Edited By Parveen Kumar,Updated: 09 Apr, 2024 09:18 PM
अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भक्तों को 500 वर्षों का इंतजार करना पड़ा, वैसे ही नक्सली दंश झेल रहे सुकमा जिले में राम मंदिर के कपाट खुलने की गांववाले 21 साल से बाट जोहते रहे। बता दें कि 2003 में नक्सलियों के फरमान के बाद मंदिर में पूजा पाठ बंद...
नेशनल डेस्क : अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भक्तों को 500 वर्षों का इंतजार करना पड़ा, वैसे ही नक्सली दंश झेल रहे सुकमा जिले में राम मंदिर के कपाट खुलने की गांववाले 21 साल से बाट जोहते रहे। बता दें कि 2003 में नक्सलियों के फरमान के बाद मंदिर में पूजा पाठ बंद करवा दिया था। अब सीआरपीएफ ने 74वीं वाहिनी का कैंप लगने के बाद जवानों ने मंदिर में पूजा शुरू करवा दी है।
दरअसल, ये मामला छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले का है जहां करीब 50 साल पहले भगवान श्री राम, लक्ष्मण और माता सीता जी की मूर्तियों प्राण प्रतिष्ठा की गई थी। मगर कुछ समय बाद नक्सलियों के प्रकोप को देखकर 2003 में मंदिर में पूजा-पाठ करवाना बंद करवा दिया गया। अब फिर मंदिर के कपाट पूजा-अर्चना के लिए खोल दिए गए है।
सामने आया गांव वालों का रिएक्शन
ग्रामीणों ने बताया कि उनके पूर्वजों ने मंदिर निर्माण करवाया था. यह उस दौर की बात जब साल 1970 में मंदिर की स्थापना बिहारी महाराज जी ने की थी. पूरा गांव इसके लिए सीमेंट, पत्थर, बजरी, सरिया अपने सिर पर लगभग 80 किलोमीटर से पैदल लेकर आया था। गांव के सभी लोगों ने बढ़ चढ़कर मंदिर की स्थापना में हिस्सा लिया था। उस दौर में न सड़क हुआ करती थी और न ही सामान लाने के लिए वाहनों की उपलब्धता थी। राम जी की शक्ति ही थी कि ग्रामीण जरूरत की सामग्री लंबी दूरी पैदल चलकर लाए थे।
मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा...
सीएम विष्णुदेव साय ने बंद राम मंदिर को खुलवाने वाले सीआरपीएफ टीम को बधाई दी। बता दें कि सुकमा जिले के धुर नक्सल प्रभावित लखापाल व केरलापेंदा गांव में करीब 5 दशक पहले राम मंदिर बनवाया गया। मंदिर में प्रभु राम, सीता व लक्ष्मण की संगमरमर की मूर्तियों की स्थापना की गई। लेकिन धीरे धीरे नक्सलवाद के बढ़ते प्रकोप के कारण 2003 में गांव में स्थित राम मंदिर में पूजा पाठ बंद करवा दिया. जिसके बाद कपाट पूरी तरह से बंद रहे। 14 मार्च 2023 को लखापाल में सीआरपीएफ कैंप खुला।
CRPF की देखरेख में खोला कपाट
नक्सली फरमान के बाद बंद पड़े मंदिर के कपाट को सीआरपीएफ जवानों ने खोला ताकि लोगों में एक विश्वास की ऊर्जा पैदा की जा सके और उन्हें देश की मुख्य धारा में जोड़ा जा सके. कपाट खोलने के बाद अधिकारियों और जवानों ने ग्रामीणों के साथ मिलकर मंदिर की साफ सफाई करवाई गई। गांव के अधिकतम पुरुष और महिलाओं ने पूजा अर्चना में भाग लिया।