Edited By Punjab Kesari,Updated: 14 Mar, 2018 05:27 AM
यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी के बुलावे मंगलवार को एक बार फिर मोदी बनाम सब करने की कोशिश के तहत दो दर्जन से अधिक दलों के नेता डिनर पर पहुंचे। स्वादिष्ट के साथ राजनीति साधने की यह कोई पहली कोशिश नहीं है इसके पहले भी सोनिया डिनर डिप्लोमेसी से विरोधी...
नेशनल डेस्क (आशीष पाण्डेय): यूपीए की चेयरपर्सन सोनिया गांधी के बुलावे पर मंगलवार को एक बार फिर 'मोदी बनाम सब' करने की कोशिश के तहत दो दर्जन से अधिक दलों के नेता डिनर पर पहुंचे। स्वादिष्ट के साथ राजनीति साधने की यह कोई पहली कोशिश नहीं है इसके पहले भी सोनिया डिनर डिप्लोमेसी से विरोधी यानी बीजेपी खेमे को चोट पहुंचाती रही हैं। डिनर डिप्लोमेसी का मुख्य लक्ष्य 2019 में होने वाले फाइनल के लिए टीम तैयार करना है।
इस बात पर भी चर्चा होगी कि इस टीम का कप्तान कौन होगा, हालांकि सोनिया की कोशिश रहेगी की 2019 तक यूपीए की कमान खुद पकड़ी रहें। कारण यह है कि बहुत से घटक दलों को राहुल की अगुवाई अभी भी पच नहीं रही है। फिलहाल सोनिया के घर चल रही इस कथित खेमाबंदी में विपक्ष के तमाम बड़े नेता पहुंच चुके हैं। बतौर कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया की कोशिश 2019 के लिए विपक्ष को लामबंद करने की है। सपा प्रमुख अखिलेश यादव, बसपा सुप्रीमो मायावती, तृणमूल सुप्रीमो ममता बनर्जी ने अब तक शामिल होने पर सहमति नहीं दी है। हालांकि इन सभी ने अपने नुमाइंदे भेजने पर सहमति जरूर दे दी थी।
एक तीर से दो निशाना
इस डिनर डिप्लोमेसी के जरिये सोनिया एक तीर से दो निशाना साधना चाहती हैं। पहला तो यह कि विपक्षी नेताओं को डिनर पर बुलाकर वह ये साबित करना चाहती हैं कि मोदी के विकल्प के तौर पर बनने वाले गठजोड़ का नेतृत्व कांग्रेस के पास ही होगा। दूसरा यह कि तीसरे मोर्चे की अगुवाई की कोशिश को तवज्जो नहीं देतीं। हालांकि कांग्रेस मानती है कि मोदी के खिलाफ सबको एकजुट होना ही पड़ेगा और ये पूरे विपक्ष की ज़िम्मेदारी है।
ममता की अलग राह
तीसरे मोर्चे की वकालत कर ही ममता की बात कांग्रेस को रास नहीं आ रही है। ममता ने तीसरे मोर्चे के विकल्प तलाशने के लिए तेलंगाना के सीएम केसीआर को फोन किया था। टीडीपी और टीआरएस ने कांग्रेस की बैकडोर से की गई कोशिशों के बावजूद भोज में आने से फिलहाल इनकार कर दिया है।
असदुद्दीन ओवैसी को नहीं बुलाने की वजह
2019 के लोकसभा चुनाव के मद्देनजर कांग्रेस विपक्ष के सभी दलों को बीजेपी के खिलाफ एकजुट करने में जुट गई है। लेकिन इस कोशिश में एक बात खास यह रही कि मोदी पर लगातार शब्द बाण छोड़ने वाले ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद उल मुसलमीन (AIMIM) चीफ असदुद्दीन ओवैसी को नहीं बुलाया गया। सोनिया गांधी ने विपक्ष के सभी नेताओं को डिनर के लिए बुलाया लेकिन, ओवैसी को न्योता नहीं भेजा। कुछ दिन पहले ही तेलंगाना के मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव ने थर्ड फ्रंट बनाने का ऐलान किया था। इसके बाद असदुद्दीन ओवैसी ने केसीआर के थर्ड फ्रंट का स्वागत कर उसमें शामिल होने की इच्छा जाहिर की थी। यह साफ है कि ओवैसी कांग्रेस से दूरी बनाकर पार्टी का सियासी भविष्य देख रहे हैं। यूपीए सरकार में सहयोगी रहे असदुद्दीन ओवैसी 2014 में कांग्रेस का साथ छोड़ चुके हैं। कांग्रेस को लगता है कि ओवैसी कांग्रेस के वोट काटते हैं। इससे कहीं न कहीं बीजेपी को फायदा होता है। कांग्रेस ने ओवैसी पर बीजेपी के इशारों पर काम करने का भी कई बार इल्जाम लगाया है।
टीआरएस को नहीं दिया न्योता
डिनर पार्टी के लिए तेलंगाना के मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव को भी कांग्रेस ने न्योता नहीं भेजा। टीआरएस नेताओं ने इस बात की पुष्टि की है कि कांग्रेस की तरफ से उन्हें न्योता नहीं मिला हैं। पार्टी का कहना है कि उन्हें सोनिया की डिनर पार्टी में शामिल होने के न्योते की उम्मीद भी नहीं थी। उनका कहना है कि अगर कांग्रेस टीआरएस को आमंत्रित करती, तभी भी डिनर पार्टी में शामिल होने का सवाल पैदा नहीं होता था। इसी तरह कांग्रेस ने आंध्र प्रदेश में टीडीपी को भी डिनर पार्टी के लिए आमंत्रित नहीं किया है। हालांकि, बीजेपी और टीडीपी की बीच बढ़ती दूरियों पर कांग्रेस टकटकी लगाए बैठी है। लेकिन, जब तक दोनों दलों के बीच औपचारिक तौर पर गठबंधन नहीं टूट जाता, तब तक सोनिया गांधी को डिनर पार्टी के लिए चंद्रबाबू नायडू को आमंत्रित करना शायद उचित नहीं लगा।
ये नेता हुए शामिल
शरद यादव, बीएसपी के सतीश मिश्रा, आरएलडी के अजीत सिंह, टीएमसी के सुदीप बंदोपाध्याय, जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला, आरएसपी के एनके प्रेमचंद्रन, जेडीएस के उपेंद्र रेड्डी, केरल कांग्रेस के जोश के मनी, शरद पवार, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा के जीतनराम मांझी, सपा के रामगोपाल यादव, डीएमके की तरफ से कनिमोई, वामपंथी दलों की ओर से मोहम्मद सलीम, डी राजा और जेवीएम के बाबूलाल मरांडी, मीसा भारती, तेजस्वी यादव, बदरुद्दीन अजमल, कांग्रेस के गुलाम नबी आजाद।
इनको भेजा गया आमंत्रण
कांग्रेस, सपा, बीएसपी, टीएमसी, सीपीएम, सीपीआई, डीएमके, जेएमएम, हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा, आरजेडी, जेडीएस, केरल काँग्रेस, इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग, आरएसपी, एनसीपी, नेशनल कांफ्रेंस, एआईयूडीएफ, आरएलडी को न्यौता भेजा गया।