हांगकांग मुद्दे ने चीन के खिलाफ एकजुट की दुनिया

Edited By Yaspal,Updated: 17 Jul, 2020 06:35 PM

hong kong issue united the world against china

चीन द्वारा हांगकांग में लागू किए गए राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के बहाने दुनिया भर के देशों ने चीन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। एक तरफ अस्ट्रेलिया और कनाडा ने इस मुद्दे को लेकर चीन के साथ की गई प्रत्यर्पण संधियों को रद्द किया है तो वहीं दूसरी तरफ यूके...

न्यूयार्कः चीन द्वारा हांगकांग में लागू किए गए राष्ट्र सुरक्षा कानून के बहाने दुनिया भर के देशों ने चीन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। एक तरफ अस्ट्रेलिया और कनाडा ने इस मुद्दे को लेकर चीन के साथ की गई प्रत्यर्पण संधियों को रद्द किया है तो वहीं दूसरी तरफ यूके ने इसी बहाने चीन की कंपनी हुवेवाई को ब्रिटेन के 5 जी नेटवर्क से बाहर का रास्ता दिखा दिया। हालांकि यूके ने हुवावेई को ब्रिटेन से बेदखल करने के पीछे सुरक्षा कारणों का हवाला दिया लेकिन माना जा रहा है कि ब्रिटेन भी चीन के द्वारा हांगकांग में दिए गए धोखे के कारण गुस्से में है। ब्रिटेन अपने अगले कदम के तौर पर चीन से होने वाले अन्य आयात पर पाबंदिया लगाने की भी सोच रहा है। चीन की इस खिलाफ में ब्रिटेन ऑस्ट्रेलिया और कनाडा ही नहीं है बल्कि यूरोपियन यूनियन भी अगले हफ्ते हांगकांग को किए जाने वाला निर्यात बंद कर सकता है। यूरोपीय देशों से हांगकांग को बंद किए जानेवाला निर्यात रक्षा क्षेत्र से संबंधित है और अब यूरोपियन देश भी हांगकांग को मेन लैंड चाइना के हिस्से के तौर पर देख रहे हैं। 
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हांगकांग के राष्ट्र सुरक्षा कानून पर क्यों है इतना गुस्सा
दरअसल साम्राज्यवाद के दौर में हांगकांग भी किसी वक्त ब्रिटेन के अधीन हुआ करता था और 1997 में ब्रिटेन ने हांगकांग को आजादी दी थी। आजादी के दौरान ब्रिटेन और चीन में समझौता हुआ था कि चीन हांगकांग को अगले 50 साल तक स्वायत्ता देगा। इस स्वायत्ता के चलते हांगकांग में लोगों को इंटरनेट फ्रीडम के अलावा फ्रीडम ऑफ स्पीच की भी सुविधा थी। इसके साथ ही हांगकांग के लोग को स्वतंत्र न्यायपालिका की भी सुविधा थी। लेकिन चीन द्वारा हांगकांग ने राष्ट्र सुरक्षा कानून थोपे जाने के बाद हांगकांग के लोगों से ये सारे अधिकार छिन गए हैं। यह कानून 1 जुलाई से लागू किया गया क्योंकि 1997 में ब्रिटेन ने इसी दिन हांगकांग को स्वायत्ता दी थी। ब्रिटेन अब इस राष्ट्र सुरक्षा कानून को 1997 में हुए समझौता का उल्लंघन बता रहा है जिसके तहत हांगकांग के लोगों को 50 साल के लिए स्वायत्तता दी जानी थी। इसी कारण ब्रिटेन ने हांगकांग के 30 लाख लोगों को नागरिकता देने की पेशकश भी कर दी।
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हांगकांग ने किया आग में घी का काम
साउथ चाइन सी में चीन की गुंडागर्दी, चीन में उइगर मुस्लमानों पर हो रहे अत्याचार और चीन की गलत व्यापारिक नीतियों के कारण पहले ही चीन कई देशों के निशाने पर था लेकिन हांगकांग मे लागू किए गए राष्ट्र सुरक्षा कानून ने चीन के प्रति इस गुस्से की ज्वाला में घी का काम किए और तमाम देश चीन के खिलाफ एकजुट हो गए हैं। अमेरिका ने इस मामले में पहल करते हुए सबसे पहले चीनी कंपनी हुवाई के कर्मचारियों पर वीजा पाबंधियां लगाईं और इसकी घोषणा खुद अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोम्पियो ने की इसके साथ ही यूके ने भी चीन पर धावा बोलते हुए चीनी कंपनियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया।
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चीन बोला, हांगकांग अंदरुनी मामला
इस पूरे मामले में चीन ने अपनी स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा है कि हांगकांग में लागू किया गया राष्ट्र सुरक्षा कानून चीन का अंदरूनी मामला है और ये कानून हांगकांग के लोगों के हित में लागू किया गया है। ग्लोबल टाइम सहित चीन का तमाम मीडिया भी हांगकांग में लागू किए गए कानून को चीन का अंदरुनी मामला बता कर तीसरे पक्ष के दखल से इनकार कर रहा है।

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