अब भारत हिंद-प्रशांत में शामिल, लेकिन यह कहानी सिंगापुर से शुरू हुई :  जयशंकर

Edited By Tanuja,Updated: 25 Mar, 2024 01:35 PM

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सिंगापुर में  विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपने संबोधन में  स्वतंत्रता संग्राम के दिनों के भारत-सिंगापुर संबंधों का जिक्र किया, जब सुभाष चंद्र बोस...

इंटरनेशनल डेस्कः सिंगापुर में  विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने अपने संबोधन में  स्वतंत्रता संग्राम के दिनों के भारत-सिंगापुर संबंधों का जिक्र किया, जब सुभाष चंद्र बोस ने आजाद हिंद फौज की स्थापना की और 'दिल्ली चलो' का आह्वान किया। जयशंकर ने कहा, “वह (नेता जी) हमारे पूरे देश के लिए एक प्रत्यक्ष प्रेरणा बने हुए हैं।” जयशंकर ने यह बात तब कही जब वह नेताजी पर सिंगापुर में बनी लघु फिल्म की स्क्रीनिंग में लगभग 1,500 भारतीय प्रवासी सदस्यों के साथ शामिल हुए। जयशंकर ने यहां व्यापार केंद्रित भारतीय समुदाय के सदस्यों को संबोधित करते हुए कहा कि जैसे-जैसे भारत का वैश्वीकरण हुआ है, ‘लुक ईस्ट' नीति के साथ शुरू हुए दोनों देशों के संबंध ‘एक्ट ईस्ट' नीति के साथ आगे बढ़े हैं और... अब भारत हिंद-प्रशांत में शामिल हो गया है- कहानी कई मायनों में वास्तव में सिंगापुर में शुरू हुई।

 

जयशंकर ने रेखांकित किया कि भारत का जितना अधिक वैश्वीकरण होगा, उसका हर पहलू सिंगापुर के साथ संबंधों की प्रगाढ़ता और गुणवत्ता में प्रतिबिंबित होगा। एशियाई वित्तीय केंद्र सिंगापुर की तीन-दिवसीय यात्रा पर आए जयशंकर ने कहा, “सिंगापुर भारत के वैश्वीकरण में भागीदार रहा है और वह भूमिका और सहयोग कुछ ऐसा है, जिसे हम महत्व देते हैं।” जयशंकर ने सिंगापुर के भारतीय समुदाय को भारत में बुनियादी ढांचे के विकास की तेज गति के बारे में भी बताया और ‘भारत एक वैश्विक मित्र है' (विषय) पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा, “यह वह भारत है जो दबाव में नहीं आएगा, जो अपने मन की बात कहेगा। अगर उसे कोई विकल्प चुनना है, तो हम अपने नागरिकों के कल्याण का विकल्प चुनेंगे... इसलिए, यह विचार अधिक मजबूत, अधिक सक्षम भारत का है, जो कठिन रास्ता अपनाने को तैयार है।''

 

जयशंकर ने आश्वासन दिया कि यह एक ऐसा भारत है जो अपने नागरिकों और भारतीय मूल के लोगों की देखभाल करता है। उन्होंने कहा, ‘‘अधिक से अधिक संख्या में भारतीय दुनिया के विभिन्न हिस्सों में बस रहे हैं और यदि वे किसी कठिन दौर में हैं तो उन्हें संरक्षित करना, उनका कल्याण सुनिश्चित करना तथा उन्हें स्वदेश लाना हमारी जिम्मेदारी है।'' उन्होंने उदाहरण के तौर पर यूक्रेन और सूडान का हवाला दिया, जहां भारतीय संघर्ष के बीच फंस गए थे। विदेश मंत्री ने चंद्रमा पर चंद्रयान के उतरने से मिले वैश्विक सम्मान की ओर इशारा किया।

 

उन्होंने कोविड-19 के दौरान लगभग 100 देशों को टीकों की आपूर्ति की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘एक भारत है जो विश्व का मित्र है।'' जयशंकर ने कहा, ‘‘हम कठिनाइयों के समय आगे आते हैं।'' उन्होंने कहा कि भारत ने श्रीलंका के आर्थिक संकट के दौरान इस द्वीपीय देश को 4.5 अरब अमेरिकी डॉलर का पैकेज दिया। उन्होंने कहा, “आज हिंद महासागर में, अगर कोई समस्या है और लाल सागर में बहुत कठिन स्थिति है, तो हमारे 21 जहाज हैं जो समुद्री डकैती से मुकाबला कर रहे हैं।'' सिंगापुर गुजराती सोसाइटी के निमित शेढ ने कहा, ‘‘यह बहुत ज्ञानवर्धक (संबोधन) था।''  

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