Edited By Pardeep,Updated: 09 Sep, 2020 04:51 AM
समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन को कांग्रेस के आंतरिक संकट से क्या लेना-देना है? गांधी और बच्चन परिवार 3 दशक पहले अलग हो गए थे जब अमिताभ बच्चन ने राजनीति छोड़ दी और बॉलीवुड में लौट आए, तब से दोनों परिवार बात करने की स्थिति में नहीं थे। इतना कि...
नई दिल्लीः समाजवादी पार्टी की सांसद जया बच्चन को कांग्रेस के आंतरिक संकट से क्या लेना-देना है? गांधी और बच्चन परिवार 3 दशक पहले अलग हो गए थे जब अमिताभ बच्चन ने राजनीति छोड़ दी और बॉलीवुड में लौट आए, तब से दोनों परिवार बात करने की स्थिति में नहीं थे। इतना कि प्रियंका गांधी वाड्रा ने कुछ समय पहले अमिताभ बच्चन के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी की थी लेकिन बच्चन परिवार शांत रहा। हालांकि, बॉलीवुड की सबसे सफल पूर्व अभिनेत्री और राज्यसभा सांसद ने अनजाने में ही कांग्रेस में मौजूदा संकट को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई हो सकती है।
अंदरूनी सूत्रों का कहना है कि 2019 में संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान, यू.पी. के एक भाजपा सांसद ने दिवंगत राजीव गांधी की अत्यधिक गैर-संसदीय भाषा में आलोचना करनी शुरू कर दी। इस दौरान सदन में मौजूद जया बच्चन ने उनके खिलाफ इस्तेमाल की जाने वाली गैर संसदीय भाषा पर कड़ा विरोध जताया और विपक्ष के नेता गुलाम नबी आजाद का इस विषय पर ध्यान आकर्षित किया।
इसके बाद भी गुलाम नबी आजाद ने राजीव गांधी व कांग्रेस मामले सेजया को क्या लेना-देना है, को उतना गंभीरता से नहीं लिया और शांत रहे लेकिन जया ने हार नहीं मानी और सदन में विरोध करती रहीं। उन्होंने सदन में अपनी बात प्रमुखता से रखी व जीतीं। इसके बाद सभापति टिप्पणियों को सदन की कार्रवाई से हटाने पर सहमत हो गए। अगले दिन, सोनिया गांधी ने उन्हें उनके द्वारा विषय पर स्टैंड लेने के लिए धन्यवाद करने हेतु बुलाया। वहीं बताया जाता है कि सोनिया गांधी को संसदीय पार्टी सचिव से दैनिक आधार पर एक लिखित रिपोर्ट मिलती है कि प्रत्येक सदन में क्या हुआ था। इसलिए, जब सदन में जया बच्चन विरोध कर रही थीं, इस दौरान आजाद द्वारा विरोध नहीं करने पर वह बेहद परेशान थीं।
इसके बाद पिछले कई महीनों तक कु छ नहीं हुआ लेकिन अचानक सोनिया गांधी द्वारा मल्लिकार्जुन खडग़े को राज्यसभा में लाया गया। आजाद को टिकट से भी वंचित कर दिया गया, जिनका राज्यसभा कार्यकाल फरवरी 2021 में समाप्त होगा। ऐसी खबरें हैं कि खडग़े आजाद के बाद विपक्ष के नेता होंगे जिसके चलते आजाद की जगह लेने का आनंद शर्मा का सपना भी धराशायी हो गया। दोनों अब जी-23 का हिस्सा हैं, जिन्होंने गांधी परिवार के खिलाफ पत्र पर हस्ताक्षर किए। इस सब में जया का कोई हाथ नहीं था लेकिन उन्होंने सोनिया की कमजोर नस को छुआ और गुलाम ने उसकी कीमत चुकाई।