Edited By Pardeep,Updated: 07 Jul, 2020 05:45 AM
पूर्वी लद्दाख में चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी से चले गतिरोध के बीच भारत ने कम ऊंचाई पर अधिक देर तक उड़ान भरने वाले अमरीकी सशस्त्र प्रीडेटर-बी ड्रोन खरीदने में रुचि दिखाई है। यह ड्रोन न सिर्फ खुफिया जानकारी इकट्ठा करता
नई दिल्ली: पूर्वी लद्दाख में चीनी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी से चले गतिरोध के बीच भारत ने कम ऊंचाई पर अधिक देर तक उड़ान भरने वाले अमरीकी सशस्त्र प्रीडेटर-बी ड्रोन खरीदने में रुचि दिखाई है। यह ड्रोन न सिर्फ खुफिया जानकारी इकट्ठा करता है, बल्कि लक्ष्य का पता लगाकर उसे मिसाइल और लेजर गाइडेड बम से नष्ट कर देता है।
हालांकि अमरीका ने चार अरब डॉलर से अधिक के 30-सी गार्डियन बेचने की पेशकश की है। राष्ट्रीय सुरक्षा योजनाकारों को लगता है कि सर्विलांस और टारगेट पर हमले के लिए एक ही ड्रोन हो, न कि अलग-अलग। भले ही भारतीय नौसेना अमरीका से बातचीत में मुख्य भूमिका निभा रही है, लेकिन भारतीय सेना प्रीडेटर-बी के पक्ष में है। भारत फिलहाल पूर्वी लद्दाख में इसराईली ‘हेरोन’ ड्रोन का इस्तेमाल करता है।
चीन की बात करें तो उसके पास विंग लूंग-2 सशस्त्र ड्रोन है। इसके अलावा वह पाकिस्तान को भी सप्लाई करने की तैयारी में है। पाकिस्तान अपनी वायुसेना द्वारा उपयोग के लिए 48 सशस्त्र ड्रोन का संयुक्त रूप से उत्पादन करने के लिए चीन से करार कर रहा है। विंग लूंग-2 के सैन्य संस्करण जीजे-2 को हवा से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों से लैस बताया गया है। वर्तमान में सीमित सफलता के साथ लीबिया के गृहयुद्ध में इसका इस्तेमाल किया जा रहा है।