Edited By rajesh kumar,Updated: 13 Mar, 2020 01:37 PM
जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला की नजरबंदी को जम्मू कश्मीर प्रशासन ने खत्म करने का फैसला किया है। जम्मू-कश्मीर प्रशासन के प्रधान सचिव ने ट्वीट कर यह जानकारी दी। प्रशासन की तरफ से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया, ‘जम्मू-कश्मीर जन सुरक्षा...
श्रीनगर: जम्मू कश्मीर के पूर्व सीएम फारूक अब्दुल्ला की नजरबंदी को जम्मू कश्मीर प्रशासन ने खत्म करने का फैसला किया है। जम्मू-कश्मीर प्रशासन के प्रधान सचिव ने ट्वीट कर यह जानकारी दी। प्रशासन की तरफ से जारी आधिकारिक बयान में कहा गया, ‘जम्मू-कश्मीर जन सुरक्षा कानून 1978 की धारा 19 (1) के तहत जम्मू-कश्मीर प्रशासन ने अब्दुल्ला को हिरासत में रखे जाने के जिला अधिकारी के आदेश को हटाने का निर्णय लिया है।' बीते साल 2019, पांच अगस्त को अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से ही फारूक अब्दुल्ला को नजरबंद किया गया था। करीब छह महीने से अधिक समय तक नजरबंद रहने के बाद उन्हें रिहा करने का फैसला लिया गया है।
बता दें कि फारूक अब्दुल्ला को 5 अगस्त से हाउस अरेस्ट में रखा गया था, लेकिन सरकार ने उनके खिलाफ पिछले साल 15 सितंबर को पब्लिक सेफ्टी एक्ट (PSA) का केस दर्ज किया था। जिसके बाद उन्हें तीन महीने के लिए नजरबंद किया गया था। 15 दिसंबर को तीन महीने की मियाद पूरी होने वाली थी, लेकिन उससे दो दिन पहले ही 13 दिसंबर को उनकी नजरबंदी 3 महीने के लिए बढ़ा दी गई थी। अब राज्य प्रशासन ने उनकी नजरबंदी को खत्म करने का फैसला लिया है।
महबूबा मुफ्ती और उमर अब्दुल्ला अभी हिरासत में
अब्दुल्ला के अलावा जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री एवं जम्मू-कश्मीर नेशनल कांफ्रेंस के उपाध्यक्ष उमर अब्दुल्ला, पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ़्ती, शाह फैजल और कई अन्य नेताओं को अनुच्छेद 370 हटाने के बाद से फिलहाल हिरासत में ही रखा गया हैं। हालांकि इस दौरान कई अन्य नेताओं को शर्तों के आधार पर रिहाई भी दी गयी है। जम्मू-प्रशासन के इस निर्णय के बाद से गुपकार रोड़ स्थित अपने आवास में छह महीनों से नजरबंद फारूक अब्दुल्ला की रिहाई का रास्ता साफ हो गया है। जम्मू-कश्मीर प्रशसन के गृह विभाग ने ये आदेश जारी करते हुए कहा है कि सरकार ने 15 सितंबर को जिलाधिकारी द्वारा लगाये गये जन सुरक्षा कानून को हटाने का फैसला लिया है। गौरतलब है कि श्री अब्दुल्ला पर दूसरी बार लगाए गए इस कानून की अवधि 11 मार्च को समाप्त हो गयी थी। उन पर 15 सितम्बर और फिर 13 दिसंबर को पीएसए लगाया गया था।