जानिए कैसे और कहां छपती है भारतीय करेंसी, ये है पूरी प्रक्रिया

Edited By Ravi Pratap Singh,Updated: 12 Sep, 2019 11:11 AM

know how and where indian currency is printed this is the whole process

व्यक्ति के जीवन में धन का महत्व किसी से छिपा नहीं है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल होने वाले रुपये या मुद्रा कहां से आती है, कैसे छपती है? अलग-अलग देशों में विभिन्न प्रकार की करेंसी का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं,...

नेशनल डेस्कः व्यक्ति के जीवन में धन का महत्व किसी से छिपा नहीं है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि हमारी रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल होने वाले रुपये या मुद्रा कहां से आती है, कैसे छपती है? अलग-अलग देशों में विभिन्न प्रकार की करेंसी का इस्तेमाल किया जाता है। वहीं, भारत में इस्तेमाल होने वाली करेंसी को रुपया कहा जाता है। भारत में करेंसी के रुप में नोट और सिक्कों दोनों का प्रचलन हैं। वर्तमान में भारत में क्रय-विक्रय के लिए 10 रुपये, 50 रुपये, 100 रुपये, 200 रुपये, 500 रुपये व 2000 रुपये के नोट के अलावा 1 रुपये, 2 रुपये, 5 रुपये, 10 रुपये का सिक्के का इस्तेमाल किया जाता है।

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भारतीय मुद्रा का इतिहास
भारत का पहला नोट ब्रिटिश शासनकाल के दौरान साल 1862 में इंग्लैंड की एक कंपनी द्वारा छापा गया था। 1920 तक भारतीय मुद्रा ब्रिटेन में ही छपती थी। इसके बाद ब्रिटिश सरकार ने नोट छापने के लिए साल 1926 में महाराष्ट्र के नासिक में प्रिंटिग प्रेस को स्थापित किया। तभी से नासिक प्रिंटिग प्रेस से ही 100, 1000 और 10 हजार के नोट छपने लगे। लेकिन आजाद भारत में साल 1991 के बाद से अब नासिक प्रिटिंग प्रेस में 1, 2, 5, 10, 50 और 100 रुपये के नोट छपने शुरु हुए। पहले यहां पर 50 और 100 रुपये के नोट नहीं छापे जाते थे।

आजादी के बाद वर्ष 1975 में मध्य प्रदेश के देवास में दूसरी प्रिटिंग प्रेस खोली गई। आपको बता दें कि देवास की नोट प्रेस में एक साल में 265 करोड़ नोट छपते हैं। यहां पर 20, 50, 100, 500 रुपये के नोट छापे जाते हैं। देश में नोट छापने के लिए दो-दो प्रिटिंग प्रेस होने के बावजूद तेजी से बढ़ती हुई जनसंख्या के कारण पर्याप्त मात्रा में नोट उपलब्ध कराने में मुश्किल होने लगी

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जिसके बाद साल 1997 में आजादी के बाद पहली बार भारत सरकार ने अमेरिका, कनाडा और यूरोप से नोट मंगवाने शुरु कर दिए। लेकिन नोट की बढ़ती मांग और विदेश से इन्हें छपवाने में होने वाले खर्च से बचने के लिए सरकार ने और प्रिटिंग प्रेस लगाने का निर्णय लिय। जिसके बाद 1999 में मैसूर में प्रिटिंग प्रेस स्थापित की गई जहां पर 1000 के नोट छपते थे। वर्ष 2000 में पश्चिम बंगाल के सलबोनी में नोट छापने के लिए एक और प्रिटिंग प्रेस लगाई गई। इसके बाद इन चार जगहों से भारतीय नोटों की छपाई की जाती है। वहीं, सिक्कों की ढलाई मुंबई, नोएडा, कोलकत्ता और हैदराबाद में की जाती है।

भारत में नोट छापने के लिए जिन चार प्रिटिंग प्रेस का उपयोग किया जाता है। उनमें से देवास और नासिक की बैंक नोट प्रेस भारतीय वित्त मंत्रालय के नेतृत्व वाली सिक्योरिटी प्रिंटिंग एँड मिंटिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के अंतर्गत आती है। वहीं, मैसूर और सलबोनी की प्रेस नोट रिर्जव बैंक ऑफ इंडिया की सब्सिडियरी कंपनी भारतीय रिर्जव बैंक नोट मुद्रण प्राइवेट लिमिटेड के अंतर्गत आती है।

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स्विजरलैंड से आती है स्याही
भारतीय नोटों को तैयार करने में एक विशेष प्रकार की स्याही का इस्तेमाल किया जाता है। इस विशेष स्याही की अधिकांश मात्रा को स्विजरलैंड की कंपनी सिक्पा से आयात की जाती है। इस स्याही का बड़ा हिस्सा मध्य प्रदेश के देवास स्थित बैंकनोट प्रेस में होता है।

होशंगाबाद में बनता करेंसी का पेपर
भारतीय मुद्रा में इस्तेमाल होने वाली कागज का निर्माण होशंगाबाद की पेपर मिल में किया जाता है। होशंगाबाद पेपर मिल में भारतीय नोटों के कागज के अलावा स्टंप के लिए कागज भी बनाए जाते हैं। साथ ही एक बड़ा हिस्सा इंग्लैंड और जापान को भी निर्यात किया जाता है।

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मुद्रा छापने की लागत और मात्रा
रिजर्व बैंक के अनुसार, भारत में हर साल 2,000 करोड़ के करेंसी नोटों की छपाई होती है। मुद्रा का 40 फीसदी कागज एवं स्याही को आयात किया जाता है। ये कागज जर्मनी, जापान और ब्रिटेन जैसे देशों से आयात किया जाता है। विभिन्न मुद्रा के नोटों की छपाई की लागत अलग-अलग आती है। उदारहरण के लिए 5 रुपये का नोट बनाने में सरकार को 50 पैसे, 10 रुपये के नोट के लिए 0.96 पैसे का खर्च आता है। नोटों की छपाई के बाद रिजर्व बैंक इन्हें देश के विभिन्न शहरों में स्थापित 18 इश्यू ऑफिस को भेजता है। जहां से व्यवसायिक बैंक द्वारा इन नोटों को अलग-अलग शाखाओं में भेजा जाता है।

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कौन तय करता है कितने नोट छपने हैं
छपने वाले नोटों की मात्रा पूरी अर्थव्यवस्था में नोटों के परिचालन, गंदे नोटों और आरक्षित आवश्यकताओं के आधार पर तय की जाती है जिसका अधिकार भारतीय रिजर्व बैंक को है। वहीं, सिक्कों की ढलाई को तय करने का अधिकार सिर्फ भारत सरकार के पास है।

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एक शीट से छपते हैं 32 से 48 नोट
नोट छापने के लिए सबसे पहले विदेश या होशंगाबाद से आई पेपर शीट को एक विशेष मशीन सायमंटन के भीतर डाला जाता है जिसके बाद उसे कलर के लिए एक अन्य मशीन जिसे इंटाब्यू कहते हैं से गुजरना होता है। इसके बाद यानी कि शीट पर नोट छप जाते हैं। इस प्रक्रिया के बाद अच्छे और खराब नोट की छटनी की जाती है। आपको बता दें कि एक शीट में करीब 32 से 48 नोट होते हैं।

 

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