Edited By Ashish panwar,Updated: 11 Jan, 2020 11:42 PM
भारतीय रेलवे के आधुनिकरण की दिशा में सरकार एक और कदम बड़ाने जा रही है। जिसके तहत यात्री डिब्बों को इंटेलीजेंट और स्मार्ट बनाने की दिशा में काम शुरू हो गया है। इसके तहत डिब्बों को सुविधाजनक, आरामदेह और सुरक्षित बनाने के लिए सेंसर लगाए जाएंगे। इसके...
नई दिल्लीः भारतीय रेलवे के आधुनिकरण की दिशा में सरकार एक और कदम बड़ाने जा रही है। जिसके तहत यात्री डिब्बों को इंटेलीजेंट और स्मार्ट बनाने की दिशा में काम शुरू हो गया है। इसके तहत डिब्बों को सुविधाजनक, आरामदेह और सुरक्षित बनाने के लिए सेंसर लगाए जाएंगे। इसके लिए स्मार्ट कोच परियोजना प्रारंभ की गई है जिसका मकसद यात्रियों को विश्वस्तरीय अनुभव प्रदान करना है। सरकार के अनुसार, इस योजना के परिणाम जनता को इसी साल से दिखने लगेंगे। गौरतलब है कि, यात्री डिब्बों के उत्पादन में भारत ने पहले ही विश्व रिकार्ड बना दिया है।
दरअसल, यात्री डिब्बों के उत्पादन, संवर्द्धन और आधुनिकीकरण के काम में रेलवे के करीब 5 हजार से ज्यादा अधिकारी और कर्मचारी दिन-रात लगे हुए है और डिजिटाइजेशन और ऑटोमेशन के माध्यम से यात्री डिब्बों को आधुनिक रूप देने में लगें हुए हैं। रेलवे की इस विशालकाय टीम का मकसद आइओटी, सेंसर, स्काडा, नेटवर्किंग, एनालिटिक्स, डायग्नास्टिक्स, एलर्ट आदि तकनीकों के माध्यम से यात्री डिब्बों को और अधिक सुविधाजनक बनाना है, ताकि यात्रियों को रेल का सफर हमेशा याद रहें।
विश्व स्तर की तकनीक का होगा उपयोग
स्मार्ट कोच की अवधारणा के पीछे 'वंदे भारत' की कामयाबी है। जिसने रेलवे के इंजीनियरों को विश्वस्तरीय ट्रेन और कोच बनाने के लिए प्रेरित किया हैं। वंदे भारत ट्रेन के कोच बनाने में पहली बार विश्व स्तर की तकनीक, कलपुर्जो और साजों-सामान का उपयोग किया गया। इसके लिए देश-विदेश की निजी क्षेत्र की कंपनियों की भी सेवायें ली गईं। जिसके कारण रेलवे के इंजीनियर करिश्माई काम करके दिखाएंगे। वंदे भारत की तर्ज पर अब अन्य ट्रेनों में भी इसी तकनीकि का प्रयोग करके स्मार्ट कोच बनाये जाएंगे। ये कोच चेन्नई की इंटीग्रल कोच फैक्ट्री (आइसीएफ) के अलावा कपूरथला की रेलवे कोच फैक्ट्री (आरसीएफ) तथा रायबरेली की माडर्न कोच फैक्ट्री (एमसीएफ) में बनाए जाएंगे।
आइसीएफ ने बना दिया है, विश्व रिकार्ड
ये पहला मौका होगा, जब भरतीय रेलवे की कोच उत्पादन इकाइयों ने उत्पादन में विश्व रिकार्ड बनाया है। आइसीएफ ने 2018-19 के दौरान 3000 कोच बनाकर चीन की सबसे बड़ी कोच फैक्ट्री को पछाड़ दिया है। अब आइसीएफ का लक्ष्य चालू वित्तीय वर्ष में 4238 कोच बनाने का है। दूसरी ओर आरसीएफ ने 2019-20 के दौरान अक्टूबर से पहले ही 1000 कोच बनाकर नया रिकार्ड कायम किया है। साथ ही, आरसीएफ ने वित्तीय वर्ष के अंत तक 1600 से अधिक कोच बनाने का लक्ष्य रखा है।
रेलवे कर रहा है, अत्याधुनिक रोबोटिक्स प्रौद्योगिकी का उपयोग
रायबरेली की माडर्न कोच फैक्ट्री (MCF) ने कोच निर्माण में अत्याधुनिक रोबोटिक्स प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हुए वर्ष 2018-19 में 1425 कोच बनाकर विगत साल के मुकाबले दोगुना से अधिक उत्पादन करके दिखाया था। दिसंबर में उसने 220 कोच बनाकर चालू वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए निर्धारित 2158 कोच उत्पादन के लक्ष्य को आसानी से प्राप्त करने की बात भी कही हैं।
इनके साथ ही, पश्चिम बंगाल की हल्दिया फैक्ट्री में भी कोच निर्माण का काम शुरु हो गया है। चालू वित्तीय वर्ष के दौरान हल्दिया को 30 कोच बनाने का लक्ष्य मिला है। ये चारों कोच फैक्टि्रयां 2019-20 के दौरान कुल मिलाकर 8026 कोच बनाएंगी। पांच वर्ष पहले तक देश में किसी भी साल 4000 से ज्यादा कोच नहीं बनते थे। जबकि 2020-21 में रेलवे का इरादा रिकार्ड 10 हजार से ज्यादा कोच बनाने का हैं।