अर्पित अग्निकांड: पुलिस जांच में सामने आए चौंका देने वाले फैक्ट्स

Edited By Anil dev,Updated: 14 Feb, 2019 10:58 AM

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करोल बाग स्थित होटल अर्पित अग्निकांड में मारे गए 17 लोगों में से 16 की पहचान कर ली गई है। एक शव की पहचान नहीं हो पाई है। माना जा रहा है कि ये शव सुपरवाइजर लाल चंद का हो सकता है।

नई दिल्ली (नवोदय टाइम्स): करोल बाग स्थित होटल अर्पित अग्निकांड में मारे गए 17 लोगों में से 16 की पहचान कर ली गई है। एक शव की पहचान नहीं हो पाई है। माना जा रहा है कि ये शव सुपरवाइजर लाल चंद का हो सकता है। इस शव के अंश को डीएनए टेस्ट के लिए भेजा जाएगा। वहीं मामले में पुलिस ने दो गिरफ्तार लोगों को कोर्ट से रिमांड पर लिया है जबकि अभी भी होटल मालिक शुभेन्द्र गोयल फरार है। माना जा रहा है शुभेन्द्र विदेश में है और आग की घटना के बाद से वह अंडरग्राउंड हो गया है। मामलें में दिल्ली क्राइम ब्रांच ने कहा है कि मामले में प्रारंभिक रिपोर्ट तैयार की जा रही है और मालिक के गिरफ्तारी के प्रयास किए जा रहें है जल्द ही मामले में रिपोर्ट सौंपी जाएगी।

खुलेआम नियमों को ताक पर रखा गया
जांच में आई चीजों के अनुसार होटल प्रबंधन खुलेआम नियमों को ताक पर रख कर काम कर रहा था, चाहें वे सुरक्षा के मामले में या फिर सरकार की पॉलिसी से संबंधित निर्णय के। यही नहीं जांच में पता चला है कि अगर होटल का एक आपातकाल द्वार जो बनाया गया था वह खुला होता तो कई जानें बच सकती थी लेकिन इस पर ताला लगा हुआ था और सामान रख अतिक्रमण किया गया था। पुलिस आयुक्तके तहत मामले की जांच डीसीपी राजेश देव,एसीपी संदीप लांबा, इंस्पेक्टर पंकज अरोडा़ सहित क्राइम ब्रांच में तैनात 10 तेज तर्रार पुलिसकर्मी करेंगे। क्राइम ब्रांच की टीम ने नए सिरे से होटल परिसर की जांच पड़ताल की है। 

ये थे बड़े कारण, जिसके चलते आग और भड़की

  • होटल के कॉरिडोर व सीढिय़ों पर वुडन व फॉर्म और रेक्सीन का इस्तेमाल किया गया था। ऐसे में रूम नंबर-109 से लगी आग कॉरिडोर से होती हुई सीढिय़ों के रास्ते ऊपर पहुंच गई। रास्ता बंद होने पर कोई बाहर नहीं निकल पाया।
  • तफ्तीश में पता चला है कि जब आग नीचे की फ्लोर पर थी तो ऊपरी मंजिल वाले लोग छत पर जा सकते थे, लेकिन वहां पर फायबर शीट डालकर अवैध रूप से रेस्टोरेंट बनाया गया था। आग वहां पहुंची और उसने भयावह रूप धारण कर लिया। कुछ लोग छत पर गए भी, लेकिन वह जान बचाने के लिए नीचे कूद गए।
  •  होटल में मौजूद 12 कर्मचारियों ने समय पर फायर ब्रिगेड को बुलाया नहीं न ही उन्होंने खुद ही आग बुझाने का प्रयास किया। या तो वह ट्रैंड नहीं थे या फिर वह होटल छोड़कर भाग गए। यह भी आग की बड़ी वजह बना।
  • होटल अर्पित में लगे फायर अलार्म बजे ही नहीं थे। फायर ब्रिगेड का कहना है कि होटल में लगे अलार्म मैनुअल थे। यदि कोई अलार्म का शीशा तोड़कर अलार्म को बजाता तो लोग अलर्ट हो जाते और शायद इतना बड़ा हादसा नही होता।
  • होटल में इमरजेंसी एक्जिट पर पूरी तरह से अतिक्रमण था। वहां होटल में इस्तेमाल होने वाली चादर और कागजात व अन्य सामान रखा था। आग होटल के इमरजेंसी एक्जिट पर भी लग गई। ऐसे में कोई चाहकर भी वहां से निकल नही पाया। एक युवक ने वहां से निकलने का प्रयास किया था, लेकिन वह निकल नहीं पाया। उसका शव वहीं पर बुरी तरह जली हुई हालत में मिला।
  • टॉप फ्लोर पर बना किचन में रखा सामान भी आग की एक बड़ी वजह बना, किचन में तेजी से आग फैल गई। यदि यहां किचन व फाइबर शीट नहीं होती तो शायद बचाव हो सकता था।
  • कॉरिडोर और सीढिय़ों पर बाहर की ओर लगे शीशे फिक्स थे। वेंटीलेेशन के लिए यदि यह खुले होते थे शायद धुआं बाहर निकल जाता और लोगों का दम नहीं घुटता, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। धुआं पूरे होटल में घूमता रहा और लोग उसकी चपेट में आ गए।


फायर विभाग का अनोखा कारनामा ,तीन साल की एनओसी, जांच एक बार भी नहीं 
अर्पित होटल की फायर अनापत्ति प्रमाण पत्र भी अजब गजब हैं। जांच में आया है कि होटल अर्पित के अधिकांश फायर टेंडर केवल दिखावे के लिए लगे हुए थे। यही नहीं सुरक्षा के लिए नियमों का पालन नहीं किया गया,उसके बाद भी इस होटल को फायर विभाग ने इसे एनओसी दी। चीफ फायर आफिसर अनिल केंटल ने बताया कि फायर विभाग हर कार्मिशियल बिल्डिंग को तीन साल की एनओसी देता है। लेकिन जब उनसे पूछा गया कि क्या बीच में किसी भी बिल्डिगं का निरीक्षण किया जाता है तो उन्होंने इंकार कर दिया और कहा कि अगर कोई चेंज होटल मालिक करता है तो फिर जाया जाता है। बता दे कि किसी भी फायर उपकरण या एक्यूसेर की एक्सपायरी डेढ़ साल की होती है तो ऐसे में तीन साल की एनओसी कहां तक जायज है। फायर विभाग के मुताबिक, होटल अर्पित पैलेस को विभाग 18 दिसंबर 2017 को एनओसी दी थी जो 2020 तक थी। लेकिन अब फायर विभाग ने इसकी एनओसी रद्द कर दी है। 

शुक्र है सिलेंडरों तक नहीं पहुंची आग नहीं तो और भयंकर होता बलास्ट 
होटल अर्पित पैलेस को मालिक ने उसे लाक्षागृह बनाया हुआ था। घटना के बाद जांच एजेंसियों को वहां से 9 व्यावसायिक सिलेंडर मिले हैं। भीषण आग के बावजूद संयोग से सिलेंडर नहीं फटे। यदि वह भट जाते तो आग आस-पास के होटल व रिहायशी इलाके में फैल सकती थी। इससे हताहत होने वालों की संख्या सैकड़ों में पहुंच जाती। मालूम हो कि घटनास्थल के आस-पास 150 होटल मौजूद हैं। वहीं, वहां स्थित रिहायशी इलाकों में भी सैकड़ों लोग रहते हैं। जांच अधिकारियों ने बताया कि होटल मालिक ने भूतल पर चल रहे बार एवं रोस्टोरेंट का लाइसेंस ले रखा था। वहां भी कुछ गैस सिलेंडर पड़े थे। चूंकि आग प्रथम तल से शुरू हुई थी। वह नीचे ना फैलने के बजाए उपर की तल की ओर चली गई। नीचे आग लगने की स्थित में यदि भूतल तल पर रखा सिलेंडर फटता तो होटल को बिल्डिंग को ही धवस्त होने का खतरा था।

शर्मनाक: होटल अर्पित बना सेल्फी प्वाइंट 
कितना निदंनीय है कि जहां कल भीषण आग लगी और 17 लोगों की जानें चली गई वह होटल अब सेल्फी प्वाइंट बन चुका है। दोपहर बाद आसपास स्कूलों की छुट्टी होने के बाद छात्र भी होटल में लगी आग के बाद नजारा देखने पहुंचे, जबकि मोबाइल से सेल्फी लेते हुए नजर आए। छात्र आपस में चर्चा करते हुए नजर आए कि इतना बड़ा हादसा वाकई निंदनीय है। प्रशासन को होटल मालिक के खिलाफ सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। 

पुलिस तफ्तीश में आए चौंका देने वाले फैक्ट्स
17 लोगों की जान लीलने वाले इस अग्निकांड में घटना के वक्त होटल में कुल 60 गेस्ट और बारह लोगों का स्टाफ मौजूद था। मामले की जांच के दौरान पुलिस ने पाया होटल की छत पर अवैध तरीके से किचन चलाने के लिए प्लास्टिक व ज्वलनशील मैटेरियल का अस्थायी ढांचा बना रखा था। बेसमेंट में भी किचन चल रही थी। बिल्डिंग की दीवारों व पार्टीशन को बनाने में काफी जगह प्लास्टिक व ज्वलनशील पदार्थ का इस्तेमाल किया गया, जिस कारण आग लगते ही बहुत ही तेजी से चारों तरफ भड़क गई। इस वजह से होटल में ठहरे बहुत लोगों को बाहर निकलने का मौका नहीं मिल सका। 
 

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