Edited By Tanuja,Updated: 05 Nov, 2020 04:46 PM
अमेरिका में जल्द ही चुनाव परिणाम घोषित हो सकते हैं। पुरी दुनिया सांसें थामे इंतजार में हैं कि अमेरिका का नया राष्ट्रपति कौन होगा। वोटों की गिनती ...
वॉशिंगटनः अमेरिका में जल्द ही चुनाव परिणाम घोषित हो सकते हैं। पूरी दुनिया सांसें थामे इंतजार में है कि अमेरिका का नया राष्ट्रपति कौन होगा। वोटों की गिनती अभी जारी है लेकिन जो बाइडेन ने डोनाल्ड ट्रंप पर 50 इलेक्टोरल वोट्स की बढ़त ले रखी है जिससे बाइडेन की जीत लगभग तय मानी जा रही है। उनकी जीत से भारतवंशी कमला हैरिस का उपराष्ट्रपति बनना भी तय माना जा रहा है । बाकि देशों के मुकाबले भारत के लिए अमेरिकी चुनाव बेहद अहम हैं क्योंकि हाल के दिनों में अमेरिका के साथ उसका सहयोग काफी बढ़ा है। चीन के साथ लद्दाख सीमा पर तनाव ने भारत और अमेरिका की नजदीकियां बढ़ी हैं। ऐसे में नए राष्ट्रपति का भारत के साथ रुख कैसा रहता है यह देखने वाली बात होगी। आइए जानते हैं बाइडेन का अमेरिकी राष्ट्रपति बनने से भारत को क्या फायदे और नुकसान हो सकते हैं।
भारत को हो सकती परेशानी !
बाइडेन दशकों तक विदेश नीति से जुड़े मुद्दों पर काम करते रहे हैं। उन्हें बेहतर अंदाजा है कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कौन से मुद्दे अहम हैं। एक्सपर्ट्स के अनुसार, बाइडेन और ट्रंप में बुनियादी फर्क यह है कि बाइडेन दूरदर्शी हैं और ट्रंप बड़बोले। लेकिन भारत में एक धड़ा मानता है कि बाइडेन और हैरिस जिस तरह से जम्मू कश्मीर में मानवाधिकार और NRC-CAA को लेकर मुखर रहे हैं उससे भारत को परेशानी हो सकती है। लेकिन कुछ बयानों के आधार पर दोनों को जज करना सही नहीं होगा।
बेहतर तालमेल के बावजूद ट्रंप ने भारत को दे चुके बड़े झटके
अमेरिकी प्रोफेसर सुमित गांगुली ने टाइम्स ऑफ इंडिया में छपे एक लेख में लिखा है कि मोदी के साथ बेहतर तालमेल के बावजूद ट्रंप ने कई मौकों पर भारत को बड़े झटके दिए हैं। उनके मुताबिक बाइडेन सोच-समझकर फैसला करने वालों में से हैं, ऐसे में वह भारत के लिए ज्यादा अच्छे हैं। गांगुली लिखते हैं कि ट्रंप ने जिस तरह से अचानक और अजीब तरह के फैसले किए उससे भारत के लिए उनका कार्यकाल उतना फलदायी साबित नहीं हुआ। गांगुली ने भारतीय उत्पादों पर टैरिफ बढ़ाने, H-1B वीजा रोकने, कश्मीर मुद्दे पर मध्यस्थता के ऑफर जैसे ट्रंप के कुछ ऐसे फैसले गिनाए जिनसे भारत को नुकसान हुआ। गांगुली का कहना है कि ट्रंप की नजर में भारत और अमेरिका के रिश्ते पूरी तरह लेन-देन पर आधारित हैं। जबकि बाइडेन की सोच ऐसी नहीं हैं।
- भारत-अमेरिका रक्षा संबंध की बात करें तो बड़े बदलाव की संभावना नहीं है।
- संयुक्त युद्धाभ्यास और सैन्य समझौते पहले की तरह होते रहेंगे।
- भारत-अमेरिका आर्थिक संबंध और बेहतर हो सकते हैं।
- दोनों देश के बीच कारोबार बढ़ सकता है।
- भारतीयों को ज्यादा ग्रीन कार्ड मिल पाएगा यानी ज्यादा भारतीय अमेरिका में बस पाएंगे।
- भारत-चीन तनाव को कम करने के लिए जो बाइडेन भारत पर दबाव बना सकते हैं।
- भारत-पाकिस्तान संबंधों में अधिक बदलाव नहीं होगा क्योंकि भारत ने साफ कर दिया है कि वो अपनी हितों की रक्षा जरूर करेगा।
- IT सेक्टर की कंपनियों को जो बाइडेन के आने का फायदा होगा।
बाइडेन की जीत से भारत-पाकिस्तान और चीन विवाद पर असर
जानकारों के अनुसार, बाइडेन की विदेश नीति में ट्रंप के मुकाबले कहीं ज्यादा स्थायित्व देखने को मिलेगा। उदाहरण के तौर पर, भारत को सिर्फ यह जानकारी देने कि अफगानिस्तान से अमेरिकी सैनिकों को हटाया जा रहा है, अमेरिका उस देश को स्थिर करने के लिए भारत की मदद मांग सकता है। बतौर राष्ट्रपति बाइडेन के उन मामलों में टांग अड़ाने की संभावना कम है जो राजनीतिक रूप से किसी माइनफील्ड की तरह हैं। बाइडेन के भारत-पाकिस्तान विवाद या चीन के साथ जारी तनाव में ज्यादा दखल देने की उम्मीद कम ही है। वह कई दशक तक अमेरिकी विदेश विभाग के लिए काम कर चुके हैं। इसके अलावा ट्रंप से अलग वह अपने सलाहकारों की बात सुनने के लिए जाने जाते हैं। बाइडेन किसी एक घटना या मुद्दे के आधार पर भारत के प्रति अमेरिकी नीति में बदलाव लाने के इच्छुक नहीं दिखते।
प्रवासियों को लेकर बाइडेन का रुख
इसके अलावा प्रवासियों को लेकर भी बाइडेन का रुख नरम है जबकि ट्रंप कई मौकों पर खुलकर वीजा पर लिमिट लगाने की बात कर चुके हैं। ट्रंप ने भारत के साथ व्यापारिक स्तर पर जंग जारी रखी। बाइडेन के ऐसा करने की उम्मीद कम है। बाइडेन नहीं बदलेंगे भारत के प्रति अमेरिका की नी डेमोक्रेट प्रशासन में भारत की स्थिति और बेहतर हो सकती है। ट्रंप ने चीन को लेकर जिस तरह से मोर्चा खोला, उससे पर्सेप्शन बैटल में भारत को फायदा हुआ लेकिन इससे भारत के अमेरिका का पिछलग्गू कहा जाने लगा।
कश्मीर को लेकर बाईडेन की सोच
पाकिस्तान को लेकर ट्रंप प्रशासन ने पहले सख्ती दिखाई लेकिन अफगानिस्तान में बातचीत दौरान उसके आगे झुक गया। बाइडेन कहते हैं कि दक्षिण एशिया में आतंक पर कोई समझौता नहीं होगा। बाइडेन ने ही पहले भारत और अमेरिका में भारतीय-अमरीकियों ने लिए विस्तृत एजेंडा जारी किया था। कश्मीर को लेकर ट्रंप के मध्यस्थता के ऑफर ने भारत के होश उड़ा दिए थे। बाइडेन कश्मीर को लेकर मुखर रहे हैं लेकिन इसे चुनावी स्टंट भी कहा जा सकता है। कश्मीर पर बयान देने के ठीक बाद ही उन्होंने एक और संदेश में भारत को 'प्राकृतिक साझेदार' बताया था। बाइडेन ने कहा था कि अगर वे चुने जाते हैं कि दोनों देशों के बीच रिश्तों को मजबूत करना उनकी प्रॉयरिटी लिस्ट में ऊपर रहेगा।
भारत और अमेरिका संबंधों पर बाइडेन का चर्चित बयान
बाइडेन का मानना है कि भारत और अमेरिका को नैचुरल सहयोगी ही होना चाहिए। उनके पहले डेमोक्रेटिक राष्ट्रपति रहे बराक ओबामा के दिनों में दोनों देशों के बीच संबंध खासे बेहतर हुए थे। 2006 में बाइडेन ने बतौर सीनेटर अपने एजेंडा में कहा था कि उन्हें भरोसा है कि एक दिन भारत और अमेरिका दो सबसे करीबी देश होंगे। जब भारत और अमेरिका के बीच न्यूक्लिअर डील होने वाली थी तो बाइडेन ने बाकी डेमोक्रेट्स से इस डील का समर्थन करने को कहा था। CAA-NRC पर उनके बयानों को संदर्भ के साथ देखने की जरूरत है।
कुल मिलाकर ये तय है कि जो बाइडेन अगर राष्ट्रपति बनते हैं तो भारत पर कोई खास असर नहीं होगा। ये सामान्य धारणा है कि डेमोक्रेटिक पार्टी के नेताओं का भारत के प्रति रुख थोड़ा कम नरम होता है हालांकि आंकड़े ये भी बताते हैं कि कई मौकों पर ऐसा नहीं हुआ है। क्योंकि प्रधानमंत्री मोदी के बारे में ये कहा जाता है कि वो जो कूटनीतिक तौर पर बेहद मजबूत हैं और देशहित के फैसलों पर किसी भी कीमत पर पीछे नहीं हटते हैं।