अयोध्या भूमि विवाद से लेकर निजता का अधिकार तक कई अहम मुकद्दमों के फैसले का हिस्सा रहे हैं CJI चंद्रचूड़

Edited By Seema Sharma,Updated: 09 Nov, 2022 12:46 PM

cji chandrachud has been a part of decision of many important cases

देश के 50वें प्रधान न्यायाधीश (CJI) के तौर पर बुधवार को शपथ ग्रहण करने वाले जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ अयोध्या विवाद, निजता का अधिकार जैसे अहम मुकद्दमों में फैसले देने वाली पीठ का हिस्सा रहे हैं।

नेशनल डेस्क: देश के 50वें प्रधान न्यायाधीश (CJI) के तौर पर बुधवार को शपथ ग्रहण करने वाले जस्टिस डी. वाई. चंद्रचूड़ अयोध्या विवाद, निजता का अधिकार जैसे अहम मुकद्दमों में फैसले देने वाली पीठ का हिस्सा रहे हैं।

 

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ देश में सबसे लंबे समय तक CJI रहे न्यायमूर्ति वाई. वी. चंद्रचूड़ के बेटे हैं। उनके पिता 22 फरवरी 1978 से 11 जुलाई 1985 तक भारतीय न्यायपालिका के प्रमुख रहे थे। भारत के सर्वोच्च न्यायालय के सात दशक से अधिक लंबे इतिहास में यह पहला मौका है जब पिता-पुत्र दोनों ही इस पद पर आसीन हुए। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने राष्ट्रपति भवन में एक समारोह में उन्हें पद की शपथ दिलाई। 

 

 74 दिन के लिए CJI रहे न्यायमूर्ति ललित 

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ 10 नवंबर 2024 तक दो साल के लिए इस पद पर रहेंगे। सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश 65 साल की उम्र में सेवानिवृत्त होते हैं। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित का स्थान लिया जिन्होंने 11 अक्टूबर को उन्हें अपना उत्तराधिकारी बनाए जाने की सिफारिश की थी। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने उन्हें 17 अक्तूबर को अगला CJI नियुक्त किया था। न्यायमूर्ति ललित का कार्यकाल आठ नवंबर को पूरा हो गया, वह केवल 74 दिन के लिए इस पद पर रहे। 

 

कई अहम फैसलों में रहे हिस्सा

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ का जन्म 11 नवंबर 1959 को हुआ। वह 13 मई 2016 को शीर्ष न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किए गए। ‘असहमति को लोकतंत्र के सेफ्टी वाल्व' के रूप में देखने वाले न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ कई संविधान पीठ और ऐतिहासिक फैसले देने वाली सुप्रीम कोर्ट की पीठों का हिस्सा रहे हैं। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने व्यभिचार और निजता के अधिकार जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर अपने पिता वाई. वी. चंद्रचूड़ के फैसले को पलटने में कोई संकोच नहीं किया।

  • अयोध्या भूमि विवाद
  • आईपीसी की धारा 377 के तहत समलैंगिक संबंधों को अपराध की श्रेणी से बाहर करने
  • आधार योजना की वैधता से जुड़े मामले
  • सबरीमला मुद्दा
  • सेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने
  • भारतीय नौसेना में महिला अधिकारियों को स्थायी कमीशन देने
  • व्यभिचार को अपराध की श्रेणी में रखने वाली IPC की धारा 497 को असंवैधानिक घोषित करने जैसे महत्वपूर्ण मामलों पर फैसला करने वाली पीठ का वह हिस्सा रहे। 

 

जब देर रात तक बैठी थी पीठ

काम के प्रति दीवानगी के लिए पहचाने जाने वाले न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने 30 सितंबर, 2022 को एक पीठ की अध्यक्षता की, जो दशहरे की छुट्टियों की शुरुआत से पहले 75 मामलों की सुनवाई करने के लिए शीर्ष अदालत के नियमित कामकाजी समय से लगभग पांच घंटे अधिक (रात 9:10 बजे) तक बैठी थी। न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ 29 मार्च 2000 से 31 अक्टूबर 2013 तक बंबई हाईकोर्ट के न्यायाधीश रहे। उसके बाद उन्हें इलाहाबाद हाईकोर्ट का मुख्य न्यायाधीश नियुक्त किया गया।

 

न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ को जून 1998 में बंबई हाईकोर्ट द्वारा वरिष्ठ अधिवक्ता नामित किया गया और वह उसी साल अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किए गए। राष्ट्रीय राजधानी के सेंट स्टीफंस कॉलेज से अर्थशास्त्र में बीए ऑनर्स करने के बाद उन्होंने कैंपस लॉ सेंटर, दिल्ली विश्वविद्यालय से एलएलबी किया और अमेरिका के हार्वर्ड लॉ स्कूल से LLM और न्यायिक विज्ञान में डॉक्टरेट की उपाधि प्राप्त की।

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