भागवत की लोक संगठनों को नसीहत, सत्ता में बैठे लोगों के न बनें 'सेवक'

Edited By Yaspal,Updated: 10 Nov, 2018 09:54 PM

do not become a  servant  of bhagwat s people those who are sitting in power

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को कहा कि ‘‘लोक संगठनों’’ को सत्ता में बैठे लोगों का ‘‘सेवक’’ नहीं होना...

नई दिल्लीः राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को कहा कि ‘‘लोक संगठनों’’ को सत्ता में बैठे लोगों का ‘‘सेवक’’ नहीं होना चाहिए तथा राजनीति से दूर रहना चाहिए। आरएसएस से जुड़े भारतीय मजदूर संघ के संस्थापक दत्तोपंत ठेंगड़ी की स्मृति में आयोजित एक कार्यक्रम में भागवत ने कहा कि प्रशासन तंत्र को संविधान के अनुसार काम करना होता है और ‘‘लोक संगठनों’’ की अगुवाई में सतर्क नागरिकों को इसे सुनिश्चित करना होगा।

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आरएसएस प्रमुख ने कहा, ‘‘इसकी क्या गारंटी है कि सत्ता संविधान का पालन करेगी? लोक संगठनों के नेतृत्व में सतर्क नागरिक इसकी गारंटी हैं और इसलिए उन्हें सत्ता में बैठे लोगों का सेवक नहीं होना चाहिए।’’ आरएसएस प्रमुख ने कहा कि सत्ता में कई लोग हैं जो बदलाव लाना चाहते हैं लेकिन मौजूदा व्यवस्था के कारण उनके हाथ बंधे हैं।

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भागवत ने कहा, ‘‘लोक संगठनों को सत्ता की राजनीति से दूर रहना चाहिए..सत्ता एक व्यवस्था है। व्यवस्था का हिस्सा बनकर सत्ता कभी बदलाव लाने में मदद नहीं करती। सत्ता में कई लोग हैं जो बदलाव लाना चाहते हैं लेकिन सत्ता की व्यवस्था के कारण उनके हाथ बंधे हैं।’’

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ठेंगड़ी के जीवन के बारे में भागवत ने कहा कि हर किसी को उनके जीवन का अनुसरण करना चाहिए। आरएसएस प्रमुख ने कहा कि हमें ठेंगड़ी की विचारधारा के मुताबिक उनके जीवन को देखना होगा। हमें यह भी देखना होगा उनके द्वारा स्थापित संगठनों के पीछे उनकी क्या भावनाएं थीं।

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