CBSE, ICSE की असेसमेंट स्कीम को SC से मिली हरी झंडी, रोक लगाने की मांग वाली याचिकाएं खारिज

Edited By Yaspal,Updated: 22 Jun, 2021 05:58 PM

cbse icse s assessment scheme gets green signal from sc

कोरोना वायरस महामारी ने बोर्ड के एग्जाम को भी प्रभावित किया है। कई शिक्षा बोर्ड अपनी परीक्षाएं रद्द कर चुके हैं और छात्रों को रिजल्ट के लिए असेसमेंट स्कीम लेकर आए हैं। सीबीएसई और आईसीएसई भी बोर्ड परीक्षाओं को रद्द करके असेसमेंट स्कीम पर काम चल रहा

नेशनल डेस्कः कोरोना वायरस महामारी ने बोर्ड के एग्जाम को भी प्रभावित किया है। कई शिक्षा बोर्ड अपनी परीक्षाएं रद्द कर चुके हैं और छात्रों को रिजल्ट के लिए असेसमेंट स्कीम लेकर आए हैं। सीबीएसई और आईसीएसई भी बोर्ड परीक्षाओं को रद्द करके असेसमेंट स्कीम पर काम चल रहा है। लेकिन, इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दाखिल की गई थीं, जिन्हें सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को सुनवाई के बाद खारिज कर दिया। CBSE और ICSE द्वारा बोर्ड की परीक्षाओं को रद्द करने के फैसले को चुनौती देने वाली याचिकाओं को खारिज करने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने इन बोर्ड्स की असेसमेंट स्कीम को भी हरी झंडी दे दी है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि 20 लाख बच्चे परीक्षा में बैठेंगे। इसके लिए संसाधनों का इंतजाम भी करना होगा। इस बात की कौन जिम्मेदारी लेगा? ये भी पता नहीं है कि परीक्षा हो भी पाएगी या नहीं। बोर्ड ने छात्रों की बात सुनकर ही ये फैसला लिया है कि परीक्षा को रद्द किया जाए और इस स्कीम पर अदालत ने भी मुहर लगाई है। अब हम इसी पर रहना चाहते हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने याचिकाकर्ता से कहा कि परीक्षा तो रखी गई है। यदि आप उपस्थित होना चाहते हैं तो आप हो सकते हैं यदि आप परीक्षा देने के इच्छुक हैं तो आप दे सकते हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हम परीक्षा रद्द करने के निर्णय का समर्थन कर चुके हैं।

सुप्रीम कोर्ट ने CBSE और CICSE बोर्ड की 12वीं की परीक्षा के लिए दायर याचिका को खारिज करते हुए कहा कि ये मांग संभव नहीं है और इससे अनिश्चितता फैलेगा।

दरअसल, सुनवाई के दौरान विकास सिंह के सुझाव पर कोर्ट ने एजी से पूछा था कि क्या छात्रों को शुरू में ही मौका नहीं दिया जा सकता था कि वो लिखित परीक्षा या आंतरिक मूल्यांकन में से कोई एक विकल्प चुन लें? 

इस पर AG के के वेणुगोपाल ने कहा कि ये सुझाव छात्रों के हित में नहीं है। स्कीम के तहत छात्रों को दोनों विकल्प मिल रहा है। अगर वो आंतरिक मूल्यांकन में मिले नंबरों से संतुष्ट नहीं होंगे, तो लिखित परीक्षा का विकल्प चुन सकते हैं। लेकिन अगर वो सिर्फ लिखित परीक्षा चुनते हैं, तो फिर आंतरिक मूलयांकन में मिले नंबर नहीं गिने जाएंगे।

बाद में जस्टिस महेश्वरी ने भी कहा कि शुरुआत में छात्रों को ये अंदाजा ही नहीं होगा कि उन्हें आंतरिक मूल्यांकन में कितने नम्बर मिलेंगे। लिहाजा लिखित परीक्षा /आतंरिक मूलयांकन में से एक को चुनना उनके लिए भी मुश्किल होगा।


बता दें कि याचिकाकर्ता की ओर से विकास सिंह ने कहा था कि अगर परीक्षा करना संभव नहीं है तो पहले ही छात्रों को ये विकल्प दिया जाना चाहिए था कि वो लिखित परीक्षा देना चाहते हैं या सीबीएसई या ICSE की इंटरनल मार्किंग स्कीम चुनना चाहते हैं।

 

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