कोलकत्ता HC का बड़ा फैसला, 2010 के बाद जारी सभी OBC सर्टिफिकेट रद्द

Edited By Utsav Singh,Updated: 22 May, 2024 05:18 PM

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कलकत्ता हाई कोर्ट ने बुधवार को 2010 के बाद से जारी सभी ओबीसी प्रमाणपत्रों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इस समय गया ओबीसी प्रमाणपत्र कानून के पूर्ण अनुपालन में नहीं बनाया गया था।

पश्चिम बंगाल : कलकत्ता हाई कोर्ट ने बुधवार को 2010 के बाद से जारी सभी OBC प्रमाणपत्रों को यह कहते हुए खारिज कर दिया कि इस समय गया ओबीसी प्रमाणपत्र कानून के पूर्ण अनुपालन में नहीं बनाया गया था। जज तपब्रत चक्रवर्ती और राजशेखर मंथा की खंडपीठ ने ओबीसी प्रमाणपत्र देने की प्रक्रिया को चुनौती देने वाली एक जनहित याचिका पर यह फैसला सुनाया। ओबीसी लिस्ट के रद्द होने से करीब 5 लाख ओबीसी सर्टिफिकेट रद्द होने वाले हैं। कार्ट ने निर्देश दिया कि पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम 1993 के आधार पर ओबीसी की नई सूची पश्चिम बंगाल पिछड़ा वर्ग आयोग तैयार करेगी।

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नौकरी पा चुके हैं या नौकरी पाने की प्रक्रिया वाले को राहत
कोर्ट ने कहा कि फैसला सुऩाए जाने के बाद अब प्रमाणपत्र का इस्तेमाल रोजगार प्रक्रिया में नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने उन लोगों को राहत दी है, जो इस प्रमाणपत्र का उपयोग करके नौकरी पा चुके हैं या नौकरी पाने की प्रक्रिया में हैं।उनलोगों पर इस फैसले का कोई भी असर नहीं होगा। हाई कोर्ट का यह कहना है कि 2010 के बाद जितने भी ओबीसी सर्टिफिकेट बनाए गए हैं, वे कानून के मुताबिक ठीक से नहीं बनाए गए हैं। हाई कोर्ट ने 2012 में दायर एक मामले के आधार पर यह आदेश दिया। इस मामले में वादियों की ओर से दो वकील सुदीप्त दासगुप्ता और विक्रम बनर्जी अदालत में पेश हुए।

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HC का आदेश केवल TMC के समय से जारी...
उन्होंने कहा कि वाम मोर्चा सरकार ने 2010 में एक अंतरिम रिपोर्ट के आधार पर पश्चिम बंगाल में 'अन्य पिछड़ा वर्ग' बनाया था। उस कैटेगरी को 'ओबीसी-ए' नाम दिया गया। संयोग से तृणमूल कांग्रेस 2011 से राज्य में सत्ता में आई है। नतीजतन, अदालत का आदेश केवल तृणमूल के समय में जारी ओबीसी प्रमाण पत्र पर प्रभावी होगा

 

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