अभी तक करवा चुकी है 1000 बच्चों की डिलवरी, लोगों ने खुद नाम रखा 'एलिस'

Edited By Isha,Updated: 10 Jun, 2018 01:37 PM

delivery of 1000 children has been done so far

कहते है अगर दूसरे के लिए अपना जीवल न्यौछावर कर दो तो जीवल जीने का एक नया आनंद आता है। एेसी ही एक  शख्सीयत है एलिस सूमों जिन्होंने संकटग्रस्त लाइबेरिया में असंख्य गर्भवती महिलाओं को सुरक्षित प्रसव करवाया

नैशनल डेस्कः कहते है अगर दूसरे के लिए अपना जीवन न्यौछावर कर दो तो जीवन जीने का एक नया आनंद आता है। एेसी ही एक शख्सीयत है एलिस सूमों जिन्होंने संकटग्रस्त लाइबेरिया में असंख्य गर्भवती महिलाओं का सुरक्षित प्रसव करवाया है। उनके प्रयासों का प्रमाण आज लाइबेरिया का कस्बा मोंटेरेर्राडो है जहां 1 हजार बच्चों के नाम उनकी मांओं ने इस दाई के सम्मान में ‘एलिस’ रखे हैं। लाइबेरियाई भाषा में एलिस का अर्थ शांति है।

बंदूक की नोक पर किया था पहला प्रसव
उन्होंने पहला प्रसव सड़क किनारे बंदूक की नोक पर किया था। 1990 में देश में चल रहे गृह युद्ध के दौरान दर्द से कराह रही एक गर्भवती महिला के चुप न करने पर उसे गोली मारने की धमकी दे रहे एक बंदूकधारी को देख उन्होंने उस महिला के प्रसव में मदद की थी। तब तक एलिस को प्रसव करवाने का अधिक ज्ञान भी नहीं था।  एलिस बताती हैं, ‘‘एक औरत प्रसव पीड़ा से कराह रही थी और वहां खड़ा एक बंदूकधारी कह रहा था, ‘क्या कोई इस औरत को प्रसव करवाने में मदद कर सकता है? नहीं तो हम इसे गोली मार देंगे क्योंकि हम नहीं चाहते कि वह चिल्लाती रहे।
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मैंने तुरंत कहा कि उसे मत मारो, मैं उसकी मदद करती हूं। मुझे इसके बारे में अधूरी-सी जानकारी थी। बंदूकधारी ने कहा कि अगर मैंने सही से प्रसव नहीं करवाया या उस महिला को कुछ हुआ तो वह मुझे मार डालेगा। मैंने उसे कहा कि मुझे मत मारना मैं पूरी कोशिश करूंगी। मैं डर गई थी फिर भी मैंने कोशिश जारी रखी। बच्चे के जन्म के बाद नाभिरज्जू को काटने के लिए ब्लेड भी नहीं था तो मैंने एक बोतल तोड़ कर उसके कांच से उसे काटा परंतु तभी बच्चा शांत हो गया। बंदूकधारी ने कहा कि बच्चा रो क्यों नहीं रहा है, मैं तुम्हें गोली मार दूंगा। मैंने कहा, ‘‘रुको, और बच्चे को हल्की-सी चपत लगाई तो वह रोने लगा। तब से आज तक वह नि:स्वार्थ भाव से दाई के रूप में कार्य कर रही हैं। उन्होंने दशकों तक देश में चले गृह युद्ध तथा 2004 तथा 2005 में देश में करीब 5 हजार लोगों की जान लेने वाली ईबोला महामारी के दौरान भी लगातार काम जारी रखा। 

करीब आन से डरते से पड़ोसी
वह बताती हैं, ‘‘महामारी के दिनों में मेरे पड़ोसी मेरे करीब आने से डरते थे। मैंने भी अपने बच्चों से कह रखा था कि वे मेरे करीब न आएं। ईबोला ने बहुत नुक्सान पहुंचाया था।’’उन्हें गर्व है कि उनके हाथों से हुए हजारों प्रसव के दौरान किसी बच्चे या मां की जान नहीं गई। कई बार तो बिजली के अभाव में उन्होंने मोबाइल की टॉर्च लाइट की रोशनी में प्रसव करवाया है। 
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चला रही है अपना हैल्थ सैंटर
आज एलिस ‘सेव द चिल्ड्रन’ नामक स्वयंसेवी संस्था की ओर से खोला एक मैटर्नल हैल्थ सैंटर चला रही हैं। संस्था द्वारा 2013 में लाइबेरिया में खोले कुल 5 सैंटरों में से यह एक है। हर सैंटर में दवाइयां रखने के लिए सौर ऊर्जा से चलने वाला एक फ्रिज, स्वच्छ जल के लिए सैंटर के निकट एक हैंडपम्प, जिससे स्थानीय लोग भी पानी भरते हैं तथा एक बाइक है जिससे स्वयंसेवी दूर-दराज के इलाकों में लोगों का उपचार करने जाते तथा मरीजों को लाते हैं। 

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