कठुआ रेप मामलें में एक सवाल बना सारी दुनिया के लिए पहेली

Edited By Anil dev,Updated: 23 Apr, 2018 11:25 AM

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कठुआ रेप कांड की शिकार बच्ची के जिस मासूम चेहरे वाले फोटो ने देश-विदेश के लोगों का ध्यान अपनी तरफ आकॢषत किया है, आखिर बच्ची की हत्या से पहले वह फोटो खींचकर किसने वायरल किया, यह सवाल अनेक लोगों के दिलो-दिमाग में कौंध रहा है। विशेष तौर पर तब, जबकि एक...

जम्मू(बलराम): कठुआ रेप कांड की शिकार बच्ची के जिस मासूम चेहरे वाले फोटो ने देश-विदेश के लोगों का ध्यान अपनी तरफ आकॢषत किया है, आखिर बच्ची की हत्या से पहले वह फोटो खींचकर किसने वायरल किया, यह सवाल अनेक लोगों के दिलो-दिमाग में कौंध रहा है। विशेष तौर पर तब, जबकि एक सोची-समझी योजना के तहत इस मामले का साम्प्रदायिकरण एवं अंतर्राष्ट्रीयकरण करने वाले कथित सामाजिक कार्यकत्र्ताओं पर लोगों से चंदे के तौर पर भारी-भरकम राशि इकट्ठी करने के आरोप लग रहे हैं। दुनियाभर में कठुआ कांड की पीड़ित बच्ची का जो फोटो वायरल हुआ है, उसमें बच्ची ने वही कपड़े पहने हैं जो दुष्कर्म एवं हत्या के बाद बच्ची के शव पर थे। 
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यह काम किसने और किसरे इशारे पर किया 
सवाल यह उठता है कि दुष्कर्म एवं हत्याकांड को अंजाम देने वाला कोई व्यक्ति खुद ऐसा क्यों करेगा तो यह काम किसने और किसके इशारे पर किया है? इस फोटो में दिखाई दे रहे बच्ची के मासूम चेहरे को हथियार बनाकर एक एजैंडे के तहत इसे देश-विदेश में वायरल किया गया और इस पूरे प्रकरण का साम्प्रदायिकरण और अंतर्राष्ट्रीयकरण किया गया। इसे विडम्बना कहें अथवा जम्मू-कश्मीर पुलिस की क्राइम ब्रांच की कोताही कि अदालत में पेश की क्राइम ब्रांच की लम्बी-चौड़ी रिपोर्ट में भी इस तथ्य का कहीं जिक्र नहीं किया गया है। जांच का विषय तो यह होना चाहिए था कि हत्या से पहले उन्हीं कपड़ों में बच्ची का फोटो खींचने वाले कौन लोग थे और उनका मकसद क्या था। सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के अनुसार दुष्कर्म पीड़ित बच्ची की पहचान (नाम और मजहब) उजागर नहीं होती तो यह मामला भी इतना तूल पकड़कर संयुक्त राष्ट्र तक नहीं पहुंचता जिससे इस मुद्दे पर अपने स्वार्थों की रोटियां सेंकने वाले लोगों का एजैंडा पूरा नहीं हो पाता। इसलिए शायद ऐसे ही विकृत मानसिकता के लोगों ने इस कृत्य को अंजाम दिया हो, यह भी क्राइम ब्रांच की जांच का हिस्सा होना चाहिए था। 
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आई.ओ., एस.एच.ओ. पर कार्रवाई और एस.एस.पी. पर मेहरबानी
राज्य सरकार ने कठुआ रेप कांड को किस तरह से हैंडल किया, उस पर शुरू से ही सवाल उठ रहे हैं। केवल इस मामले की पीड़ित बच्ची और आरोपियों के मजहब के आधार पर ही जांच प्रक्रिया नहीं चली बल्कि कठुआ जिले में तैनात जिम्मेदार अधिकारियों पर भी उनका मजहब देखकर कार्रवाई की गई। बच्ची के दुष्कर्म एवं हत्याकांड का मामला जनवरी के दूसरे सप्ताह का है। जांच प्रक्रिया के दौरान कोताही बरतने के आरोप में पुलिस के जांच अधिकारी (आई.ओ.) आनंद दत्ता और थाना प्रभारी (एस.एच.ओ.) सुरेश गौतम पर कार्रवाई करने में तो सरकार ने ज्यादा समय नहीं लगाया, लेकिन कठुआ के एस.एस.पी. सुलेमान चौधरी का तबादला तक करने में करीब साढ़े 3 महीने का समय लगा दिया और एस.एस.पी. पर सरकार पूरी तरह मेबरबान रही। 

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