CVC रिपोर्ट की वो 10 बातें, जिनकी वजह से हुई आलोक वर्मा की छुट्टी

Edited By Seema Sharma,Updated: 11 Jan, 2019 12:01 PM

cvc reports 10 things which that caused alok verma s leave

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली उच्चाधिकार प्राप्त चयन समिति ने मैराथन बैठक के बाद आलोक वर्मा को केंद्रीय जांच एजैंसी (सी.बी.आई.) के निदेशक पद से हटाकर फायर सर्विसेज एंड होम गार्ड का डायरैक्टर जनरल बना दिया है।

नई दिल्लीः प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली उच्चाधिकार प्राप्त चयन समिति ने मैराथन बैठक के बाद आलोक वर्मा को केंद्रीय जांच एजैंसी (सी.बी.आई.) के निदेशक पद से हटाकर फायर सर्विसेज एंड होम गार्ड का डायरैक्टर जनरल बना दिया है। एजैंसी के 55 साल के इतिहास में इस तरह की कार्रवाई का सामना करने वाले वह सी.बी.आई. के पहले प्रमुख बन गए हैं। सूत्रों के मुताबिक वर्मा के खिलाफ एफ.आई.आर. दर्ज की जाएगी। समिति ने फिर से नागेश्वर राव को सीबीआई की कमान सौंप दी है। वीरवार को चयन समिति की बैठक में यह फैसला लिया गया।
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इस समिति में मोदी के अलावा सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ जस्टिस ए.के. सीकरी और लोकसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे शामिल रहे। यह बैठक मोदी के आवास पर हुई जो करीब दो घंटे से ज्यादा समय तक चली। आलोक वर्मा और विशेष निदेशक राकेश अस्थाना ने एक-दूसरे पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे जिसके बाद उन्हें जबरन छुट्टी पर भेज दिया गया था। मंगलवार को ही सुप्रीम कोर्ट ने आलोक वर्मा को सी.बी.आई. चीफ के पद पर बहाल किया था।
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  1. 1979 बैच के ए.जी.एम.यू.टी. कैडर के आई.पी.एस. अधिकारी आलोक वर्मा को भ्रष्टाचार और कतर्व्य निर्वहन में लापरवाही के आरोप में पद से हटाया गया।
  2. चयन समिति ने केन्द्रीय सतर्कता आयोग (सी.वी.सी.) की इस रिपोर्ट पर गौर किया कि मीट कारोबारी मोइन कुरैशी के खिलाफ सी.बी.आई. के नंबर 2 अफसर राकेश अस्थाना जांच कर रहे थे।
  3. सी.बी.आई. इस मामले में हैदराबाद के कारोबारी सतीश बाबू सना को आरोपी बनाना चाहती थी, लेकिन आलोक वर्मा ने कभी इसकी मंजूरी नहीं दी।
  4. सी.बी.आई. को यह भी सबूत मिले कि मोइन कुरैशी के खिलाफ जांच को प्रभावित करने की कोशिश की गई थी।
  5. 2 करोड़ रुपए की रिश्वत लिए जाने के भी सबूत थे।
  6. दिलचस्प रूप से सना ने अस्थाना के खिलाफ एक शिकायत दर्ज कराई थी और आरोप लगाया था कि कैसे उसने बिचौलियों के जरिए अस्थाना को रिश्वत दी।
  7. सी.वी.सी. की रिपोर्ट में रिसर्च और एनालिसिस विंग (रॉ) द्वारा पकड़े गए फोन कॉल के इंटरसैप्ट्स का भी जिक्र था। इस बातचीत में सी.बी.आई. के नंबर वन अफसर को पैसे सौंपे जाने की चर्चा हुई थी।
  8. सी.वी.सी. के मुताबिक गुड़गांव में एक जमीन खरीदने के मामले में भी वर्मा का नाम सामने आया था। इस डील में 36 करोड़ रुपए का लेन-देन होने का आरोप है।
  9. लालू प्रसाद से जुड़े आई.आर.सी.टी.सी. से जुड़े एक केस में भी सी.वी.सी. ने पाया कि आलोक वर्मा ने एक अफसर को बचाने के लिए एफ .आई.आर. में जानबूझकर उसका नाम शामिल नहीं किया।
  10. सी.वी.सी. के मुताबिक आलोक वर्मा दागी अफसरों को सी.बी.आई. में लाने की कोशिश कर रहे थे।
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