केंद्र ने SC में कहा-बिल्लियों की तरह लड़ रहे थे CBI के टॉप अधिकारी, बना मजाक

Edited By Seema Sharma,Updated: 06 Dec, 2018 05:37 AM

cbi director took alok verma s rights did not transfer attorney general

सुप्रीम कोर्ट ने अधिकार छीने जाने और छुट्टी पर भेजे जाने के केंद्र सरकार के निर्णय के खिलाफ सीबीआई निदेशक आलोक वर्मा की याचिका पर सुनवाई की। केंद्र सरकार की तरफ कोर्ट में पेश हुए अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने कहा कि वर्मा का ट्रांसफर

नई दिल्ली:केंद्र ने केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) के दो शीर्ष अधिकारियों आलोक वर्मा और राकेश अस्थाना के बीच छिड़ी जंग में हस्तक्षेप करने की कार्रवाई को बुधवार को आवश्यक बताते हुए कहा कि इनके झगड़े की वजह से देश की प्रतिष्ठित जांच एजेन्सी की स्थिति बेहद हास्यास्पद हो गई थी। चीफ जस्टिस, जस्टिस संजय किशन कौल और जस्टिस के.एम. जोसफ की पीठ के समक्ष केन्द्र की ओर से अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने अपनी बहस जारी रखते हुए कहा कि इन अधिकारियों के झगड़े से जांच एजेन्सी की छवि और प्रतिष्ठा प्रभावित हो रही थी। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि केन्द्र का मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि जनता में इस प्रतिष्ठित संस्थान के प्रति भरोसा बना रहे।
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अटॉर्नी जनरल वेणुगोपाल की दलील

  • हमारा मुख्य उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि देश की इस प्रमुख जांच एजेन्सी में जनता का भरोसा बहाल हो।
  • जांच एजेन्सी के निदेशक और विशेष निदेशक के बीच विवाद इस प्रतिष्ठित संस्थान की निष्ठा और प्रतिष्ठा को ठेस पहुंचा रहा था।
  • वर्मा और अस्थाना के बीच संघर्ष ने अभूतपूर्व और असाधारण स्थिति पैदा कर दी थी।
  • दो अधिकारियों के बीच खींचतान में केंद्र का दखल देना और कार्रवाई करना बिल्कुल जरूरी था।
  • भारत सरकार अचंभित होकर देख रही थी कि ये दोनों अधिकारी क्या कर रहे हैं, वे बिल्लियों की तरह लड़ रहे थे। 
  • जांच ब्यूरो के निदेशक और विशेष निदेशक के बीच विवाद इस प्रतिष्ठित संस्थान की निष्ठा और सम्मान को ठेस पहुंचा रहा था।
  • दोनों अधिकारियों के बीच चल रही इस लड़ाई ने अभूतपूर्व और असाधारण स्थिति पैदा कर दी थी। ऐसी स्थिति में सरकार के लिए इसमें हस्तक्षेप करना बेहद जरूरी हो गया था।
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    सुप्रीम कोर्ट आलोक वर्मा को जांच ब्यूरो के निदेशक के अधिकारों से वंचित करने और उन्हें अवकाश पर भेजने के सरकार के निर्णय के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई कर रही है। इस मामले में गैर सरकारी संगठन कॉमन कॉज, लोकसभा में विपक्ष की सबसे बड़ी पार्टी कांग्रेस के नेता मल्लिकार्जुन खडग़े और अन्य ने भी याचिका एवं आवेदन दायर कर रखे हैं। इस मामले में बहस आज भी अधूरी रही और सुनवाई गुरुवार यानि 5 दिसंबर तक के लिए टाल दी गई। बता दें कि आलोक वर्मा का दो साल का कार्यकाल 31 जनवरी, 2019 को समाप्त हो रहा है।
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