Edited By Radhika,Updated: 27 Aug, 2025 06:20 PM

हम अक्सर इस्तेमाल की हुई प्लास्टिक की बोतलें और कचरा यूं ही सड़कों और गलियों में फेंक देते हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर शहर में एक कैफे ने इसी समस्या का एक शानदार समाधान खोजा है।
नेशनल डेस्क: हम अक्सर इस्तेमाल की हुई प्लास्टिक की बोतलें और कचरा यूं ही सड़कों और गलियों में फेंक देते हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ के अंबिकापुर शहर में एक कैफे ने इसी समस्या का एक शानदार समाधान खोजा है। यहां एक अनोखा 'गार्बेज कैफे' खोला गया है, जहां प्लास्टिक कचरे के बदले मुफ्त में पौष्टिक खाना दिया जाता है। इस पहल ने एक साथ दो बड़ी समस्याओं - प्लास्टिक प्रदूषण और भूखमरी - को हल करने का काम किया है।

कैसे काम करता है 'गार्बेज कैफे'?
यह अनूठी पहल अंबिकापुर नगर निगम द्वारा साल 2019 में 'स्वच्छ भारत' अभियान को बढ़ावा देने के लिए शुरू की गई थी। इसका मुख्य उद्देश्य पर्यावरण को साफ करना और बेघर व गरीब लोगों को खाना उपलब्ध कराना है। इस कैफे में कचरे के बदले खाने का एक साधारण नियम है:
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1 किलो (1000 ग्राम) प्लास्टिक जमा करने पर एक भरपेट और पौष्टिक थाली मिलती है।
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आधा किलो (500 ग्राम) प्लास्टिक जमा करने पर सुबह का नाश्ता, जैसे वड़ा पाव या समोसा दिया जाता है।
यह पहल इतनी सफल रही है कि अंबिकापुर में प्लास्टिक कचरे का ढेर काफी कम हो गया है।
क्यों खास है यह कैफे?
'गार्बेज कैफे' की यह अनोखी पहल कई कारणों से खास है:

पर्यावरण की सुरक्षा
यह कैफे लोगों को प्लास्टिक कचरा इकट्ठा करने के लिए प्रेरित करता है, जिससे प्लास्टिक आसानी से रीसाइक्लिंग के लिए भेजा जा सकता है। इस पहल ने अंबिकापुर शहर को साफ और हरा-भरा बनाने में मदद की है।
भूख की समस्या का समाधान
यह कैफे उन लोगों के लिए किसी वरदान से कम नहीं है जो गरीबी के कारण भूखे पेट सोने को मजबूर हैं। यह उन लोगों को खाना उपलब्ध कराता है जो कचरा बीनकर अपना जीवन यापन करते हैं, जिससे उनकी मेहनत का सही मोल मिल पाता है। 'गार्बेज कैफे' एक बेहतरीन सोच और जन कल्याण के लिए एक नेक कदम का उदाहरण है। यह साबित करता है कि अगर इरादे नेक हों तो रास्ते खुद ब खुद बन जाते हैं।