ऑफ द रिकॉर्डः‘झप्पी’ संयोग नहीं बल्कि राहुल ने लिखी थी इसकी पटकथा

Edited By Seema Sharma,Updated: 29 Jul, 2018 09:18 AM

jhappi is not a coincidence but rahul wrote his script

राहुल गांधी ने जब से कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभाला है वह राजनीति के दाव-पेंच  तेजी से सीख रहे हैं। अगर उन्होंने पिछले सप्ताह कांग्रेस कार्यकारिणी समिति से सभी बड़ी तोपों को हटा कर पार्टी और राजनीतिक पर्यवेक्षकों को पूरी तरह आश्चर्यचकित कर दिया था तो...

नेशनल डेस्कः राहुल गांधी ने जब से कांग्रेस अध्यक्ष का पद संभाला है वह राजनीति के दाव-पेंच  तेजी से सीख रहे हैं। अगर उन्होंने पिछले सप्ताह कांग्रेस कार्यकारिणी समिति से सभी बड़ी तोपों को हटा कर पार्टी और राजनीतिक पर्यवेक्षकों को पूरी तरह आश्चर्यचकित कर दिया था तो वह इस बात के स्पष्ट संकेत दे रहे हैं कि पीढ़ीगत बदलाव अब होगा। अविश्वास प्रस्ताव (एन.सी.एम.) पर हुई चर्चा के दौरान लोकसभा में उनकी झप्पी और आंख मारने की घटनाओं ने तूफान ला दिया। झप्पी और आंख मारने की पृष्ठभूमि में अविश्वास प्रस्ताव की चर्चा पीछे रह गई मगर यह घटना स्तम्भकारों के लिए एक बड़ा विषय बन गया। इस संबंध में राहुल गांधी खुद ही झप्पी और आंख मारने की घटनाओं पर परस्पर विरोधी संकेत दे रहे हैं।
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उन्होंने उसी दिन एन.डी.टी.वी. को बताया कि झप्पी का फैसला अचानक नहीं था। वह अपना अभिभाषण समाप्त करने के बाद सीट पर बैठ गए और बाद में उठ कर मोदी की तरफ चल पड़े। आंख मारने की घटना अचानक थी। जब वह इंडिया इंटरनैशनल सैंटर (आई.आई.सी.) पर चाय पार्टी के समय महिला पत्रकारों से मिले तो राहुल ने उनको बताया कि वह पिछले कुछ समय से इसके बारे में सोच रहे थे। राहुल ने इसके आगे कुछ नहीं बताया मगर उनके करीबी सूत्रों ने कहा कि राहुल गांधी ने ‘झप्पी’ डालने की अपनी योजना को काफी सोच-समझ कर अंजाम दिया। इन सूत्रों ने यह भी कहा कि सोनिया गांधी और प्रियंका गांधी सहित पार्टी के भीतरी कोर ग्रुप ने भी ऐसी पहल के परिणामों पर चर्चा की थी।
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सोनिया गांधी इस बात को लेकर कुछ चिंतित थीं कि यह संसदीय प्रोटोकॉल के अनुरूप नहीं मगर प्रियंका गांधी ने कहा कि मोदी ने बजट सत्र के दौरान अविश्वास प्रस्ताव की अनुमति न देकर प्रत्येक संसदीय प्रोटोकॉल को तोड़ा। अविश्वास प्रस्ताव पेश करना विपक्ष का जन्मसिद्ध अधिकार है मगर इन बातों को दरकिनार किया गया इसलिए ‘झप्पी’ डालना कोई गलत बात नहीं। बाद में राहुल की सोच को शुक्रवार को ‘एक्शन’ में बदल दिया गया।
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वास्तव में राहुल गांधी का भाषण बहुत अच्छा था और वह इससे अति उत्साहित हो उठे तथा अपनी सीट पर बैठ गए। अचानक उन्होंने महसूस किया कि वह योजनाबद्ध झप्पी का मामला भूल गए हैं। वह अपनी सीट से उठे और अध्यक्ष व अन्य को हैरान कर दिया। वह एक मिनट तक बोले। अपनी सीट पर जाने की बजाय वह मोदी की तरफ बढ़े और उन्हें झप्पी डाल दी तथा प्रधानमंत्री को अपना पहला झटका दिया। अगले दिन अविश्वास प्रस्ताव गिरने की सुर्खियों की बजाय झप्पी के मुद्दे को लेकर सुर्खियां बनीं।

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