फ्रांस ने उठाया सराहनीय कदम

Edited By ,Updated: 04 May, 2016 09:07 PM

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विदेश में डिब्बाबंद खाने का बहुत प्रचलन है। रोजाना अनगिनत पैकेट या डिब्बे तैयार करके बाजार में पहुंचा दिए जाते हैं। कई बार यह

विदेश में डिब्बाबंद खाने का बहुत प्रचलन है। रोजाना अनगिनत पैकेट या डिब्बे तैयार करके बाजार में पहुंचा दिए जाते हैं। कई बार यह मांग की तुलना में अधिक बना जाते है। इसमें से कुछ खाद्य सामग्री ऐसी होती है जो एक निश्चित अवधि के बाद खराब हो जाती है। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए उसे कूड़ेदान में पहुंचा दिया जाता है। इस सामग्री का एक भी हिस्सा खराब न जाए और उसका बेहतर इस्तेमाल हो जाए, इसके लिए फ्रांस में सराहनीय कदम उठाया गया है। वहां की सरकार ने इस संबंध में एक कानून पारित कर दिया है। अब ऐसी सामग्री नष्ट होने से बच जाया करेगी। 

फ्रांस द्वारा सुपरमार्केट के लिए लागू किया गया नया कानून काबिले तारीफ है। इसके तहत अब सुपरमार्केट के लोग जो सामान बिकने के लिए आएगा और उसमें से बचने वाले को वह फेंकेंगे नहीं। उसे जरूरतमंदों और फूड बैंकों को दान किया जाएगा। दरअसल, कुछ सुपरमार्केट बचे खाने को फेंक देते थे। जो पैक हुआ खाद्य पदार्थ बच जाता तो वह गोदामों में रख दिया जाता। इसे रोकने के लिए यह कानून बनाया गया है। इस कानून से जरूरतमंदों को बहुत बड़ी राहत मिलेगी। उनके लिए खाने का प्रबंध हो जाया करेगा। फ्रांस की संसद में इस कानून को बनाकर अन्य देशों के लिए मिसाल पेश की है। इससे कई गरीब जो भूखे पेट सोने को मजबूर थे, उनको खाना मिलता रहेगा।

एक कंपनी के अनुसार यह कानून उन सुपरमार्केट पर लागू होगा जो 400 वर्ग मीटर क्षेत्र में बनी हुई है। इससे बड़ी मार्केट पर भी यह लागू हो जाएगा। यदि कोई मार्केट इस कानून की अवहेलना करेगी तो उसे जुर्माने के रूप में 3750 यूरो अदा करने होंगे। फ्रांस के बाद एक और बेहतर प्रयास करने की योजना बन रही है। इसके मुताबिक इस कानूनी को यूरोप यूनियन में लागू किया जा सकता है। धीरे—धीरे इस कानून के तहत होटल, स्कूल कैंटीन और कंपनी कैंटीन को भी लाया जाना चाहिए। वहां भी काफी खाना बच जाता होगा। कई लोग प्लेट में खाना छोड़ जाते होंगे। वह खराब न जाए उनको भी प्रेरित किया जाना चाहिए कि वे जरुरतमंदों में उसी दिन बचे खाने को बांट दें।

यह कानून प्रदूषण की समस्या को भी नियंत्रित करने में मददगार होगा। खाने का सामान फेंक दिए जाने से वह बदबू पैदा करता है। यदि बचे खाने में से तुरंत उसका साफ हिस्सा निकाल कर बांट दिया जाए तो वातावरण दूषित नहीं होगा। इसी खाने को पुन: पैक करके गरीब बस्तियों, अनाथालयों और भिखारियों में वितरित करने से इसका सदुपयोग हो जाएगा। यदि यूरोप की सरकारें थोड़ा प्रयास करें तो कुछ अफ्रीकी देशों में भुखमरी की स्थिति है, वहां इस खाद्य सामग्री को भिजवाया जा सकता है। वही सामग्री भेजी जाए कुछ दिन तक खराब न होती हो। यूरोपीय देशों में बड़ी संख्या में शरणार्थियों ने पनाह ली हुई है, इस सामग्री को उनमें भी वितरित किया जा सकता है। मार्च 2016 में अमरीका की कॉफी चेन कंपनी स्टारबक्स ने अपने रेस्टोरेंट में बचे खाने को नहीं फेंकने का ऐलान किया है। रेस्टोरेंट में बचे खाने को अब जरूरतमंदों के बीच बांटा जाता है। 

भारत में कई जगह देखा गया है कि बड़े पैमाने पर लंगर का आयोजन किया जाता है। अव्यवस्था फैलने पर सही तरीके से खाने का वितरण नहीं हो पाता। ऐसे में भगदड़  मच जाती है। लोग भी खाने के लिए खूब सामग्री जमा कर लेते हैं,लेकिन बाद में उनसे वह खायी नहीं जाती। वहां खाद्य सामग्री इधर—उधर फैल जाती है और पैरों में आती रहती है। फिर उसका कुछ हिस्सा कूड़े में तब्दील हो जाता है। विवाह समारोहों में भी यही दृश्य देखने को मिलता है। लोगों की प्लेटों में बचा हुआ खाना फेंक दिया जाता है। इसे रोकने के लिए भारत में भी इस व्यवस्था का अनुसरण होना चाहिए।

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