Edited By Monika Jamwal,Updated: 11 Sep, 2020 04:05 PM
श्रीनगर की 20 वर्षीय बदर-उन-निसा भट इन दिनों सबके लिए प्रेरणा बन गई हैं। सूफी पंरपरा का निर्वाह करते हुये बदर नेअपनी छोटी आयु में चित्र बनाना शुरू कर दिये।
श्रीनगर: श्रीनगर की 20 वर्षीय बदर-उन-निसा भट इन दिनों सबके लिए प्रेरणा बन गई हैं। सूफी पंरपरा का निर्वाह करते हुये बदर नेअपनी छोटी आयु में चित्र बनाना शुरू कर दिये। वह न सिर्फ दरवेशों के स्केच बनाती हैं बल्कि उनका फोक्स उन महिला सूफी संतांे पर भी है जिन्हें कंटपरेरी सूफी आर्ट में स्थान नहीं मिला।
बदर कहती हैं, पहली कक्षा में मेरी मां मेरी मदद करती थी और फिर पांचवी कक्षा के बाद मैने प्रशिक्षण लिया जाकि दसवीं तक जारी रहा। उन्होंने विदेशी महिला के साथ वर्कशाप भी लगाई। उन्होंने मुझे बताया कि आर्ट को थैरेपी की तरह लेना चाहिये और इससे दीमाग शांत रहता है और मै कैसे अपने विचारों को प्रकट कर सकती हूं। सूफी पेंटर के तौर पर अपनी यात्रा के बारे में वह कहती हैं, मैं नबियों की कहानियों से बहुत प्रेरित होती थी। आठवीं कक्षा से ही मैं उनके बारे में सुनती थी। हमारे क्लचर में कुछ सुफी ऐेसे हैं जिनके बारे में हमारी शिक्षा में भी जिक्र है। उसने कहा, लोग ज्यादातर वो चित्रबनाते हैं जो लैंडस्केप के होते हैं मैं वो बनाती हूं जिसने कुदरत को बनाया है। मैं विश्व के साथ सूफी नजरिये को बांटकर खुश होती हूं। उसने कहा कि उसे पंसद है क्योंकि सूफी चित्र अमन और प्यार कर सन्देश देते हैं।
बद्र कहती हैं कि उनकी कविताएं और चित्र एक खोज है। यह खोज मुझे भी चित्रित करती है। मुझे परशियन और अरब भाषा का भी शौक है। उनका मानना है कि रंग अभिव्यक्ति से ज्यादा दमदार होते हैं।