अटल सरकार के 'संकटमोचक' को नहीं मिली अपने दोस्त के निधन की खबर

Edited By vasudha,Updated: 20 Aug, 2018 10:35 PM

jaswant singh does not know about vajpayee death

भारतरत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर पूरा देश एक साथ रोया। मृत्यु की आंखों में आंखें डालकर उसे न्यौता देने वाले और अपनी मृत्यु के बारे में बड़े बेखौफ अंदाज में कलम...

नेशनल डेस्क: भारतरत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के निधन पर पूरा देश एक साथ रोया। मृत्यु की आंखों में आंखें डालकर उसे न्यौता देने वाले और अपनी मृत्यु के बारे में बड़े बेखौफ अंदाज में कलम चलाने वाले कवि हृदय अटल बिहारी वाजपेयी के जाने पर विरोधियों की भी आंखें नम हो गई। वहीं इसी बीच एक शख्स ऐसा भी है जिन्हे अभी तक अटल जी की मौत की खबर नहीं है। 
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जसवंत सिंह की हालत नाजुक
वाजपेयी सरकार में मंत्री रहे जसवंत सिंह को अभी तक नहीं बताया गया है कि उनके मित्र अब इस दुनिया में नहीं हैं। जसवंत सिंह के बेटे मानवेंद्र सिंह ने एक निजी चैनल को लिखे ब्लॉग में बताया कि उनके पिता लंबे समय से बीमार हैं इसलिए वह अभी तक उन्हे नहीं बता पाए है कि अटल जी का निधन हो गया है। दरअसल, जसवंत सिंह की हालत नाजुक है और वो अस्पताल में एडमिट हैं। कुछ समय पहले ब्रेन हैमरेज के कारण वो कोमा में भी चले गये थे। 

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वाजपेयी और जसवंत सिंह का रहा अटूट रिश्ता
मानवेंद्र ने अपने ब्लॉग में लिखा कि जिन्ना पर लिखी किताब पर दिए गए बयान के बाद जब पिताजी को पार्टी से निकाला गया तो वो वाजपेयी जी ही थे जिन्होंने पिताजी को न सिर्फ फोन कर बुलाया बल्कि इस फैसले के खिलाफ गुस्सा भी जताया। वाजपेयी जी ने उस समय जो मेरे पिताजी से कहा था उसे सार्वजनिक नहीं कर सकता। उन्होंने कहा कि मेरे पिता अक्सर कहा करते थे कि भारतीय राजनीति में उन्होंने वाजपेयी और आडवाणी जैसी दोस्ती कभी नहीं देखी। मेरे पिताजी और अटल जी के बीच अटूट रिश्ता रहा था। मानवेंद्र ने कहा कि जसवंत सिन्हा अटल सरकार में संकटमोचक की भूमिका में थे जिस कारण वाजपेयी जी उन्हें मजाक में 'हनुमान' कहते थे।

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40 साल पुरानी है दोस्ती 
बता दें कि वाजपेयी जी और जसवंत सिंह की दोस्ती 40 साल से भी पुरानी है। वाजपेयी सरकार में जसवंत सिंह विदेश मंत्री और वित्तमंत्री रहे थे। जसवंत सिंह अटल जी के समय में भाजपा की पहली पंक्ति में बैठने वाले नेताओं में से एक थे। जिन्ना पर उनकी पुस्तक को लेकर विवाद होने पर उन्हें पार्टी से निकाल दिया गया था। वर्ष 2014 में वह राजस्थान के बाडमेर से चुनाव लड़ना चाहते थे लेकिन उन्हें पार्टी ने टिकट नहीं दिया। करीब तीन साल पहले घर में गिर जाने की वजह से उनके सिर में गहरी चोट लग गई थी। इसके बाद से उनकी हालत में सुधार नहीं आया है। मानवेंद्र ने बताया कि उनके पिता अब न तो कुछ बोल पाते हैं और न ही कुछ महसूस कर पाते हैं। अटल जी के अंतिम समय की तरह ही उनकी भी हालत हो गई है।

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