भाजपा ने ताश के पत्तों की तरह छांटे टिकट, पिछली बार चुने गए 116 सांसद चुनाव मैदान से बाहर

Edited By Mahima,Updated: 27 Mar, 2024 10:42 AM

bjp sorted the tickets like cards

लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी सत्ताधारी पार्टी भाजपा ने देश की सियासत में नया प्रयोग करते हुए 2019 में चुने गए अपने 116 सांसदों की टिकट काट दी है। 2019 में संसद में पहुंचे ये नेता 2024 के चुनाव में नजर नहीं आएंगे।

नेशनल डेस्क (नरेश कुमार):  लोकसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी सत्ताधारी पार्टी भाजपा ने देश की सियासत में नया प्रयोग करते हुए 2019 में चुने गए अपने 116 सांसदों की टिकट काट दी है। 2019 में संसद में पहुंचे ये नेता 2024 के चुनाव में नजर नहीं आएंगे। इनके अलावा मंडी से 2019 में चुने गए भाजपा के सांसद राम स्वरूप शर्मा और हरियाणा के अंबाला से चुने गए सांसद रतन लाल कटारिया का निधन हो गया था, लिहाजा इन दो सीटों पर भी उम्मीदवार बदले गए हैं।

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जिन सांसदों का टिकट कटा है, उनमें से वे 19 सांसद भी शामिल हैं, जिन्हें पिछले साल राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के विधानसभा चुनाव के दौरान मैदान में उतारा गया था। इन चुनावों में पार्टी के दो सांसद फग्गन सिंह कोलस्ते और गणेश सिंह हार गए थे, लेकिन उन्हें एक बार फिर लोकसभा चुनाव में उतारा गया है। भाजपा ने अब लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों की कुत्त सूचियां जारी की हैं, भाजपा द्वारा उम्मीदवारों की घोषणा की शुरूआत 2 मार्च को की गई थी और 26 मार्च तक भाजपा 405 उम्मीदवारों की घोषणा कर चुकी है। पिछले चुनाव के दौरान भाजपा ने 436 सौटों पर उम्मीदवार मैदान में उतारे थे, जिनमें से 303 उम्मीदवार विजयी रहे थे। 51 सीटों पर भाजपा की जमानत जब्त हुई थी।

फिलहाल पार्टी ने पंजाब, उत्तर प्रदेश की कुछ सीटों व जम्मू-कश्मीर सहित कई अन्य राज्यों में उम्मीदवारों की घोषणा करनी है, लिहाजा आने वाले दिनों में कुछ और सांसदों का पत्ता भी कट सकता है। भाजपा इस चुनाव में 450 सीटों पर उम्मीदवार उतारने की योजना बना रही है, इस लिहाज से भाजपा आने बाले कुछ दिनों में 45 उम्मीदवारों की घोषणा कर सकती है। अब तक भाजपा द्वारा प्रेषित की गई टिकटों से लग रहा है कि भाजपा की आलाकमान ताश के पत्तों की तरह सांसदों के टिकट छांट रही है। 

9 मंत्री भी चुनाव मैदान से बाहर
भारतीय जनता पार्टी ने पिछले साल के अंत में मध्य प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के विधानसभा चुनाव के दौरान अपने कुछ केंद्रीय मंत्रियों के अलावा कई सांसदों को मैदान में उतारा था। इनमें से नरेंद्र सिंह तोमर, प्रहलाद सिंह पटेल व रेणका सिंह, राज्यवर्द्धन राठौर, बाबा बालक नाथ, दीया कुमारी, किरोड़ी लाल मीणा व रीति पाठक सहित 11 सांसद चुनाव जीत गए थे और अब वे विभिन्न राज्यों में विधायक व मंत्री बन गए हैं। लिहाजा उनकी जगह नए चेहरे चुनाव मैदान में उतरे हैं। भाजपा ने इनके अलावा भी अन्य कई मंत्रियों के टिकट काटे हैं।

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6 पूर्व मुख्यमंत्री मैदान में
भाजपा ने बदली रणनीति के तहत अपने 6 पूर्व मुख्यमंत्रियों को भी मैदान में उतारा है। मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, त्रिपुरा के पूर्व मुख्यमंत्री विपलव कुमार देव, असम के पूर्व मुख्यमंत्री सर्वानंद सोनोवाल, कर्नाटका के पूर्व मुख्यमंत्री बी.एस. बोमई व जगदीश शेट्टार को भी मैदान में
उत्तारा गया है।

राज्यसभा के हैवीवेट मैम्बर भी मैदान में
भाजपा ने इस चुनाव में राज्यसभा में मौजूद अपने कई हैवीवेट मैग्बरों को लोकसभा चुनाव के मैदान में उतार दिया है। राज्यसभा के रास्ते इनमें से कई सांसद केंद्र में मंत्री भी हैं। पियूष गोयल को मुम्बई नार्थ सीट से मैदान में उतारा गया है, जबकि मनसुख माडविया पोरबंदर, राजीव चंद्र शेखर तिरुवनंतपुरम, वी. मुरलीधरन आटिंगल, पुरुषोत्तम रुपाला राजकोट, भूपेंद्र यादव अलवर, अनिल बलूनी गढ़वाल, ज्योतिरादित्य सिंधिया गुना, सर्वानंद सोनीवल डिब्रूगढ़, बिपलव कुमार देव त्रिपुरा पश्चिम, सरोज पांडे कोरवा, एल मरुगन नीलगिरि, विवेक ठाकुर नवादा सीटों से चुनाव मैदान में किस्मत आजाएंगे।

कांग्रेस के साथ सीधे मुकाबले वाले राज्यों में काटे ज्यादा टिकट 
भाजपा ने उम्मीदवारों के चयन के मामले में उन राज्यों का खास तौर पर ध्यान रखा है जहाँ पिछले चुनाव के दौरान उसने जबरदस्त जीत हासिल की थी और जिन राज्यों में वह कांग्रेस के साथ सीधे मुकाबले में हैं। पार्टी ने गुजरात के 25 में से 13, मध्य प्रदेश के 14, राजस्थान के 14 कर्नाटक के 10, छत्तीसगढ़ के 7, हरियाणा के 6 असम के 5, उम्मीदवारों के अलावा हिमाचल और उत्तराखंड में 2-2 उम्मीदवारों के टिकट काटे गए हैं। पार्टी ने अपने सांसदों के खिलाफ गुस्से को कम करने के लिए यह रणनीति अपनाई है।

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भाजपा ने 66 महिला उम्मीदवारों को भी मैदान में उतारा  
भाजपा द्वारा अब तक जारी की गई 405  उम्मीदवारों की सूची में 66 महिलाओं को भी टिकट दिया गया है। भाजपा द्वारा उतारे गए कुल उम्मीदवारों में महिलाओं की संख्या 16 प्रतिशत बनती है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जब देश की नई संसद का उदघाटन किया था ती उसमें पहला बिल महिला आरक्षण विधेयक लाया गया था और उसे पारित कर दिया गया है। इस नए बिल के प्रावधानों के मुताबिक देश में सीटों के परिसीमन के बाद होने वाले अगले चुनावों में 33 फीसदी महिला सदस्य चुनकर संसद में पहुंचेंगी।

लेकिन यदि भविष्य की रणनीति के लिहाज से देखें तो देश की सबसे बड़ी पार्टी द्वारा घोषित की गई महिला उम्मीदवारों की संख्या उम्मीद से कम लग रही है। महिला आरक्षण विधेयक के बाद माना जा रहा था कि भाजपा इस चुनाव में बड़े पैमाने पर महिलाओं को टिकट देगी क्योंकि भाजपा के सारे चुनाव प्रचार की रूपरेखा महिलाओं को फोकस पर रखकर ही बनाई गई है। फिलहाल लोकसभा में भारतीय जनता पार्टी की 38 महिला सांसद हैं। ये 17वीं लोकसभा में चुनकर आई 76 महिला सांसदों का 50 प्रतिशत बनता है। पिछले चुनाव के दौरान तृणमूल कांग्रेस और बीजू जनता दल ने इस मामले में बाजी मार ली थी और इन पार्टियों द्वारा करीब 40 फीसदी महिलाओं को टिकट दिए गए थे।

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