Edited By ,Updated: 25 Sep, 2016 10:11 PM
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान के साथ 1960 में हुई सिंधु जल संधि पर पुर्नविचार के लिए सोमवार ...
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पाकिस्तान के साथ 1960 में हुई सिंधु जल संधि पर पुर्नविचार के लिए सोमवार को कैबिनेट की अहम बैठक बुलाई है। बैठक में इस संधि के फायदे- नुकसान पर चर्चा होगी। इस संधि के तहत भारत पाकिस्तान को 80 प्रतिशत पानी देता है।
पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था में इस संधि का महत्वपूर्ण योगदान है। अगर भारत इस संधि को तोड़ता है तो पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर इस बहुत बुरा प्रभाव पड़ेगा। उरी हमले के बाद देश भर में पाकिस्तान के खिलाफ कार्रवाई की मांग उठ रही है।
गौरतलब है कि सिंधु जल समझौते के बारे में अक्सर यह कहा जाता है कि यह एकपक्षीय है और इस पर दोबारा विचार करने की बातें कही जाती रही हैं।
हाल ही में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने भी कहा था कि ऐसे समझौते में आपसी सहयोग और विश्वास बहुत अहम होता है।जब उनसे पूछा गया था कि क्या सरकार इस समझौते पर फिर पुनर्विचार कर सकती है, उन्होंने कहा था, ऐसे समझौते के लिए दो देशों के बीच आपसी विश्वास और सहयोग होना बेहद अहम है। यह एक तरफा नहीं हो सकता।
उच्चपदस्थ सूत्रों के मुताबिक सिंधु नदी जल बंटवारे समझौते को रद करना बहुत ही अहम फैसला होगा। इस बारे में हम कोई भी कदम जल्दबाजी में नहीं उठा सकते। वैसे भी इस फैसले के कई पहलुओं पर गंभीरता से विचार करना होगा। यह एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है। इन सब मुद्दों के बारे में पीएम को बैठक में जानकारी दी जाएगी।