Edited By shukdev,Updated: 15 Mar, 2020 11:28 PM
कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए पुणे में जिला प्रशासन सीआरपीसी की धारा 144 लागू करने पर विचार कर रहा है। पुणे के मंडलायुक्त दीपक म्हाईसेकर ने कहा कि प्रशासन ने कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए इसके प्रसार को नियंत्रित करने के...
पुणे: कोरोना वायरस को फैलने से रोकने के लिए पुणे में जिला प्रशासन सीआरपीसी की धारा 144 लागू करने पर विचार कर रहा है। पुणे के मंडलायुक्त दीपक म्हाईसेकर ने कहा कि प्रशासन ने कोरोना वायरस संक्रमण के बढ़ते मामलों को देखते हुए इसके प्रसार को नियंत्रित करने के लिए अपनी रणनीति बदलने का फैसला किया है। पुणे में रविवार को संक्रमण के कुल मामलों की संख्या बढ़ कर 16 पहुंच गई।
सीआरपीसी की धारा 144 के तहत किसी भी राज्य या क्षेत्र के कार्यकारी मजिस्ट्रेट एक क्षेत्र में चार या अधिक लोगों के एकत्र होने को प्रतिबंधित करने का आदेश जारी कर सकते हैं। मंडलायुक्त ने कहा कि पुणे में कम से कम चार मामलों में संक्रमण का कारण प्रथम संपर्क है। उनमें से किसी ने विदेश यात्रा नहीं की थी। उन्होंने कहा कि सतारा, सांगली, सोलापुर और कोल्हापुर जिलों में संक्रमण के किसी भी मामले की पुष्टि नहीं हुई है।
इस महामारी को रोकने के लिए महाराष्ट्र सरकार ने पहले से ही महामारी रोग अधिनियम 1897 को लागू कर रखा है। उन्होंने कहा, "जिला कलेक्टरों और नगर निकाय आयुक्त को वायरस को नियंत्रित करने का अधिकार दिया गया है। कलेक्टर अपने संबंधित जिलों में सभी निवारक उपाय करेंगे। हम उन्हें पर्याप्त संख्या में आवश्यक मास्क और दवाएं प्रदान कर रहे हैं।" जिला कलेक्टर नवल किशोर राम ने कहा कि जो लोग कोरोना वायरस से प्रभावित रोगियों के परिवारों के साथ भेदभाव करते पाए जाएंगे उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
उन्होंने कहा, "इस तरह की हरकत पुणे जैसे शहर के लिए शर्मनाक है। मैंने अधिकारियों को ऐसे लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करने का आदेश दिया है।" इस बीच पुणे जिला परिषद के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) आयुष प्रसाद ने कहा कि कोरोना वायरस रोगियों के वास्तविक आंकड़ों को जानने के लिए एकीकृत डेटा निगरानी कार्यक्रम (आईडीएसपी) शुरू किया गया है।