चीन ने जताई इच्छा- शांति और विकास के लिए भारत-पाक मिला लें हाथ

Edited By Tanuja,Updated: 19 Oct, 2019 06:17 PM

chinese envoy says china wants india and pakistan to join hands

भारत और पाकिस्तान को लेकर चीन का एक बड़ा बयान सामने आया है । चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के भारत दौरे दौरान...

बीजिंगः भारत और पाकिस्तान को लेकर चीन का एक बड़ा बयान सामने आया है । चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग के भारत दौरे दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के बीच हाल ही में संपन्न अनौपचारिक वार्ता पर बात करते हुए भारत में चीनी राजदूत सुन वीदोंग ने कहा कि भारत एक प्रमुख देश है और चीन चाहता है कि क्षेत्र में शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने के लिए भारत और पाकिस्तान के संबंधों में सुधार हो। उन्होंने सलाह दी कि इसके लिए दोनों देश आपस में हाथ मिला लें।

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चीनी राजदूत ने जोर देकर कहा कि वह ईमानदारी से भारत, चीन और पाकिस्तान के साथ-साथ भारत और पाकिस्तान के बीच अच्छे संबंधों की आशा करते हैं। उन्होंने कहा कि कि क्षेत्र के देशों को क्षेत्रीय शांति और स्थिरता को बढ़ावा देने और विकास और समृद्धि को साकार करने में हाथ मिलाना चाहिए।' बता दें कि चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग के भारत दौरे से पहले पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने सेना प्रमुख के साथ बीजिंग का भी दौरा किया था और अपनी मुलाकात के दौरान कश्मीर के मुद्दों को उठाया था। हालांकि, भारत ने लगातार इस बात पर जोर दिया है कि आतंक के चलते रहते पाकिस्तान से वार्ता नहीं की जाएगी।

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गौरतलब है कि फरवरी में पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच संबंध तनावपूर्ण हो गए थे, जिसमें सीआरपीएफ के 40 जवान मारे गए थे। पाकिस्तान स्थित जैश-ए-मोहम्मद ने हमले की जिम्मेदारी ली, जिसके बाद भारत ने 26 फरवरी को हवाई हमले में बालाकोट में पाकिस्तान में आतंकी शिविर तबाह कर दिया। इसके बाद भारत और पाकिस्तान दोनों देशों के बीच संबंधों में और तल्खी तब आ गई, जब भारत सरकार द्वारा 5 अगस्त को Article 370 को जम्मू-कश्मीर से हटा दिया और विशेष राज्य का दर्जा वापस ले लिया। पाकिस्तान ने वैश्विक मंच पर भी भारत के इस कदम का विरोध किया। इस्लामाबाद ने नई दिल्ली के साथ राजनयिक संबंधों को भी कम कर दिया।

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विभिन्न मंचों पर बार-बार अपमानित होने के बावजूद, पाकिस्तान को विश्व स्तर पर अलग-थलग कर दिया गया और इस मुद्दे पर बहुत कम समर्थन उसे मिल पाया, जबकि रूस, फ्रांस, अमेरिका सहित सभी प्रमुख विश्व शक्तियों ने आर्टिकल 370 को देश के आंतरिक मामले के रूप में निरस्त करने की भारत की कार्रवाई का समर्थन किया। 

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