिता ने नम आंखों से अपनी बेचारगी जाहिर की। दरअसल, बिहार के वैशाली जिले के निवासी विश्वनाथ पांडे के छोटे बेटे पंकज कुमार (16) एक साल से अप्लास्टिक एनीमिया (बोनमैरो से संबंधित गंभीर रोग) से पीड़ित है। 

बेटे के इलाज के लिए पिता ने लगा दी जिंदगी भर की पूंजी
अपने छोटे बेटे के उपचार में विश्वनाथ ने जिंदगी भर की अपनी जमा-पूंजी लगा दी। पुरखों की मेहनत से हासिल जमीन का एक छोटा टुकड़ा बचा था, उसने अपने आंखों के तारे के लिए वह भी बेच दिया। पेशे से दिहाड़ी मजदूर विश्वनाथ ने उसे बचाने के लिए चार लाख रुपए खर्च कर दिए। अब विश्वनाथ के पास रहने के लिए महज एक घर बचा है। इससे पहले वह अपने बड़े बेटे को पढ़ा रहे थे। बच्चे ने 10वीं तक पढ़ाई भी कर ली थी। 
 

परिवार पर आई अचानक इस मुसीबत से न केवल उनका सपना टूट गया बल्कि भविष्य की उम्मीद भी तब खत्म हो गई। जब बड़े बेटे की पढ़ाई छुड़वाकर दिहाड़ी मजबूरी करवानी पड़ रही है। देश में किसी परिवार का एक सदस्य भी किसी गंभीर बीमारी की चपेट में आ जाए, तो किस कदर एक परिवार उपचार कराते हुए तबाह हो जाता है, विश्वनाथ और उसका परिवार इसका जीता-जागता मिसाल है। यह हाल केवल विश्वनाथ का ही नहीं बल्कि आयुष्मान भारत योजना में लाभ के लिए योग्य कई अन्य बीपीएल कार्ड धारियों का भी है। 


एम्स ने स्वास्थ्य मंत्रालय के सामने उठाया है मामला  
एम्स के एक अधिकारी के मुताबिक संबंधित समस्या को लेकर पहले ही प्रशासन ने केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्रालय को पत्र लिखकर जानकारी दी थी लेकिन उनकी ओर से अभी तक इस मामले में प्रतिक्रिया नहीं दी गई। ऐसे में इस तरह के मरीजों के उपचार को लेकर पसोपेश की स्थिति बन जाती है। बताया गया कि इस मामले में एम्स प्रशासन मरीज की सहायता के लिए कोशिश में जुटा है लेकिन तकनीकी समस्याएं आड़े आ रही हंै।


आयुष्मान भारत का गोल्डन कार्ड बना उपचार में बाधा 
बतौर विश्वनाथ अभी कुछ महीने पहले ही आयुष्मान भारत योजना के तहत गोल्डन कार्ड मिला था। जानकारों के मुताबिक बीपीएल कार्डधारियों को राष्ट्रीय स्वास्थ्य निधि से स्वास्थ्य सहायता और उपचार के तौर पर सलाना 15 लाख रुपए तक की सहायता राशि का प्रावधान है लेकिन पेंच तब फंस गया, जब संबंधित विभागों ने उनकी याचिका यह कहकर खारिज कर दी कि वे आयुष्मान भारत के लाभार्थी हैं और ऐसे में अब बीपीएल कार्ड के तहत निर्धारित राशि का लाभ उन्हें नहीं मिल सकता। 


आयुष्मान भारत योजना के तहत नहीं हो सकता उपचार  
विश्वनाथ ने बताया कि वह गत पांच महीनों से एम्स नई दिल्ली के चक्कर लगा रहे हैं। डॉक्टरों ने तमाम जांच पड़ताल के बाद डॉक्टरों ने मरीज में बोनमैरो प्रत्यारोपण सहित तमाम उपचार के लिए 12 लाख का खर्च बताया। उन्हें तमाम कागजी खानापूर्ति के बाद बताया गया कि बच्चे को स्टेम सेल प्रत्यारोपण की जरूरत है लेकिन आयुष्मान भारत योजना के तहत सालाना महज 5 लाख रुपए ही निर्धारित किए गए हैं। 


मिले महज 3 लाख 
सांसद नित्यानंद राय (हाजीपुर) ने इससे संबंधित एक पत्र प्रधानमंत्री कार्यालय को भेजा। जहां से बेटे के उपचार के लिए महज 3 लाख रुपए ही जारी किए गए।
 

अप्लास्टिक एनीमिया 
अप्लास्टिक एनीमिया एक ऐसी स्थिति है जो तब होती है जब शरीर पर्याप्त मात्रा में नई रक्त कोशिकाओं का उत्पादन करना बंद कर देता है। अप्लास्टिक एनीमिया में मरीज को थकावट महसूस होती है। वहीं, संक्रमण और अनियंत्रित रक्तस्राव का उच्च जोखिम बना रहता है। 

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