मुझे गर्व है कि मैं जाट हूं और मेरी जाति ओबीसी श्रेणी में आती है: जगदीप धनखड़

Edited By Updated: 30 Jul, 2024 07:27 PM

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राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को बताया कि उन्हें गर्व है कि वह जाट हैं और उनकी जाति को राजस्थानराज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को बताया कि उन्हें गर्व है कि वह जाट हैं और उनकी जाति को राजस्थान के साथ ही केंद्रीय सूची में अन्य...

नेशनल डेस्क: राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने मंगलवार को बताया कि उन्हें गर्व है कि वह जाट हैं और उनकी जाति को राजस्थान के साथ ही केंद्रीय सूची में अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) का दर्जा मिला हुआ है। सभापति को अपनी जाति के बारे में यह सफाई राज्यसभा की कार्यवाही के दौरान उस वक्त देनी पड़ी जब सत्ता पक्ष के एक सदस्य ने बजट चर्चा में हिस्सा लेते हुए धनखड़ को ओबीसी बताया और उस पर कांग्रेस की एक सदस्य ने सवाल खड़े किए।

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के धनश्याम तिवाड़ी ने कांग्रेस और विपक्षी सदस्यों द्वारा जाति आधारित जनगणना की मांग उठाए जाने पर एक उदाहरण देते हुए बताना चाहा कि इस सरकार में कैसे विभिन्न जातियों को प्रमुखता दी गई है। उन्होंने कहा कि संसद के संयुक्त अधिवेशन को संबोधित करते जब राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू आईं थी तो वह सबसे आगे थीं और वह आदिवासी समुदाय से ताल्लुक रखती हैं। उन्होंने कहा, ‘‘उनके पीछे उपराष्ट्रपति धनखड़ साहब थे जो ओबीसी हैं। और मैं ब्राहण इन सबकी आरती उतार रहा हूं।''

इसी समय कांग्रेस की रजनी पाटिल ने सवाल किया कि ‘धनखड़ साहब' कब से ओबीसी हो गए वह तो जाट हैं। इस पर सभापति ने कहा कि उन्हें कभी अपनी जाति बताने की आवश्यकता नहीं पड़ी लेकिन आज वह बता रहे हैं। उन्होंने कहा, ‘‘मैं जाट जाति से हूं और मुझे गर्व है। यह जाति राजस्थान में ओबीसी में है और केंद्रीय सूची में भी ओबीसी में है।'' उन्होंने सवाल उठाने वाली पाटिल से कहा कि वह भी जाटों से वाकिफ हैं इसलिए अपनी रिश्तेदारी भी जाटों में की है। धनखड़ ने आगे कहा कि पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के जमाने में पहली बार राजस्थान के जाटों को ओबीसी सूची में डाला गया था।

भाजपा के सदस्य के लक्ष्मण ने कहा कि कांग्रेस वालों को पता ही नहीं है कि कौन ओबीसी है और कौन अनुसूचित जाति है। उन्होंने कांग्रेस पर तंज कसते हुए कहा कि इनके नेता जाति जनगणना की मांग करते हैं और उन्हें ओबीसी के बारे में कोई जानकारी नहीं है। धनखड़ ने कहा कि उन दिनों वह जाट आरक्षण समिति के प्रमुख प्रवक्ता थे और इसकी एक छह सदस्य समिति ने वाजपेयी से मुलाकात कर जाटों को ओबीसी श्रेणी में डालने की मांग की थी। उन्होंने यह भी कहा कि जाटों को पहले केंद्रीय सूची में ओबीसी में डाला गया और फिर बाद में आनन फानन में राजस्थान की तत्कालीन सरकार ने उन्हें ओबीसी का दर्जा दिया।

उन्होंने कहा कि उस समय राजस्थान में कांग्रेस की सरकार थी और उसने जाटों को ओबीसी का दर्जा भी दे दिया लेकिन कई ऐसी कमियां छोड़ दी जिसकी वजह से मुकदमे तक लड़ने पड़े। धनखड़ ने कहा, ‘‘किसान कभी चक्रव्यूह में नहीं फंसेगा, चाहे कितनी भी कमी कर लो। ऊपर वाले की कृपा है।'' बाद में बजट के बारे में अपना पक्ष रखते हुए तिवाड़ी ने कहा कि आम बजट 2024-2025 वर्तमान का भी है, भूत का भी हैं और भविष्य का भी है। उन्होंने कहा कि चर्चा के दौरान कई सदस्यों ने दावा किया कि बजट में राजस्थान को नजरअंदाज किया गया है लेकिन सच्चाई है कि राजस्थान को इस बजट में पिछली बजट के मुकाबले 8,000 करोड़ रुपए ज्यादा मिले हैं। उन्होंने कहा कि इसके बलावा एक बहुत बड़ा औद्योगिक पार्क भी राज्य के हिस्से में आया जो 1,500 एकड़ का होगा और इससे 40,000 लोगों को रोजगार मिलेगा। 

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