20 जवानों की शहादत के बाद पाक और चीन से निपटना भारत के लिए बड़ी चुनौती

Edited By vasudha,Updated: 24 Jun, 2020 12:06 PM

dealing with pakistan and china is a big challenge for india

पाकिस्तान द्वारा भारत में आतंकियों की घुसपैठ और चीन का बॉर्डर पर अतिक्रमण देश के लिए एक गंभीर चुनौती बनता जा रहा है। भारत इस वक्त दोहरे संकट से घिरा हुआ है एक तरफ जहां इंडो तिब्बत बॉर्डर पर चीनी सेना के साथ हुई झड़प में करीब 58 साल के बाद एक ही दिन...

नेशनन डेस्क (सूरज ठाकुर): पाकिस्तान द्वारा भारत में आतंकियों की घुसपैठ और चीन का बॉर्डर पर अतिक्रमण देश के लिए एक गंभीर चुनौती बनता जा रहा है। भारत इस वक्त दोहरे संकट से घिरा हुआ है एक तरफ जहां इंडो तिब्बत बॉर्डर पर चीनी सेना के साथ हुई झड़प में करीब 58 साल के बाद एक ही दिन में 20 सैनिक शहीद हुए हैं, वहीं पिछले 6 माह में कश्मीर में आतंकियों के खिलाफ मुठभेड़ में सुरक्षा बलों के करीब 29 जवानों की शहादत हुई है। इस दौरान जवानों ने करीब 123 आतंकियों को मौत के घाट भी उतारा है। जबकि खुफिया एजेंसियों की माने तो चीन के करीब सैन्य अधिकारियों सहित 45 सैनिकों को भी भारतीय सैनिकों ने मौत की नींद सुला दिया है। तीन महीनों में कुल मिलाकर पाकिस्तानी आतंक और चीन की दादागिरी से लड़ते हुए अभी तक 49 सैनिक शहीद हो चुके हैं। यहां हकीकत तो यह है कि अब कश्मीर हो रहे शहीदों पर जनता और राजनीतिक दलों ने बवाल मचाना बंद कर दिया है। हालांकि शहीदों को श्रद्धांजलि सभी दे रहे हैं।

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32 साल में 6500 जवान हुए शहीद
चीन में हुई 20 जवानों की शहादत से पूरे देश में बवाल मचा हुआ है। पक्ष और विपक्ष के नेता एक दूसरे पर आरोप-प्रत्यारोप लगाने से भी गुरेज नहीं कर रहे हैं। हमारे देश का सैनिक कश्मीर में हर दूसरे तीसरे दिन शहीद होता है तो उस पर अब उतना बवाल नहीं मचाया जाता है। जबकि हकीकत यह है कि कश्मीर में यह सिलसिला लगातार जारी है।  साउथ एशिया टैर्ररिस्म पोर्टल (एसएटीपी) के आंकड़ों के मुताबिक जनवरी 2020 से लेकर 21 जून तक कश्मीर घाटी में आतंकियों से लड़ते हुए सुरक्षा बलों के 29 जवान शहीद हो चुके हैं। इस घटनाक्रम में आतंकवाद की कीमत 12 नागरिकों को भी अपनी जान देकर चुकानी पड़ी है। कश्मीर का मसला सुलझाते-सुलझाते देश को कश्मीर घाटी में 1988 से लेकर 2020 तक 6500 से ज्यादा जवानों की शहादत झेलनी पड़ी है। इसी दौरान 15 हजार 133 नागरिकों को भी आतंक निगल चुका है। पिछले 32 सालों में इस सारी कार्रवाई में सुरक्षा बलों ने 25123 आतंकी भी मार गिराए हैं।  

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इतने जवान तो कर लेते पीओके पर कब्जा 
कश्मीर घाटी में आए दिन आतंकियों को मार गिराने की कार्रवाई में देश को एक या दो वीर सपूत खोने पड़ रहे हैं। पिछले बीस साल के आंकड़ों से पता चलता है कि कश्मीर घाटी में आतंकियों से लड़ते हुए सुरक्षाबलों के करीब 3454 जवान शहीद हो चुके हैं, जबकि कारगिल युद्ध में हमारे 527 से जयादा सैन्य अधिकारी और जवान शहीद हुए थे। भारत पाक युद्ध के दौरान वर्ष 1971 में भारत के करीब 3 हजार जवान शहीद हुए जबकि 7986 घायल हुए थे। पाकिस्तान के मारे गए जवानों की संख्या 12 हजार के करीब और घायलों की संख्या 20 हजार के लगभग थी। आंकड़े यही कह रहे हैं कि सीधी लड़ाई में  पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (पीओके) पर कब्जा करने के लिए शहीद हुए जवानों की संख्या काफी थी।

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साउथ एशिया टैर्ररिस्म पोर्टल
यह पोर्टल पूरे साउथ एशिया में मीडिया रिपोर्ट्स के आधार पर आतंकवाद से संबंधित डाटा तैयार करता है। पंजाब से आतंकवाद को जड़ से समाप्त करने वाले पूर्व डीजीपी स्व. के.पी.एस. गिल इस ऑर्गेजाइजेशन के अध्यक्ष रहे हैं। कश्मीर घाटी के आंकड़े इसी पोर्टल  से लिए गए हैं।  

भाजपा और कांग्रेस कार्यकाल में कश्मीर घाटी
भाजपा 2014 से 2020
शहीद हुए सुरक्षा बलों के जवान-461
मारे गए नागरिक- 255


कांग्रेस 2005 से 2013
शहीद हुए सुरक्ष बलों के जवान- 840
मारे गए नागरिक- 1047

(यह लेखक के निजी विचार हैं)
 

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