सुबह उठने से लेकर आखिरी इच्छा तक, 5 प्वाइंट में जानिए फांसी के फंदे पर लटकाने से पहले आरोपी के साथ क्या कुछ होता है

Edited By Anil dev,Updated: 09 Jan, 2020 12:14 PM

delhi patiala house court nirbhaya pawan gupta

दिल्ली में हुए सनसनीखेज निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्याकांड मामले में आखिरकार 7 साल बाद फैसला आ ही गया। पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया के चारों दोषियों - मुकेश, विनय शर्मा, अक्षय सिंह और पवन गुप्ता की फांसी का डेथ वारंट जारी कर दिया है। इन चारों को...

नई दिल्ली: दिल्ली में हुए सनसनीखेज निर्भया सामूहिक बलात्कार और हत्याकांड मामले में आखिरकार 7 साल बाद फैसला आ ही गया। पटियाला हाउस कोर्ट ने निर्भया के चारों दोषियों - मुकेश, विनय शर्मा, अक्षय सिंह और पवन गुप्ता की फांसी का डेथ वारंट जारी कर दिया है। इन चारों को 22 जनवरी को सुबह सात बजे तिहाड़ जेल में फांसी पर लटका दिया जाएगा। निर्भया की मां के साथ साथ पूरे देश ने कोर्ट के इस फैसले का स्वागत किया है। तो आइए जानते हैं कि किसी भी दोषी को फांसी देने से पहले किन प्रक्रियाओं से गुजरना जरूरी होता है। 

 

PunjabKesari

 

 

  • आरोपी को फांसी देने के लिए सुबह का वक्त ही चुना जाता है क्यों क्योंकि जेल मैन्युअल के मुताबिक जेल के सभी काम सूर्योदय के बाद ही किए जाते हैं। वैसे, अंग्रेजों के जमाने से ही ऐसी व्यवस्था चली आ रही है। साथ ही, इस समय इसलिए भी फांसी दी जाती है, ताकि सुबह कैदी के परिवार वाले उसका अंतिम संस्कार समयानुसार कर सकें। जिस दिन किसी भी दोषी फांसी दी जाती है, उस दिन तड़के सुबह 4:30 या 5 बजे के करीब अपराधी को चाय पीने को दी जाती है। अपराधी अगर नहाना चाहे तो उसे नहाने दिया जाता है और नाश्ता करना चाहे तो उसे नाश्ता भी करवाया जाता है। 
     
  • नाश्ते के बाद दोषी के पास मजिस्ट्रेट जाकर उसकी वसीयत के बारे में जानकारी लेते हैं।  इस दौरान अपराधी अपनी जायदाद किसी विशेष के नाम करना चाहता है तो कर सकता है। वसीयत का काम खत्म होने के बाद जल्लाद अपराधी के पास आता है और उसे काले रंग की पोशाक पहनाता है। इस दौरान अपराधी के हाथ पीछे की ओर बांध दिए जाते हैं और फांसी देने वाली जगह पर खड़ा कर दिया जाता है। 

 

PunjabKesari

  • कैदी के वजन के हिसाब से 1.830 मीटर से लेकर 2.440 मीटर तक ड्रॉप यानी नीचे रस्सी से लटकाया जाना होता है। फांसी की तारीख से चार दिन पहले मेडिकल ऑफिसर को रिपोर्ट में बताना होता है कि अपराधी को कितना ड्राप देना है। इसके बाद अपराधी को जल्दाद फांसी वाली जगह पर लाकर उसके गले में रस्सी की गांठ को सतर्कता से कस देता है। इस बाद जैसे ही सुपरिटेंडेंट इशारा करता है जल्लाद बोल्ट हटा लेता है। इस दौरान वहां पर डॉक्टर भी खड़े होते हैं जोकि दो घंटे में यह सुनिश्चित करते हैं कि अपराधी की मौत हो चुकी है। 

 

 

PunjabKesari

  • सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन के मुताबिक फांसी के बाद शव का पोस्टमार्टम कराना जरूरी होता है। इसके बाद शव को परिजनों के हवाले कर दिया जाता है। उस दौरान अगर जेल सुपरिटेंडेंट को लगता है कि अपराधी के शव का गलत इस्तेमाल हो सकता है तो वह परिजनों को शव देने से मना भी कर सकता है। 
     
  • आपको बतां दे कि फांसी देने से पहले अपराधी की हर आखिरी ख्वाहिश पूरी की जाती है, ऐसा बिल्कुल भी नहीं है।  जेल मैन्युअल के मुताबिक ही अपराधियों की ख्वाहिश पूरी की जा सकती है। अगर कोई आखिरी ख्वाहिश में फांसी से छूट मांग ले तो उसे पूरा नहीं किया जा सकता है। 

Related Story

Trending Topics

IPL
Chennai Super Kings

176/4

18.4

Royal Challengers Bangalore

173/6

20.0

Chennai Super Kings win by 6 wickets

RR 9.57
img title
img title

Be on the top of everything happening around the world.

Try Premium Service.

Subscribe Now!