Edited By Monika Jamwal,Updated: 02 Aug, 2021 06:35 PM
पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने सोमवार को आरोप लगाया कि पिछले साल एक वाहन में आतंकियों को ले जाने वाले जम्मू कश्मीर के पूर्व पुलिस अधिकारी देविंदर सिंह को केंद्र ने छोड़ दिया जबकि आतंक रोधी कानूनों के तहत बेकसूर...
श्रीनगर : पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने सोमवार को आरोप लगाया कि पिछले साल एक वाहन में आतंकियों को ले जाने वाले जम्मू कश्मीर के पूर्व पुलिस अधिकारी देविंदर सिंह को केंद्र ने छोड़ दिया जबकि आतंक रोधी कानूनों के तहत बेकसूर कश्मीरियों को वर्षों तक जेल में रहना पड़ता है।
सरकार पर दोहरा मापदंड अपनाने का आरोप लगाते हुए महबूबा ने कहा कि कश्मीरियों को "निर्दोष साबित होने तक दोषी माना जाता है।" महबूबा की टिप्पणी ऐसे वक्त आयी है जब पुलिस उपाधीक्षक सिंह को सेवा से बर्खास्त करने के 20 मई के एक सरकारी आदेश की एक प्रति सोशल मीडिया पर सामने आयी है। आधिकारिक आदेश के अनुसार उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने संविधान के अनुच्छेद 311 के तहत सिंह को तत्काल प्रभाव से सेवा से बर्खास्त करने का आदेश दिया था। यह प्रावधान सरकार को जांच किए बिना किसी को सेवा से हटाने की अनुमति देता है और इस निर्णय को केवल उच्च न्यायालय में ही चुनौती दी जा सकती है।
महबूबा ने एक ट्वीट में सवाल किया, "आतंकवाद रोधी कानूनों के तहत गिरफ्तार किए गए मासूम कश्मीरी सालों से जेलों में सड़ रहे हैं। उनके लिए मुकदमा ही सजा बन जाता है। लेकिन, भारत सरकार आतंकियों के साथ रंगे हाथ पकड़े गए पुलिसकर्मी के खिलाफ जांच नहीं कराती है। क्या ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उसने कुछ घटिया घटनाओं को अंजाम देने के लिए व्यवस्था के साथ मिलीभगत की?"
उन्होंने कहा, "सरकारी नौकरी का मामला हो या पासपोर्ट, उन्हें (कश्मीरी) सबसे बदतर जांच का सामना करना होता है। लेकिन जब एक पुलिसकर्मी के बारे में पता चलता है कि उसने आतंकवादियों की मदद की है तो उसे छोड़ दिया जाता है। दोहरा मापदंड और नापाक मंसूबे बिल्कुल स्पष्ट हैं।"
सिंह को पिछले साल जनवरी में जम्मू-कश्मीर पुलिस ने गिरफ्तार किया था, जब वह हिज्बुल मुजाहिदीन के आतंकवादियों को कश्मीर से जम्मू ले जा रहा था। राष्ट्रीय अन्वेषण अभिकरण (एनआईए) ने मामले की जांच की थी और सिंह और अन्य के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया था।