Edited By Radhika,Updated: 01 Jul, 2025 07:23 PM
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को एक बड़ा दावा किया है। आपराधिक कानूनों के 1 साल पूरा होने पर शाह ने कहा कि भारत के नए आपराधिक कानूनों को पूरी तरह से लागू होने में अधिकतम 3 साल का समय लगेगा, लेकिन इसके बाद देश के किसी भी हिस्से में दर्ज FIR...
नेशनल डेस्क: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मंगलवार को एक बड़ा दावा किया है। आपराधिक कानूनों के 1 साल पूरा होने पर शाह ने कहा कि भारत के नए आपराधिक कानूनों को पूरी तरह से लागू होने में अधिकतम 3 साल का समय लगेगा, लेकिन इसके बाद देश के किसी भी हिस्से में दर्ज FIR पर तीन साल के भीतर न्याय मिल जाएगा। गृह मंत्री ने यह बात दिल्ली में एक कार्यक्रम में संबोधन के दौरान कही।
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आपराधिक न्याय प्रणाली में बड़ा बदलाव
गृह मंत्री अमित शाह ने जोर देकर कहा कि ये तीनों कानून आने वाले दिनों में भारत की आपराधिक न्याय प्रणाली को पूरी तरह से बदलने जा रहे हैं। उन्होंने माना कि हमारी न्याय प्रणाली के सामने सबसे बड़ी समस्या न्याय मिलने में लगने वाला अत्यधिक समय था। शाह ने सभी देशवासियों को आश्वस्त किया कि इस नई प्रणाली को पूरी तरह से स्थापित होने में भले ही अधिकतम तीन साल लगें, लेकिन उसके बाद न्याय की प्रक्रिया बेहद तेज हो जाएगी। उन्होंने दृढ़ता से कहा, "मैं पूरी दृढ़ता से कह सकता हूं कि उसके बाद देश के किसी भी कोने में एफआईआर दर्ज करें, आपको तीन साल के भीतर न्याय मिलेगा। यह सुनिश्चित किया जाएगा।"

1 जुलाई 2024 से लागू हुए नए कानून
आपको बता दें कि ये तीनों नए आपराधिक कानून - भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता, भारतीय न्याय संहिता और भारतीय साक्ष्य अधिनियम - संसद से दिसंबर 2023 में पारित हुए थे। इन कानूनों को 1 जुलाई 2024 से पूरे देश में लागू कर दिया गया है। इन नए कानूनों ने ब्रिटिश काल के पुराने कानूनों, जैसे IPC, CrPC और IEA का स्थान लिया है।
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त्वरित न्याय और आधुनिक जरूरतों पर फोकस
गृह मंत्री ने बताया कि पुराने कानून भारत की सांस्कृतिक, सामाजिक और संवैधानिक जरूरतों के अनुरूप नहीं थे। उन्होंने कहा कि नए कानून भारत के नागरिकों के अधिकारों, स्वतंत्रता और न्याय को प्राथमिकता देते हैं। पुराने कानूनों में समयबद्ध न्याय की कोई गारंटी नहीं थी, जिसके कारण मुकदमे सालों-साल चलते रहते थे और लोगों को न्याय के लिए लंबा इंतजार करना पड़ता था। नए कानूनों में अब FIR दर्ज करने, चार्जशीट दाखिल करने, सुनवाई पूरी करने और फैसला सुनाने के लिए समय-सीमा तय की गई है, ताकि त्वरित न्याय सुनिश्चित हो सके। इसके अलावा पुरानी व्यवस्था में डिजिटल साक्ष्य, वीडियो रिकॉर्डिंग, ऑनलाइन शिकायतें आदि के लिए कोई स्पष्ट प्रावधान नहीं था। नए कानून इन आधुनिक जरूरतों को ध्यान में रखते हुए डिजिटलीकरण को बढ़ावा देते हैं, जिससे जांच और न्याय प्रक्रिया और अधिक पारदर्शी और कुशल बन सके।