Edited By ,Updated: 29 Mar, 2017 09:18 PM
देश के सबसे बड़े आर्थिक बदलाव जीएसटी (गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स) विधेयक पर संसद में मैराथन चर्चा की..
नई दिल्ली : देश को एक बाजार के रूप में पिरोने और अब तक के सबसे बड़े अप्रत्यक्ष कर सुधार के लिए मील का पत्थर माने जा रहे वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) से जुड़े चार विधेयकों को लोकसभा ने आज ध्वनिमत से पारित कर दिया। सरकार का जीएसटी को इस साल 01 जुलाई से लागू करने का लक्ष्य है।
चार विधेयकों - केंद्रीय जीएसटी विधेयक, एकीकृत जीएसटी विधेयक, केंद्रशासित क्षेत्र जीएसटी विधेयक और जीएसटी (राज्यों को क्षतिपूर्ति) विधेयक - पर सदन में दिन भर चली चर्चा के बाद विपक्ष की आपत्तियों का जवाब देते हुए वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि इनके कानून बनने से पूरा देश एक बाजार के रूप में स्थापित हो जाएगा और वस्तुओं की निर्बाध आवाजाही सुनिश्चित हो सकेगी तथा एक सरल कर व्यवस्था लागू होगी जिसका उल्लंघन करना आसान नहीं होगा।
उन्होंने कुछ विपक्षी सदस्यों की इस आशंका को निर्मूल बताया कि जीएसटी परिषद को कर की दर तय करने का अधिकार देने से इस मामले में संसद की संप्रभुता समाप्त हो जाएगी। उन्होंने कहा परिषद का काम सिर्फ सिफारिश करना है जबकि सिफारिशों पर अमल के लिए कानून संसद और राज्य विधानसभाएं ही बनाएंगी।
जीएसटी में कर के चार स्लैब
जीएसटी में कर के चार स्लैब तय किए गए हैं। पहला स्लैब शून्य प्रतिशत का है जिसमें मुख्य रूप से खाद्यान्न तथा अन्य जरूरी पदार्थों को रखा जायेगा। दूसरा स्लैब पाँच प्रतिशत का है। मानक स्लैब 12 और 18 प्रतिशत के रखे गये हैं जबकि चौथा स्लैब 28 प्रतिशत का है। जिन वस्तुओं पर अभी 28 प्रतिशत से ज्यादा कर है उसका इससे ऊपर का हिस्सा उपकर के रूप में एकत्रित कर राज्यों की क्षतिपूर्ति के लिए इस्तेमाल किया जाएगा। इसके बाद भी यदि कुछ राशि बचेगी तो वह केंद्र और राज्यों के बीच बांटी जाएगी। केंद्रीय जीएसटी विधेयक में अधिकतम 40 प्रतिशत का प्रावधान रखा गया है। जेटली ने बताया कि किस वस्तु को किसी स्लैब में रखना है इस पर जीएसटी परिषद अगले महीने से काम शुरू कर देगी।
शराब को जीएसटी से बाहर रखा गया
शराब को विधेयक के दायरे से बाहर रखा गया है। पेट्रोलियम उत्पाद विधेयक के दायरे में हैं, लेकिन उन पर जीएसटी के तहत कर लगाना कब शुरू करना है इसके बारे में फैसला जीएसटी परिषद को बाद में करना है। साथ ही अचल संपत्ति को भी जीएसटी के दायरे में लाने पर चर्चा हुई थी किंतु राज्य सरकारों ने स्टाप ड्यूटी से होने वाले राज्सव के नुकसान की आशंका जतायी थी। हालाँकि, दिल्ली सरकार इसके पक्ष में थी। उन्होंने कहा कि परिषद् में यह सहमति बनी थी कि जीएसटी लागू होने के एक साल के भीतर इस पर पुनर्विचार करेंगे।