Edited By Seema Sharma,Updated: 13 Jul, 2018 08:38 AM
यदि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की सलाह मानी तो जल्द ही आपको शादी में हुए कुल खर्चे का हिसाब-किताब देना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह परिवारों के लिए शादी में हुए खर्चों का खुलासा करना अनिवार्य करने पर विचार करे। कोर्ट के...
नई दिल्ली: यदि केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट की सलाह मानी तो जल्द ही आपको शादी में हुए कुल खर्चे का हिसाब-किताब देना होगा। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा है कि वह परिवारों के लिए शादी में हुए खर्चों का खुलासा करना अनिवार्य करने पर विचार करे। कोर्ट के मुताबिक वर और वधू दोनों पक्षों के लिए शादी से जुड़े खर्चों को संबंधित मैरिज ऑफिसर को लिखित रूप से बताना अनिवार्य कर देना चाहिए। सरकार को इस बारे में नियम-कानून की जांच-परख कर संशोधन पर भी विचार करना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस कदम से दहेज के लेन-देन पर भी लगाम लगेगी। साथ ही दहेज कानूनों के तहत दर्ज होने वाली फर्जी शिकायतें भी कम होंगी। कोर्ट ने यह भी कहा है कि शादी के लिए तयशुदा खर्च में से एक हिस्सा पत्नी के बैंक अकाऊंट में जमा करवाया जा सकता है ताकि भविष्य में जरूरत पड़ने पर इसका इस्तेमाल किया जा सके। कोर्ट ने कहा कि इसे अनिवार्य करने पर भी सरकार विचार कर सकती है।
केंद्र सरकार को नोटिस किया जारी
कोर्ट ने केंद्र सरकार को इस बाबत एक नोटिस जारी कर कहा है कि सरकार अपने लॉ-ऑफिसर के जरिए इस मामले पर अपनी राय से कोर्ट को अवगत करवाए। कोर्ट ने अपने आदेश में कहा, ‘‘हम पी.एस. नरसिम्हा, एडीशनल सॉलिसिटर जनरल से कोर्ट को असिस्ट करने का निवेदन करते हैं।’’
किस संदर्भ में कोर्ट ने दिया सुझाव
बता दें कि कोर्ट शादी से जुड़े एक विवाद पर सुनवाई कर रहा था जब उसने केंद्र सरकार को यह सलाह दी। इस मामले में पीड़ित पत्नी ने पति और उसके परिवार पर कई तरह के आरोप लगाए हैं। जबकि पति पक्ष ने पूरी तरह से दहेज लेने या ऐसी कोई मांग करने की बात से इंकार किया है। सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने पाया कि विवाह संबंधी विवादों में दहेज मांगे जाने के आरोप-प्रत्यारोप सामने आते हैं। ऐसे में इस तरह की कोई व्यवस्था होनी चाहिए जिसके जरिए सच-झूठ का पता लगाने में मदद मिले।