बजट के लक्ष्य वास्तविकता से दूर: शशि थरूर

Edited By Anil dev,Updated: 08 Jul, 2019 04:08 PM

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विपक्षी दल कांग्रेस ने वित्त वर्ष 2019-20 के आम बजट को त्रिशंकु बजट करार देते हुये सोमवार को कहा कि इसमें जो लक्ष्य तय किए गए हैं वे वास्तविकता से परे हैं और अर्थव्यवस्था के कारकों की वर्तमान स्थितियों को देखते हुए उन्हें हासिल करना संभव नहीं लगता।

नई दिल्ली: विपक्षी दल कांग्रेस ने वित्त वर्ष 2019-20 के आम बजट को त्रिशंकु बजट करार देते हुये सोमवार को कहा कि इसमें जो लक्ष्य तय किए गए हैं वे वास्तविकता से परे हैं और अर्थव्यवस्था के कारकों की वर्तमान स्थितियों को देखते हुए उन्हें हासिल करना संभव नहीं लगता। कांग्रेस के शशि थरूर ने लोकसभा में बजट पर चर्चा की शुरुआत करते हुए कहा कि वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बजट पेश करते हुए हाथी की उपमा का प्रयोग किया था।


उन्होंने कहा कि वास्तव में मौजूदा सरकार सुस्त चाल में चलने वाला हाथी ही है। हमने ऊर्जा से भरपूर, तेजी से अर्थव्यवस्था को बढ़ाने वाले बजट उम्मीद कर रहे थे। उन्होंने कहा च्च्यह एक त्रिशंकु बजट है जो न इस तरफ है, न उस तरफ। बजट भाषण में आवंटनों तक का जिक्र नहीं किया गया। आश्चर्यजनक रूप से इसमें कहीं भी सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का जिक्र तक नहीं था। सिर्फ देश को 50 खरब डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने की बात कही गयी, लेकिन जो खांका खीचा गया है अर्थव्यवस्था की वास्तविक तस्वीर उससे बिल्कुल अलग है।

शेरो-शायरी से भरपूर अपने भाषण में थरूर ने कहा कि अर्थव्यवस्था को गति देने वाले उसके कारकों में सुस्ती है। विभिन्न स्रोतों के आँकड़े साझा करते हुये उन्होंने कहा कि पिछली तिमाही में निवेश 81 प्रतिशत घट गया है। 26.1 प्रतिशत परियोजनाएँ अटकी पड़ी हैं। यात्री वाहनों की बिक्री मई में 20.6 प्रतिशत घट गयी जो 18 साल की सबसे बड़ी गिरावट है। एफएमसीजी क्षेत्र में दो प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गयी है और जून के सेवा क्षेत्र का निक्केई द्वारा जारी सूचकांक घटकर 49.2 रह गया। सूचकांक में 50 स्थिरता और इससे नीचे का आंकड़ा गिरावट दर्शाता है। कांग्रेस सदस्य ने कहा कि इस तरह के बजट के लिए पूरी तरह वित्त मंत्री को दोषी नहीं ठहराया जा सकता। पिछले पाँच साल के मोदी सरकार के कार्यकाल की विरासत उन्हें मिली है जिसमें नोटबंदी हुई, जीएसटी को गलत तरीके से लागू किया गया और बेरोजगारी 45 साल के उच्चतम स्तर पर पहुंच गई। 

उन्होंने कहा कि नोटबंदी से कई कंपनियां बंद हो गईं और बड़ी संख्या में लोग बेरोजगार हो गये। पेट्रोल-डीजल पर दो-दो रुपये प्रति लीटर कर बढ़ाने के मुद्दे पर सरकार को घेरते हुये उन्होंने कहा कि इस सरकार की कराधान की नीतियों के कारण आम आदमी पहले ही पेट्रोल-डीजल के लिए दुनिया में सबसे ज्यादा कीमत दे रहा है। उन्होंने कहा कि तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने वित्त वर्ष 2015-16 का बजट पेश करते हुये कहा था कि वित्त वर्ष 2019-20 तक सभी कंपनियों के लिए कॉर्पोरेट कर 25 प्रतिशत कर दिया जाएगा, लेकिन इस बजट में मात्र 400 करोड रुपये तक का कारोबार करने वाली कंपनियों को ही इसके दायरे में लाया गया है। 

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