Edited By Anil dev,Updated: 07 Sep, 2020 03:26 PM
कोरोना वायरस के डर से माता-पिता अपने बच्चों को समय पर टीके नहीं लगवा रहे हैं। बाल रोग चिकित्सकों का कहना है कि यह चिंता का विषय है क्योंकि टीकों का समय पर न लगना बच्चों के स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकता है।
नई दिल्ली: कोरोना वायरस के डर से माता-पिता अपने बच्चों को समय पर टीके नहीं लगवा रहे हैं। बाल रोग चिकित्सकों का कहना है कि यह चिंता का विषय है क्योंकि टीकों का समय पर न लगना बच्चों के स्वास्थ्य पर दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि माता-पिता को अपने बच्चों को समय पर टीके लगवाने चाहिए, विशेषकर एक साल से छोटे बच्चों को...। दिल्ली के वसंत कुंज स्थित फोर्टिस अस्पताल के बाल रोग विभाग के निदेशक डॉ. राहुल नागपाल ने कहा, कल मेरे पास एक ऐसा मामला आया, जिसमें माता-पिता अपने बच्चे का पोलियो संबंधी टीकाकरण कराने के लिए तीन महीने की देरी से आए थे। कई ऐसे टीके हैं, जिन्हें आप बाद में नहीं लगा सकते। जैसे कि रोटावायरस का टीका, जिसकी आखिरी खुराक सात महीने के अंदर ही दी जा सकती है।
मेडिएर अस्पताल के बाल रोग विभाग के प्रमुख डॉ. विनीत कवात्रा ने बताया कि वैश्विक महामारी शुरू होने के तीन-चार महीने बाद तक काफी कम मरीज थे क्योंकि लोगों को वायरस की चपेट में आने का डर था और लॉकडाउन भी लागू था। क्वात्रा ने कहा, माता-पिता अब भी बहुत संकोच कर रहे हैं और टीका लगवाने में अनावश्यक रूप से देरी कर रहे हैं। कई ऐसे टीके होते हैं, जिन्हें छह सप्ताह, 10 सप्ताह और 14 सप्ताह के भीतर लगवाना होता है। इसके लिए महीनों या उससे अधिक इंतजार नहीं किया जा सकता।
टीकाकरण के महत्व को रेखांकित करते हुए क्वात्रा ने बताया कि बच्चे के एक साल का होने के अंदर ही सभी महत्वपूर्ण टीके लगाए जाते हैं और ये बेहद महत्वपूर्ण होते हैं, जिनमें देरी नहीं की जा सकती। एलएनजेपी अस्पताल के चिकित्सकीय निदेशक डॉ. सुरेश कुमार ने कहा, यह सच है कि बाकी बीमारियों पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। हमारा अस्पताल कोविड केन्द्र होने की वजह से लोग अस्पताल आने से डर रहे हैं। यहां तक कि निजी चिकित्सकों ने भी अपने क्लिनिक बंद कर दिए हैं क्योंकि उन्हें भी संक्रमण की चपेट में आने का डर है।